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Ujjain Mahakal : आज उज्जैन में महाकाल की दूसरी सवारी, सावन में रंग बिखेरेंगे लोक कलाकारउज्जैन में सावन के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल की ऐतिहासिक सवारी जनजातीय और लोक कलाओं की छटा के साथ निकलेगी. इस बार की सवार…और पढ़ें
उज्जैन में सावन की धूम मची हुई है.
हाइलाइट्स
- उज्जैन में दूसरे सावन सोमवार पर बड़ी तैयारी.
- महाकाल की सवार में लोकरंग की छटा होगी.
- 8 राज्यों के लोककलाकार बिखेरेंगे अपनी कला.
देशभर के आठ राज्यों – मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात और झारखंड – से आए पारंपरिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. यह पहली बार है जब महाकाल की सवारी में इतनी बड़ी संख्या में जनजातीय और लोक कलाकार भाग ले रहे हैं. सवारी मार्ग पर झाबुआ के भील समाज का भगोरिया नृत्य, महाराष्ट्र का सोंगी मुखोटा, गुजरात का राठवा आदिवासी नृत्य और राजस्थान के गैर-घूमरा नृत्य दल अपनी प्रस्तुति देंगे. ये दल सवारी के साथ चलते हुए भक्तों को झूमने पर मजबूर कर देंगे.
रामघाट पर ओडिशा का जोड़ी शंख नृत्य अपने युद्ध कौशल और शंख वादन के साथ आकर्षण का केंद्र रहेगा. वहीं छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, आध्यात्मिक ऊंचाई को और भी प्रभावशाली बनाएगा. दत्त अखाड़ा क्षेत्र पर हरियाणा का घूमर और छतरपुर का बरेदी नृत्य लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करेंगे. इस सवारी को सजाने और संचालित करने में भोपाल स्थित जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की बड़ी भूमिका रही है. यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत करेगा, बल्कि देश की सांस्कृतिक एकता और परंपरा को भी एक मंच पर लाकर समृद्ध करेगा. महाकाल की सवारी इस बार हर दृष्टिकोण से ऐतिहासिक और यादगार बनने जा रही है.
बाबा महाकालेश्वर की सावन सवारी का इतिहास और महत्व
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से सावन महीने में अत्यधिक महत्व रखती है. सावन में प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी भव्य रूप में नगर भ्रमण के लिए निकलती है, जो धार्मिक आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है. इस सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है और कहा जाता है कि यह परंपरा उज्जैन के राजाओं द्वारा शुरू की गई थी. भगवान महाकाल को नगर के रक्षक के रूप में माना जाता है, और यही कारण है कि उन्हें पालकी में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है ताकि वे नगरवासियों को दर्शन दें और उनका कल्याण करें. सवारी के दौरान भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं—कभी उमा-महेश, कभी चंद्रमौलेश्वर. यह सवारी महाकाल मंदिर से शुरू होकर रामघाट, दत्त अखाड़ा, और अन्य प्रमुख मार्गों से होती हुई लौटती है. सावन में निकलने वाली यह सवारी धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की झलक भी प्रस्तुत करती है. देशभर से श्रद्धालु इस दौरान उज्जैन पहुंचते हैं और सवारी के दर्शन को पुण्य का कार्य मानते हैं.
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें