शुभमन गिल के पास सचिन बनने का मौका, 35 साल पहले मास्टर के शतक ने बचाई थी हार

शुभमन गिल के पास सचिन बनने का मौका, 35 साल पहले मास्टर के शतक ने बचाई थी हार


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चौथे टेस्ट में दो नतीजे संभावित हैं एक इंग्लैंड की जीत और दूसरा ड्रॉ, जिसका मतलब होगा कि भारत शानदार बल्लेबाज़ी करेगा और मैच बचा लेगा. ये परिस्थिति तमाम क्रिकेट जानकारों को  सचिन तेंदुलकर और उनके पहले अंतरराष्ट…और पढ़ें

1990 में सचिन तेंदुलकर ने ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर शतक लगाया और मैच बचाया, शुभमन के पास इतिहास दोहराने का मौका
मैनचेस्टर. 1990 में ओल्ड ट्रैफर्ड के इसी मैदान पर सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था और आखिरी दिन भारत को मैच बचाने में मदद की थी. जिस पर 35 साल बाद भारतीय टीम फिर से टेस्ट बचाने के लिए संघर्ष कर रही है.  शुभमन गिल को भी इंग्लैंड को सीरीज़ जीतने से रोकने के लिए उसी मैदान पर कुछ ऐसा ही करना होगा जो सचिन ने किया था. गिल 167 गेंद खेल कर 78 रन और के राहुल 210 गेंद पर 87 रन बनाकर क्रीज पर है और दोनों के बीच 373 गेंद पर 174 रन की साझेदारी हो चुकी है.

चौथे टेस्ट में दो नतीजे संभावित हैं एक इंग्लैंड की जीत और दूसरा ड्रॉ, जिसका मतलब होगा कि भारत रविवार को शानदार  बल्लेबाज़ी करेगा और मैच बचा लेगा. ये परिस्थिति तमाम क्रिकेट जानकारों को  सचिन तेंदुलकर और उनके पहले अंतरराष्ट्रीय शतक की याद दिलाती है. 1990 में ओल्ड ट्रैफर्ड में लगाया गया यह शतक मैच बचाने वाला था, और अगर शुभमन गिल सीरीज़ को ज़िंदा रखना चाहते हैं तो उन्हें भी यही दोहराना होगा.

जब सचिन बने थे संकटमोचक 

100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाने वाले  सचिन तेंदुलकर के जेहन में आज भी ओल्ड ट्रफर्ड पर खेली गई वो पारी याद है जिसका जिक्र वो कई बार कर चुके है. भारत को मैच बचाने के लिए अंतिम दिन पूरा बल्लेबाजी करनी थी पर शुरुआत भारत के लिए अच्छी नहीं हुई थी. अजहरुद्दीन 127 के स्कोर पर आउट हो गए और कपिल देव को एडी हेमिंग्स ने यॉर्कर से आउट कर दिया, जब कुल स्कोर 183 था. प्रभाकर और सचिन क्रीज पर थे और उन्होंने मैच बचाने की ठान ली. . मैच बचाने के लिए ज़रूरी है कि छोटे लक्ष्य निर्धारित किए जाएँ और उन्हें हासिल किया जाए. ये अगले पाँच ओवर, अगले एक घंटे या एक सेशन जितने छोटे भी हो सकते हैं. सचिन ने मनोज प्रभाकर के साथ बड़ी साझेदारी की और अपना पहला शतक भी लगाया.  शतक के बाद स्टेडियम या ड्रेसिंग रूम में बल्ला उठाने में उस समय सचिन को खुशी से ज़्यादा शर्मिंदगी महसूस हुई थी. सचिन को पहले शतक से ज्यादा  खुशी   भारत के लिए मैचाने की थी.

हीरो बनने का मौका 

ओल्ड ट्रैफर्ड में भी, शुभमनऔर  भारत को वहीं करना होगा जो सचिन ने 35 साल पहले किया था. यह  मुश्किल हो सकता है क्योंकि अभी एक दिन यानि 90 ओवर का खेल बाकी हैं.  मौसम की वजह से बल्लेबाजी सत्र अहम होंगे. बिना विकेट के दो घंटे इंग्लैंड को निराश करेंगे और भारत को विश्वास होना चाहिए कि वे यह मैच बचा सकते हैं. ऋषभ पंत की अनुपस्थिति में कप्तान को सबसे ज़्यादा आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा. उन्होंने लीड्स और बर्मिंघम में ऐसा किया था और उन्हें एक बार फिर ऐसा करना होगा. सचिन ने यहीं से शुरुआत की थी जब वे बल्लेबाजी क्रम में छठे नंबर पर थे. गिल अब चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं. उनके पास हीरो बनने का मौका है। कुछ ऐसा करो जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा.

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