.
श्योपुर के विशेष न्यायालय के जज एलडी सोलंकी ने हत्या के एक मामले में फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणी की है। दरअसल, श्योपुर में पिछले साल 6 मई को एक बेटे ने प्रॉपर्टी के लिए अपनी मां की बेरहमी से हत्या कर दी थी। बेटे ने मां को मारने के लिए पहले सीढ़ियों से धक्का दिया। मां जब घायल हो गई तो उसने लोहे की रॉड से हमला कर सिर फोड़ दिया। इसके बाद उसने उसी की साड़ी से गला भी घोंटा।
मां की मौत के बाद उसे बाथरूम में ही चबूतरा बनाकर दफना दिया। 14 महीने तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस बताते हुए आरोपी दीपक पचौरी को फांसी की सजा सुनाई है। इस पूरे केस की खास बात ये रही कि दीपक को उसकी मां की हत्या करते हुए किसी ने नहीं देखा था।
कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही सजा सुनाई है। इस दौरान पुराने फैसले और धर्म ग्रंथों में लिखे संदर्भों का भी जिक्र किया है। पढ़िए रिपोर्ट
केस के 5 अहम पॉइंट्स
1. गवाहों के बयान एक दूसरे से मैच हुए इस पूरे केस में 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए जिसमें से 6 गवाह उषा देवी के परिचित और रिश्तेदार थे। इन सभी के बयानों में कोई विरोधाभास नहीं था। उषा देवी के भतीजे संजय शर्मा, सुनील दत्त शर्मा, नंदोई रामबाबू शर्मा, भाई गिर्राज शुक्ला, अशोक शुक्ला, किराएदार पुरुषोत्तम राठौर ने लगभग एक ही बात कही। उन्होंने बताया कि उषा की गुमशुदगी की दीपक ने कोई सूचना नहीं दी थी।
2. किराएदार ने कहा- एक दिन पहले झगड़ा हुआ था किराएदार पुरुषोत्तम राठौर की गवाही भी अहम रही। पुरुषोत्तम ने बताया कि 5 मई की शाम पांच बजे जब वह घर पहुंचा था तो उषा देवी और आरोपी दीपक के बीच झगड़ा हो रहा था। उषा देवी ने उसे बताया था कि दीपक ने अलमारी और घर के कमरे के ताले तोड़ दिए है। आरोपी और कोई नुकसान न करे इसलिए उसने दीपक से ग्राइंडर छुड़ा लिया था। इसी बीच दीपक उषा देवी से हाथापाई करने लगा और उसने धक्का देकर उन्हें गिरा दिया था।

ये वो बाथरूम है जहां से 9 मई 2024 को पुलिस ने उषा देवी का शव बरामद किया था।
3. शाम को उषा पूछने नहीं आई तो शक हुआ पुरुषोत्तम ने बताया कि दूसरे दिन 6 मई को सुबह साढ़े आठ बजे वह अपने काम पर चला गया था। शाम को साढ़े पांच बजे वापस लौटा तो उसने देखा कि फर्श गीला है और बाथरूम के नल टूटे हैं। उसने दीपक से कहा कि नल क्यों तोड़ा?तो उसने कहा कि नल से पानी गिर रहा था, इसलिए गुस्से में तोड़ दिया।
वह फ्रेश होकर दुकान पर चला गया। साढ़े आठ बजे जब घर लौटा तो उषा देवी उसे देखने नहीं आई, जबकि वह रोज आती थी। उसने दीपक से पूछा तो उसने बताया कि वह तो अस्पताल गया था। पुरुषोत्तम ने उससे अस्पताल का पर्चा मांगा लेकिन वो दिखा नहीं पाया। इसके बाद पुरुषोत्तम ने उषा बाई के रिश्तेदारों को कॉल कर उनके गायब होने की सूचना दी थी।

आरोपी दीपक ने मां की हत्या करना कबूल किया था। उसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
4. पुलिस के थप्पड़ के बाद हत्या कबूल की सभी गवाहों ने कोर्ट में ये भी बताया कि 8 मई को जब सर्चिंग के लिए पुलिसकर्मी दीपक के घर पहुंचे थे तो वह बार-बार बयान बदल रहा था। इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने उसे थप्पड़ मारा। इसके बाद दीपक ने कबूल किया कि उसी ने मां की हत्या कर उसे बाथरूम में चबूतरे के नीचे दफना दिया है। 9 मई को पुलिस ने चबूतरे की खुदाई कर उषादेवी की लाश को बाहर निकाला था।
5. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट से मौत होना आया कोर्ट ने उषा देवी की लाश का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर संजय मंगल की रिपोर्ट को अहम माना है। 6 पन्नों की रिपोर्ट में डॉक्टर ने बताया कि उषादेवी के सिर पर अलग-अलग चोटें थीं जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। ये चोटें किसी सख्त वस्तु से पहुंचाई गई थीं। यानी उषा देवी की हत्या की गई थी।

