जबलपुर: संगमरमरी वादियों वाला आध्यात्म-राजनीति और वैज्ञानिक महत्व का खूबसूरत शहर | jabalpur – News in Hindi

जबलपुर: संगमरमरी वादियों वाला आध्यात्म-राजनीति और वैज्ञानिक महत्व का खूबसूरत शहर | jabalpur – News in Hindi


जबलपुर. जबाली ऋषि की तपोभूमि संस्कारधानी जबलपुर (Jabalpur) अपने पौराणिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व भर में एक अलग पहचान रखती है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की संस्कारधानी के साथ-साथ इस शहर को न्यायधानी का दर्जा भी दिया गया है. मां नर्मदा के किनारे बसे इस शहर का धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है. जबलपुर को महर्षि जबाली की तपोभूमि कहा जाता है. मान्यता तो यह भी है कि जबलपुर में भगवान श्रीराम (Lord Rama) ने रामेश्वर की ओपनिंग की स्थापना की. नर्मदा (Narmada) जो विश्व की सबसे प्राचीन नदी है. जबलपुर से होकर गुजरती है और इसका सबसे बड़ा जलप्रपात धुआंधार भी जबलपुर में ही है. इस लिहाज से जबलपुर का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है.

आध्यात्मिक महत्व की बात करें तो जबलपुर की सरजमीन ने कई महान ऋषि मुनि और साधु संत दिए हैं. जिन्होंने समाज और देश का मार्गदर्शन किया है. आचार्य ओशो रजनीश से लेकर महर्षि महेश योगी तक विश्व मे ज्ञान और ध्यान के महत्व से परिचित कराने वाली महान शख्सीयतों का वास्ता जबलपुर शहर से जुड़ा हुआ है.

वैज्ञानिक महत्व भी
जबलपुर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देश का एक प्रमुख शहर कहा जाता है. क्योंकि जबलपुर में विश्व की सबसे पुरानी चट्टानें मौजूद हैं और डायनासोर के अंडे भी जबलपुर में ही मिल चुके हैं. संगमरमरी वादियों के बीच बसा भेड़ाघाट (Bhedaghat) विश्व पर्यटल स्थल माना जाता है. जहां देश विदेश से सैलानी आते हैं0 यहां कई बाॅलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. 21वीं सदी की अशोका हो या फिर रितिक रोशन अभिनित फिल्म मोहन जोदड़ो, भेड़ाघाट मे इन फिल्मे की शूटिंग हो चुकी है.

जबलपुर से विश्व की सबसे पुरानी नदियों में से एक नर्मदा बहती है.

राजनीति के अपने मायने
अब अगर हम जबलपुर के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इस लिहाज से भी जबलपुर देश की राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. जबलपुर में आजादी की अलख जगाने के लिए कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भी मशाल उठाई है. स्वतंत्रता के पहले जबलपुर में कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं. जैसे कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना और ऐसे ही न जाने कितनी घटनाएं हैं जिनका जिक्र आज भी इतिहास में होता है. जबलपुर की धरती ने कई बड़े-बड़े राजनेता दिए हैं. द्वारका प्रसाद मिश्र, शरद यादव जैसे नामी राजनेता जबलपुर की धरती ने दिए. जबलपुर भारतीय सेना के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण शहर है. क्योंकि जबलपुर में 6 आयुध निर्माणी है, जो भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार बनाने में सक्षम हैं. वर्तमान परिवेश में भी जबलपुर मध्य प्रदेश की राजनीति का एक अहम हिस्सा बन गया है.

वीरों की भूमि
महाकोशल अंचल की राजनीति का केंद्र जबलपुर यूं तो जाबालि ऋषि की तपोभूमि माना जाता है, किन्तु ये संत परम्परा के साथ-साथ वीरों की भी भूमि है. करीब साढ़े चार सौ साल पहले अपनी अस्मिता के खिलाफ मुगलों से लड़ने वाले गौंड राजवंश की  महारानी दुर्गावती के बलिदान से जो परम्परा शुरू हुई तो 1857 के संग्राम और बाद में आजादी के आंदोलन में भी जबलपुर ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

Madhya Pradesh

ऐतिहासिक दृष्टि से भी जबलपुर का अपना अलग महत्व है.

ऐतिहासिक महत्व
नर्मदा के पावन जल को चूमने वाले जबलपुर के रज की ताशीर भी कुछ अलग सी है. इतिहास में रुचि रखने वाले जानते हैं कि सन 1939 में यहां आयोजित त्रिपुरी कांग्रेस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैसे महात्मा गाँधी समर्पित पट्टाभि सीतारमैया को हराकर कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. इसके बाद ही गांधी जी से मतभेद के चलते नेताजी ने कांग्रेस छोड़ कर आजादी के आंदोलन की अलग राह पकड़ी थी. आचार्य विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन में जबलपुर के लोगों बढ़ चढ़ कर भाग लेने के बाद इसे संस्कारधानी की संज्ञा दी थी. ये आचार्य रजनीश और महर्षि महेश योगी की भी तपोभूमि है. उनकी यादें आज भी जबलपुर के कोने-कोने में बसी है.

आजादी के बाद का जबलपुर
बात आजादी के बाद की राजनीति की होगी तो फिर मध्य प्रदेश के तेज तर्रार मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र को कैसे भुलाया जा सकता है, जिन्होंने कभी इंदिरा गांधी को भी त्योरियां दिखा दी थी. जेपी आंदोलन का पहला प्रयोग भी जबलपुर में ही किया गया, जब समाजवादी आंदोलन से जन्मे शरद यादव पीपुल्स कैंडिडेट के रूप में चुनाव लड़े और पहली बार कांग्रेस के गढ़ को भेद कर लोकसभा पहुंचे. यहां से जो कांग्रेस ने अपना जनाधार खोया तो फिर उस दौर में कभी नहीं पा सकी.

शिक्षा और जबलबपुर
जबलपुर शिक्षा का बड़ा केंद्र भी है. यहां मेडिकल, एग्रीकल्चर, वेटरेनरी, लॉ के साथ एक जनरल यूनिवर्सिटी भी है. इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट और धुआंधार जलप्रपात भी जबलपुर के लिए कुदरत की सौगात है. जबलपुर गढ़मंडला राज्य का केन्द्र माना गया है. जबलपुर को 52 ताल तलैयों का शहर भी कहा जाता है, जो इसकी विरासत है, इसकी पहचान है. इसका श्रेय वीरांगना रानी दुर्गावती को जाता है. उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने ससुर के नाम पर संग्राम सागर, अपने नाम पर रानीताल और अपने रियासत के दीवान आधार सिंह के नाम पर आधारताल तालाब बनवाया. इसके साथ ही शहर मे बावड़ी मठ कुंए और मंदिर का निर्माण भी करवाए. वीरांगना के बलिदान और त्याग को देश कभी भी नहीं भुला सकता.

खानपान की भी अलग पहचान
अगर बात खानपान की करें तो शहर के कई स्वादिष्ट और लजीज व्यंजन ऐसे हैं, जो विश्व में कहीं नहीं मिलते. जबलपुर की सबसे प्रसिद्ध खोवा की जलेबी मानो देश विदेश तक मशहूर है. कमलनाथ सरकार में इसके पेटेंट की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी. शहर के प्राचीन बड़ा फुहारा इलाके में खोए की जलेबी विशेष तौर पर बनाई जाती हैं.





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