हमने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया,” खंडेलवाल कहते हैं. विशेषज्ञों के साथ जगह का मुआयना करने के बाद, उन्होंने पाया कि सही कोशिश से सफलता मिल सकती है. इसके बाद, खंडवा नगर के प्रबुद्ध जनों की एक वृहद बैठक उसी स्थल पर आयोजित की गई. सभी के सकारात्मक विचारों और सहयोग की भावना ने ’श्री दादाजी त्रिवेणी विहार’ नामक एक टोली का निर्माण किया. गुरमीत सिंह उबेजा को संरक्षक बनाया गया, जिनके मार्गदर्शन में इस सपने को हकीकत में बदलने का काम शुरू हुआ.151 त्रिवेणियों का संकल्प: पितृों के नाम, पर्यावरण के लिए!यह सिर्फ़ पौधे लगाने का काम नहीं था, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और पर्यावरणीय संकल्प था. खंडेलवाल बताते हैं कि त्रिवेणी में नीम, पीपल और बरगद तीनों वृक्षों का धार्मिक महत्व है और एक ही स्थान पर इनके होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इन वृक्षों को हिंदू धर्म में पूजा जाता है और इन्हें एक ही गड्ढे में शास्त्रानुसार रोपित किया गया है.
हाल ही में, दिनांक 27 तारीख को इस त्रिवेणी विहार का एक वर्ष पूर्ण होने वाला है. इस अवसर पर अब तक रोपित की गई 128 त्रिवेणियों का पूजन होगा, और साथ ही नई 23 त्रिवेणियां इसी जगह पर लगाकर कुल 151 त्रिवेणियों का संकल्प पूरा किया जाएगा. भविष्य में इस स्थल पर पाथवे, छोटे-छोटे सरोवर, पक्षियों के लिए विशेष स्थान और एक भव्य मंदिर बनाने की भी योजना है, ताकि खंडवा के लिए एक बहुत सुंदर आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल विकसित हो सके.यह अनोखी पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और सामुदायिक भागीदारी से बंजर भूमि को भी कैसे एक हरियाली भरे नंदनवन में बदला जा सकता है.