झाबुआ में लंपी वायरस के कुछ मामलों की पुष्टि होते ही खंडवा के पशुपालन विभाग ने तुरंत बैठक बुलाई और टीमों को निर्देशित किया. खंडवा-झाबुआ सीमा के पास स्थित गांवों जैसे हरसूद, पुनासा, खालवा, पंधाना आदि क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है. यहां हर हफ्ते निरीक्षण किया जा रहा है और लक्षण दिखने पर तुरंत सैंपल लेकर जांच की जा रही है.
लंपी एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्य रूप से गाय और बैलों में होती है. यह वायरस मच्छरों, मक्खियों और कीड़ों के जरिए एक पशु से दूसरे में फैलता है. संक्रमित पशु के शरीर पर गांठें बन जाती हैं, तेज बुखार आता है, आंखों और नाक से स्राव होता है और पशु खाना-पीना छोड़ देता है. इलाज न होने पर पशु की मौत भी हो सकती है.
बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
खंडवा के पशुपालन विभाग के उप-संचालक डॉ हेमंत शाह ने लोकल 18 से कहा कि लंपी वायरस से लड़ने का सबसे कारगर उपाय है समय पर टीकाकरण और स्वच्छता. यदि किसी पशु में लंपी के लक्षण दिखें, तो तुरंत उसे अलग कर दें और डॉक्टर से संपर्क करें. मक्खी-मच्छरों से बचाने के लिए बाड़े में कीटनाशक का छिड़काव करें.
जिला प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब पशु मेलों और बाजारों में बिना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट के कोई भी पशु खरीदा-बेचा नहीं जा सकेगा. साथ ही बाहर से आने वाले पशुओं की जानकारी मंडी समिति और पशु चिकित्सकों को देनी होगी.
पहले की चूक से सीखा सबक
गौरतलब है कि साल 2021 में जब लंपी वायरस पहली बार फैला था, तब तैयारियों में कमी के कारण जिले में बड़ी संख्या में पशुओं की मौत हुई थी लेकिन इस बार प्रशासन पहले से सतर्क है. पशुपालन विभाग, जिला पंचायत और स्थानीय प्रशासन मिलकर संयुक्त रणनीति के तहत काम कर रहे हैं. डॉ हेमंत शाह ने अपील की है कि कोई भी पशुपालक यदि अपने जानवर में लंपी के लक्षण देखे, तो उसे छुपाए नहीं, तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल या चिकित्सक से संपर्क करें. लंपी वायरस का समय रहते इलाज संभव है लेकिन देरी घातक हो सकती है.
लंपी वायरस एक बार फिर सिर उठा रहा है लेकिन इस बार खंडवा जिला तैयार है. समय पर टीकाकरण, जागरूकता और सतर्कता से इस बार वायरस को जिले की सीमाओं में घुसने से रोका जा सकता है.