देवी के नाम पर दी नरबलि: पत्नी के सामने पति की गर्दन में घोंपा त्रिशूल, छाती पर पैर रख महिलाओं ने किया डांस – Madhya Pradesh News

देवी के नाम पर दी नरबलि:  पत्नी के सामने पति की गर्दन में घोंपा त्रिशूल, छाती पर पैर रख महिलाओं ने किया डांस – Madhya Pradesh News


मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव से पुलिस थाने में फोन कॉल आता है- देवी ने आज एक बलि ली है। थाना निवास की पुलिस पहले इसे कोई पाखंडी बयान समझती है, मगर जब टीम मौके पर पहुंचती है तो सन्न रह जाती है। गांव के एक आंगन में अधजली लाश पड़ी थी। गर्दन आधी कटी, दो

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मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात एक चर्चित हत्याकांड की, जिसे देखकर पुलिस भी हैरान रह गई थी। मृतक की पत्नी की बात सुनते ही पुलिस की रूह कांप गई थी। क्या ये आस्था का अंधा विश्वास था या सुनियोजित साजिश?

फोन सुनते ही पुलिसकर्मी के चेहरे का रंग उड़ा तारीख थी 25 अगस्त 2014। रात का वक्त था। मंडला जिले के पुलिस थाना निवास में सन्नाटा था। तभी फोन की घंटी बजती है। ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी फोन उठाता है। दूसरी ओर से कांपती हुई आवाज में कोई अपना नाम लेमन सिंह बताता है। इसके बाद उसने जो सूचना दी, वो सुनने के बाद पुलिसकर्मी दंग रह जाता है। पुलिसकर्मी के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वो बिना देर किए अपनी कुर्सी से उठता है और निरीक्षक वर्षा पटेल को मैसेज फॉरवर्ड कर देता है।

मैसेज सुनते ही निरीक्षक वर्षा पटेल कुछ ही मिनटों में स्टाफ के साथ मौके के लिए रवाना हो जाती हैं। गंतव्य तौरदरा गांव थाना निवास से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर था।

यहां एक युवक की लाश पड़ी थी। लाश देख पुलिस वाले हैरान रह गए। दोनों हाथ की कलाई और पैर के पंजे कटे हुए थे। गर्दन भी आधी लटकी हुई थी। बॉडी अधजली थी। शव की पहचान कर पाना भी मुश्किल था। तभी एक महिला रोती हुई सामने आई। वह थी सुखमत बाई। उसने बताया कि ये उसका पति बृजलाल बरकड़े है।

अगले दिन 26 अगस्त 2014 को सुबह होने पर मृतक के शव का पंचनामा बनाया गया। मौत का सही कारण जानने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए आरक्षक मनोहर नेटी के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निवास भेजा गया। डॉ. मनोज कुमार चौहान ने शव का पोस्टमार्टम किया।

पढ़िए, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या लिखा था मैंने बृजलाल के शव को पहली बार दोपहर 12.30 बजे देखा था। तब उसके शरीर पर कोई कपड़ा मौजूद नहीं था। शरीर अलग-अलग हिस्सों में कटा हुआ था। बृजलाल के शरीर में सिर का भाग, छाती, पेट, दोनों हाथ और दोनों जांघें बची हुई थीं। उसके दोनों पैर के पंजे, दोनों हाथ की हथेलियां नहीं थीं।

शरीर की हड्डियों का पूरा ढांचा भी नहीं था। जलने के कारण बृजलाल के शरीर की दोनों बाहें और दोनों पैर अकड़कर मुड़ गए थे। शरीर को घुटने से और हाथ की कलाई के पास से धारदार हथियार से काटा गया था। उसका आधा सिर ऊपर की ओर से कटा हुआ था।

दोनों आंखें बुरी तरह जल गई थी। गहरे घाव के निशान गर्दन के दाहिनी ओर मौजूद थे। पूरा शरीर गहराई तक जला हुआ था। शरीर से जलने की बदबू और मिट्‌टी के तेल की महक भी आ रही थी। बृजलाल के शरीर पर कई घाव किए गए थे, जिससे उसका काफी खून बह गया था। कंठ, फेफड़े, मुंह सब जल चुका था।

पुलिस के सामने सवाल- आखिर इतनी बेरहमी क्यों? डॉक्टर की रिपोर्ट से पुलिस को साफ हो गया कि यह सिर्फ हत्या नहीं, नृशंसता की हद थी। पर सवाल यह था कि बृजलाल को इतनी बेरहमी से मारने वाला कौन था? और क्यों?

सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पुलिस ने बृजलाल की पत्नी सुखमत बाई बरकड़े से पूछताछ की। कांपती आवाज में उसने जो बताया, वह एक ‘झाड़-फूंक’ के नाम पर की गई योजनाबद्ध नरबलि थी। उसकी कहानी ने जांच को एक नया मोड़ दे दिया।

क्या हुआ था उस रात, जानिए पत्नी की जुबानी मैं ग्राम बदगिरी जिला डिंडौरी की रहने वाली हूं। मेरा 15 साल का बेटा है, जिसका नाम सचिन है। वो शरीर से कमजोर है। 25 अगस्त 2024 को मैं पति बृजलाल और सचिन के साथ ग्राम तौरदरा में अपने ममेरे भाई होलकर मरावी के घर आई थी। ग्राम तौरदरा में कुछ लोग झाड़-फूंक करते हैं। उन्हीं के पास बेटे को लाई थी।

भाई होलकर मरावी, पति और बेटा हम सभी झाड़-फूंक के लिए गांव में ही रात को मुकेश के घर गए। उस समय मुकेश के घर में गांव के काफी लोग इकट्‌ठा थे। हारमोनियम, ढोलक से भजन कीर्तन हो रहा था।

सचिन बीमार रहता है इसलिए उसे कीर्तन में ले गए। तभी मुकेश गौड़, गेंद सिंह, डुमारी सिंह, पार्वती बाई, पुसिया बाई और सुरतिया बाई को भाव (दैवीय शक्ति का प्रभाव) आ गए थे।

सभी हाथ में त्रिशूल, फरसा, बाना लेकर दैवीय शक्ति के प्रभाव में नाच रहे थे। मैं पति और बेटे के साथ झाड़-फूंक कराने के लिए आंगन में नारियल और अगरबत्ती लेकर बैठी थी। अचानक सुरतिया बाई नाचते हुए आई और पति बृजलाल बरकड़े का हाथ पकड़कर घसीटने लगी। उसी समय पार्वती बाई, पुसिया बाई, भागवती बाई, मुकेश गौड़, डुमारी सिंह, गेंद सिंह गौड़ नाचते हुए आए और बृजलाल के साथ मारपीट करने लगे।

गेंद सिंह पति की छाती पर पैर रखकर तमूरा बजाता नाच रहा था। मैं पति को बचाने के लिए चिल्ला रही थी। भाई होलकर भी गांव वालों से चलकर बचाने के लिए कह रहा था। मगर कोई भी बचाने के लिए नहीं आया।

इस बीच सभी ने मुकेश के घर से मिट्‌टी का तेल लाकर पति के शरीर के ऊपर डाल दिया। मुकेश और गेंद सिंह ने माचिस से आग लगा दी। ऊपर से लकड़ी रख दी। आंखों के सामने पति का शरीर जलता देख मैं डर गई। भागकर लेमन सिंह के घर जाकर छुप गई। मुझे लगा कि ये लोग मुझे और मेरे बच्चे को भी मार देंगे। लेमन सिंह और भाई होलकर ने पुलिस को घटना की सूचना दी।

मृत्युदंड देने की बात कहकर किया हमला बृजलाल की पत्नी के बाद पुलिस ने उसके ममेरे भाई होलकर मरावी से पूछताछ की, जिसके यहां पति-पत्नी अपने बेटे को लेकर आए थे। उसने पुलिस को बताया कि घटना के एक दिन पहले वो बृजलाल के घर बदगिरी गया था।

उसने बृजलाल और बहन सुखमत बाई को बताया था कि पार्वती बाई को देवी आती हैं यानी ईश्वरीय शक्ति देवी के रूप में खुद पार्वती बाई के शरीर में प्रकट होती हैं। वो झाड़-फूंक करती है, इसलिए दोनों सचिन को लेकर उसके घर आए थे। वहां सभी कहने लगे कि बृजलाल को मृत्युदंड देंगे और बुरी तरह से मारपीट करने लगे।

घटना के बारे में लेमन सिंह को उसने बताया था, फिर दोनों घटनास्थल से मुकेश के घर के लिए आ रहे थे तो रास्ते में दयाराम मिला।

पुलिस पूछताछ में गांव वालों ने साधी चुप्पी अब पुलिस को ये समझ आ गया था कि यह सिर्फ अंधविश्वास की उपज नहीं थी, बल्कि एक गहरी साजिश थी। बृजलाल एक बलि का बकरा था, जिसे ‘दैवीय संकेत’ के नाम पर चुना गया। उसकी हत्या एक सामूहिक उन्माद का परिणाम थी, जहां धर्म की आड़ में हैवानियत छुपी थी।

गांव वालों से पूछताछ हुई। ज्यादातर ने चुप्पी साध ली। कुछ ने कहा- देवी के खिलाफ कैसे बोलें? पुलिस को समझ आ गया था कि इस गांव में सिर्फ आरोपी ही नहीं, सैकड़ों ‘मूक सहमति देने वाले गवाह’ भी थे। शुरुआती गवाही और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने छह लोगों काे आरोपी बनाया।

इन सभी के खिलाफ साजिश, हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में केस दर्ज हुआ। गांव में डर का माहौल था। गवाह चुप थे और आरोपी खुले में घूम रहे थे। पुलिस को विश्वास था कि अगर समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो एक और बृजलाल मारा जाएगा।

क्राइम फाइल्स पार्ट 2 में जानिए इन सवालों के जवाब

– क्यों दी गई निर्दोष की बलि?

– कैसे पुलिस ने धर्म और हत्या के जाल को खोला?

– क्या पार्वती बाई वाकई देवी बन चुकी थी या सिर्फ मासूमों को डराकर मौत के घाट उतार रही थी?

– कौन था इस हत्या का मास्टरमाइंड?

– कैसे पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए?

– आखिर में कोर्ट ने आरोपियों को छोड़ दिया या सजा सुनाई?

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