भोपाल के दिल में छिपा रहस्यमय गोलघर, जहां शाहजहां की बेगम देती थीं गुप्त दान, जानें 156 साल पुराना रोचक इतिहास

भोपाल के दिल में छिपा रहस्यमय गोलघर, जहां शाहजहां की बेगम देती थीं गुप्त दान, जानें 156 साल पुराना रोचक इतिहास


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Bhopal Heritage Places: भोपाल का गोलघर शाहजहां बेगम द्वारा 156 साल पहले बनवाया गया था. इसका उपयोग दफ्तर, गुप्त दान और पक्षियों के संरक्षण के लिए होता था.

हाइलाइट्स

  • गुप्त दान से लेकर इंग्लैंड भेजे गए सोने के घोंसले तक
  • गोलमहल बना कला और संस्कृति का केंद्र
  • बया चिड़िया बनाती थी सोने का घोंसला
भोपाल. भोपाल इतिहास के नजरिया से बेहद रोचक और रहस्य में रहा है. यहां का इतिहास के ऐतिहासिक इमारतें और धरोहरों से सजा हुआ है. धरोहर के इस एपीसोड में हम आपको बताएंगे भोपाल के गोल महल का इतिहास, जिसे शाहजहां बेगम ने अपने दफ्तर के लिए निर्माण करवाया था. भोपाल के दिल में स्थित, गोलघर को नवाब शाहजहां बेगम ने अपने शासनकाल में बनवाया था. उसे समय इसका इस्तेमाल दफ्तर के साथ गुप्त दान के रूप में भी किया जाता था. बता दें, अपने गोलाकार स्वरूप के कारण इसे गोलघर के नाम से जाना जाता है.लोकल 18 से बात करते हुए गोलघर का संरक्षण कर रहे बैकुंठ प्रसाद गुप्ता ने बताया कि शाहजहां बेगम के द्वारा गोलघर का निर्माण करीब 156 साल पहले करवाया गया था. कहा जाता है कि इसका निर्माण दफ्तर में होने वाली मीटिंग के लिए करवाया गया था.

साथ ही बेगम ने यहां कुछ पक्षियों को भी जगह दी थी. इसमें बया नामक चिड़िया भी रहती थी. बता दें, बया गोरैया की तरह के पक्षियों की एक प्रजाति है जो गोरैया की तरह मनुष्य के घरों में न रहकर पेड़ की टहनियों में लटकता हुआ सुन्दर घोंसला बनाकर रहती है. बेगम को यह बात पता थी इसीलिए उन्होंने इस गोलघर के अंदर रेशम के धागे सोने के तरवा चांदी के तार बिछवा दिए. यहां आने वाली बया चिड़िया इन्हीं धागे वह तार की मदद से अपना घोंसला बनाती थी. कहा जाता है कि उस दौर में बेगम ने सोने व चांदी से बना हुआ खोसला इंग्लैंड की क्वीन विक्टोरिया को भेंट किया था. लोगों का कहना है कि आज भी वहां के म्यूजियम में यह खोसला मिल सकता है. साथ ही गोलघर में शाहजहां बेगम गरीब व जरूरतमंद लोगों को खैरात बांटा करती थी, जिसे गुप्त दान के नाम से जाना जाता था. यहां जो भी दीन-दुखी मदद मांगने के लिए आते थे. उन्हें गोलघर के बाहरी दरवाजे पर खड़ा करवा दिया जाता था. वही अंदर गुप्त तरीके से उन्हें दान दिया जाता. इस तरह से दान देने वाला बाहरी व्यक्ति को नहीं देख पता और बाहर दान लेने वाला व्यक्ति अंदर मौजूद शख्स को नहीं देख सकता था.

गोलघर की एक खासियत और है कि इसमें हर चार कदम के बाद एक दरवाजा मिल जाएगा. यदि दरवाजों के कुल संख्या की बात करें तो इसके बाहरी हिस्से में 32 दरवाजे हैं. वहीं चार दरवाजे अंदर की और व चार दरवाजे सेंटर में मौजूद हैं. इसके अलावा चार दरवाजे ऊपरी सतह पर भी बने हुए हैं. साथ ही यहां के गुंबद के अंदरूनी हिस्से को मीनाकारी नक्काशी की मदद से बेहद खूबसूरती से बनाया गया है.यहां देखने मिल जाएगा इतिहासयदि वर्तमान समय की बात करें तो यहां पर आप भोपाल का संपूर्ण इतिहास देख सकते हैं. इसमें नवाबी दौर से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक वह उसके बाद भोपाल रियासत के विलय तक सारी जानकारी मिल जाएगी. साथ ही कई वर्ष पुराने पानदान, पीकदान, भोपाली बटुए, ट्रे, सुराहीदार लोटा, कटोरा, टिफिन और बाट रखे हुए हैं.पिछले साल किया गया उद्घाटनबता दें सरकार ने गोल घर का पुनर्निर्माण कर नया रूप दिया है.

बीते साल 15 मार्च को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा इसका लोकार्पण किया गया. गोलघर को फिर से शिल्पकला, संगीत और व्यंजनों के केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. संरक्षित स्मारक गोलघर को पर्यटन विभाग ने बहुउद्देशीय कला केंद्र के रूप में विकसित किया है. अस्तबल को दुकान में कर रहे तब्दीलगोलघर के पास मौजूद जिस जगह पर नवाबों के घोड़े बांधे जाते थे. उस अस्तबल के नव निर्माण का काम भी सरकार के द्वारा कराया जा रहा है. यहां पर भी गौहर महल की तर्ज पर दुकानें बनाई जाएगी, जिसका इस्तेमाल प्रदर्शनी से लेकर अलग-अलग कार्यक्रम के रूप में किया जाएगा.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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