वो तीन पॉइंट्स जिसमें कोर्ट ने माना कि बेटे ने ही की हत्या
1. सबूतों की चेन आरोपी के खिलाफ साबित हुई बचाव पक्ष के वकील की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि मृतिका को सीढ़ियों से धक्का देते, सिर में सरिए से वार करते और साड़ी से फंदा बनाकर गला घोंटते हुए आरोपी को किसी ने नहीं देखा। न ही ये देखा कि उसने चबूतरा बनाकर लाश को छिपा दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये बिल्कुल सही बात है कि कोई भी मौके पर मौजूद नहीं था।
कोर्ट ने कहा कि ये साबित हुआ कि आरोपी को उषा देवी और उनके पति ने गोद लिया था। उसे पढ़ाया लिखाया। उषा देवी के पति ने रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिला उसमें अपने बेटे को नॉमिनी बनाया। उनके निधन के बाद उसे जो 17 लाख रुपए मिले, उसने शेयर मार्केट में गंवा दिए। मृतका के नाम से जो एफडी थी उसमें आरोपी नॉमिनी था और उसे पाने के लिए रोज झगड़ा करता था। इसी वजह से उसने हत्या की।

2. आरोपी साबित नहीं कर सका कि मां के साथ क्या हुआ कोर्ट ने लिखा कि जब मृतिका घर पर अकेली थी तो उसका बेटा मौके पर मौजूद था। किराएदार पुरुषोत्तम राठौर ने आरोपी को देखा था। ऐसे में श्यामलाल घोष बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल के फैसले में ये कहा गया है कि अंतिम बार साथ देखे जाने की स्थिति यदि अभियोजन की तरफ से साबित कर दी गई हो तब आरोपी को खुद साबित करना होता है कि वास्तव में मृतक के साथ हुआ क्या था?
यदि आरोपी इस संबंध में स्थिति साफ करने में नाकाम होता है तब आरोपी के खिलाफ दोषी होने का अनुमान निकाला जाना गलत नहीं होगा। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि जब मृतिका घर में अकेली थी तो उसने बहाना क्यों बनाया कि वह मंदिर गई है? इसका कोई स्पष्टीकरण आरोपी ने नहीं दिया।

मृतक ऊषा पचौरी (ब्लैक एंड व्हाइट) जिन्होंने बेटे को उस समय गोद लिया जब वो 2 साल का था।
3. जिस जगह से शव मिला वो आरोपी के अधिकार में थी कोर्ट ने कहा कि जिस बाथरूम से उषा देवी का शव बरामद हुआ वो आरोपी और उसकी मां के आधिपत्य में थी। यानी यहां किसी तीसरे व्यक्ति का दखल नहीं था। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा कि सिर पर चोट लगने से उषा देवी की मौत हुई। जिस लोह के सरिए से उषा देवी को मारा वह आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने जब्त किया।
दूसरी तरफ आरोपी के पास से जो जेवर मिले वो उसकी मां के थे ये रिश्तेदारों ने अपने बयान में कहा है। कोर्ट ने ये भी कहा कि उस समय ऐसी कोई परिस्थितियां भी नहीं बनी थीं, जिससे ये साबित हो कि गुस्से में आकर या फिर अन्य किसी वजह से आरोपी ने मां का कत्ल किया। ये पैसे और जेवर पाने के लिए सोची समझी साजिश थी।

मां को मारने वाला नृशंस प्रकृति का अदालत ने कहा, आरोपी यह जानते हुए कि मां का नॉमिनी है। मां की मौत के बाद सारी दौलत उसे ही मिलना है। उसने पैसे और गहनों के लिए निर्मम तरीके से मां की हत्या की। ऐसी स्थिति में आरोपी किसी भी स्थिति में दया का पात्र नहीं है। यह अपराध एक नृशंस प्रकृति का है।
अपर सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने दीपक को दोषी करार देते हुए हिंदू धर्मग्रंथ रामचरित मानस, सिख धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब, ईसाई धर्म की सबसे पवित्र किताब बाइबिल और कुरान की भी मिसाल दी। कोर्ट ने कहा, सभी धर्म ग्रन्थ बुढ़ापे तक माता-पिता की सेवा करने की बात कहते हैं।
जिस बेटे पर माता-पिता की रक्षा का दायित्व है वो रक्षक ही भक्षक बना जाए तो माता पिता उस संतान का लालन पालन क्यों करेंगे। यदि बागड़ ही खेत खाने लगे तो फिर किसान किस पर भरोसा करेगा। आरोपी के खिलाफ नरम रुख अपनाया तो कोई निसंतान माता पिता किसी अनाथ को गोद नहीं लेंगे। समाज में इसका गलत असर पड़ेगा।

जज एल डी सोलंकी ने अपने फैसले में धर्मग्रंथों के संदर्भों का उल्लेख किया।