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India-UK Trade Deal: भारत ने यूके के ऑटो एक्सपोर्टर्स को केवल बड़ी पेट्रोल, डीजल और महंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर ही इंपोर्ट ड्यूटी की छूट दी है. छोटी और मिड साइज कारों पर कोई छूट नहीं मिलेगी.
हाइलाइट्स
- भारत-यूके व्यापार समझौते में छोटी कारों पर छूट नहीं मिलेगी.
- महंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर ही इंपोर्ट ड्यूटी की छूट दी गई है.
- 2030 तक इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड वाहनों पर कोई रियायत नहीं.
5 साल तक छूट नहीं
समझौते के पहले 5 सालों के लिए इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड या हाइड्रोजन-पावर्ड व्हीकल्स को कोई रियायत नहीं दी गई है. यानी 2030 तक इलेक्ट्रिक कारों, हाइब्रिड या ग्रीन फ्यूल व्हीकल्स पर छूट नहीं मिलेगी. हालांकि वर्तमान में यूके से कोई भी बजट कारें इंपोर्ट नहीं की जाती है. मगर इस टाइम फ्रेम में फ्यूचर में अगर ऐसे मॉडल यूके से भारत लाए जाते हैं तो उन्हें इंपोर्ट ड्यूटी पर छूट नहीं मिलेगी.
इस समझौते के तहत, भारत ने यूके को ऑटोमोबाइल क्षेत्र में चरणबद्ध और कोटा-बेस्ड लिब्रलाइ की पेशकश की है, जो कम्प्लीटली बिल्ट यूनिट्स (CBU) तक सीमित है. इनमें पेट्रोल-डीजल (ICE) व्हीकल और ग्रीन फ्यूल व्हीकल जैसे इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और हाइड्रोजन-पावर्ड मॉडल शामिल हैं, हालांकि, अभी शुरुआती दौर में ग्रीन फ्यूल व्हीकल जैसे इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और हाइड्रोजन-पावर्ड मॉडल्स इस रियायत से बाहर हैं.
5 साल बाद मिलेगी छूट
इलेक्ट्रिक वाहनों समझौते के छठे साल से टैक्स में छूट मिलेगी., और तब भी केवल उन लक्जरी मॉडलों के लिए होगी जिनकी कीमत £80,000 से ज्यादा है. £40,000 से कम कीमत वाले वाहन, जिसमें ज्यादातर मास-मार्केट ईवी आते हैं, इन्हें जानबूझकर टैक्स रिलीफ से बाहर रखा गया है. आपको बता दें कि भारत और यूके के बीच हाल ही में फ्री ट्रेड एग्रिमेंट पर साइन किए गए हैं जिससे सिर्फ कार ही नहीं, दोनों के बीच एक्सपोर्ट-इंपोर्ट किए जाने वाले कई सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाया जाएगा.