छात्र ने चौथी मंजिल से कूदकर सुसाइड किया था।
रीवा के 21 वर्षीय एमबीबीएस छात्र शिवांश गुप्ता की 5 जून को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरने से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया, जबकि परिजनों ने इसे हत्या बताते हुए सीब
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अब इस मामले में एक सामाजिक संगठन द्वारा भेजे गए पत्र पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोक शिकायत विभाग ने संज्ञान लिया है।
गढ़ा थाना प्रभारी प्रसन्न शर्मा ने बताया
पुलिस ने सभी एंगल पर जांच की है और साथियों से पूछताछ भी की गई है। एंटी रैगिंग सेल की रिपोर्ट में भी रैगिंग की पुष्टि नहीं हुई है। जांच अभी जारी है और परिजनों से दोबारा बयान लिए जाएंगे।

घटना की सूचना मिलते ही मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना, अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा सहित अन्य स्टाफ मौके पर पहुंचे थे।
मानव अधिकार संगठन ने की CBI जांच की मांग
मानव अधिकार व अपराध नियंत्रण संगठन, जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. अजय वाधवानी द्वारा गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेजे गए पत्र के बाद मामला अब केंद्रीय लोक शिकायत व कार्मिक मंत्रालय तक पहुंच चुका है। विभाग अब मध्यप्रदेश सरकार से पत्राचार करेगा। यदि राज्य सरकार सहमति देती है, तो मामले की सीबीआई जांच का रास्ता खुल सकता है।
मौत से तीन दिन पहले नई बाइक खरीदी थी
शिवांश गुप्ता ने नीट यूजी 2023 में 700 में से 660 अंक लाकर स्टेट रैंक 373 प्राप्त की थी। वह जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र था। परिजनों का आरोप है कि उसने मौत से तीन दिन पहले नई बाइक खरीदी थी, जिससे सीनियर छात्र नाराज थे और इसी बात को लेकर रैगिंग व मारपीट की गई।
रैगिंग के बाद मानसिक दबाव में था छात्र
परिजनों के अनुसार, नई बाइक लेकर हॉस्टल लौटने पर सीनियरों ने शिवांश को तीन घंटे तक हॉस्टल के बाहर रोक कर रखा, उसके साथ मारपीट की और रैगिंग की। छात्र ने यह बात अपनी मां को फोन पर बताई थी। इसके बाद वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था। हॉस्टल के सामने चाय की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने भी बताया कि वह बेहद तनाव में था।
शिवांश की मौत पर उठे कई संदेह
परिवार का कहना है कि शिवांश की मौत आत्महत्या नहीं थी। जिस स्थान से वह गिरा, वहां लोहे की सरिया निकली हुई थी, लेकिन शरीर पर कोई गहरी चोट नहीं मिली। मौके पर सुसाइड नोट नहीं मिला, और गिरने की जगह पर खून के निशान भी नहीं थे, जिससे संदेह और गहरा गया है।
मोबाइल से भेजे गए संदिग्ध मैसेज
मृतक छात्र का मोबाइल गढ़ा थाना पुलिस के पास है। परिजनों का आरोप है कि मोबाइल अनलॉक था, जिससे कोई और भी उसका इस्तेमाल कर सकता था। कुछ संदिग्ध मैसेज भेजे गए, जो परिवार के अनुसार शिवांश ने नहीं भेजे। मोबाइल में एक लड़की का नंबर मिला है, लेकिन परिजन इसे सामान्य दोस्ती बता रहे हैं और मानते हैं कि इसे आत्महत्या से जोड़ना गलत है।
पिता बोले – पुलिस भटका रही जांच
शिवांश के पिता संतोष गुप्ता का आरोप है कि जबलपुर पुलिस मामले को जानबूझकर एक लड़की से जोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस न तो कॉल डिटेल दे रही है और न ही हॉस्टल के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए हैं। परिजनों को जांच पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।
जांच धीमी और तथ्यों को दबाया जा रहा
संगठन के अध्यक्ष डॉ. अजय वाधवानी ने कहा, “जबलपुर पुलिस की जांच धीमी है और तथ्यों को दबाया जा रहा है। हमने केंद्र से सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि शिवांश को आत्महत्या के लिए किसने उकसाया।” उन्होंने कहा कि यदि मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती, तो यह केस जल्द ही रफा-दफा कर दिया जाएगा।
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जबलपुर मेडिकल कॉलेज की हॉस्टल बिल्डिंग ले छात्र ने छलांग लगाकर खुदकुशी की।
जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट ने चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। छात्र शिवांश गुप्ता रीवा का रहने वाला था और पिछले कुछ दिनों से डिप्रेशन में था। गंभीर हालत में उसे इमरजेंसी यूनिट में भर्ती किया गया। यहां से फौरन आईसीयू में शिफ्ट किया गया लेकिन इलाज के दौरान गुरुवार दोपहर उसकी मौत हो गई। पूरी खबर पढ़ें…