सिर्फ पेड़ नहीं, श्रद्धा के बीज! खंडवा में पितृों के नाम लहलहाईं 151 त्रिवेणियां, 1 साल में दिखा हरियाली का कमाल

सिर्फ पेड़ नहीं, श्रद्धा के बीज! खंडवा में पितृों के नाम लहलहाईं 151 त्रिवेणियां, 1 साल में दिखा हरियाली का कमाल


खंडवा. सालों से बंजर पड़ी 7 एकड़ पथरीली जमीन अब हरियाली से लहलहा रही है! खंडवा शहर के एक जुनूनी ग्रुप ने अपनी अनोखी पहल से इस असंभव को संभव कर दिखाया है, जहां वन विभाग दो बार वृक्षारोपण में असफल रहा था, वहीं अब यहां सैकड़ों पौधे लहलहा रहे हैं, जिनमें से कई तो 7 फीट से भी ज़्यादा गहराई में लगाए गए थे. यह सिर्फ़ पेड़ नहीं, बल्कि शहर के नागरिकों द्वारा अपने पितृों की याद में रोपी गई ’त्रिवेणियां’ हैं – यानी एक साथ लगाए गए नीम, पीपल और बरगद के पवित्र वृक्ष.दादाजी त्रिवेणी विहार: एक सपना जो बन गया हकीकतइस असाधारण कार्य के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से चलने वाली पर्यावरण संरक्षण गतिविधि का हाथ है. विमल खंडेलवाल, जिला पर्यावरण संरक्षण सहयोग संयोजक, खंडवा, बताते हैं कि कैसे खंडवा जिले में काम करते हुए उनका ध्यान इस 6-7 एकड़ की पथरीली जमीन पर गया, जहाँ वृक्षारोपण के सभी प्रयास विफल रहे थे.

हमने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया,” खंडेलवाल कहते हैं. विशेषज्ञों के साथ जगह का मुआयना करने के बाद, उन्होंने पाया कि सही कोशिश से सफलता मिल सकती है. इसके बाद, खंडवा नगर के प्रबुद्ध जनों की एक वृहद बैठक उसी स्थल पर आयोजित की गई. सभी के सकारात्मक विचारों और सहयोग की भावना ने ’श्री दादाजी त्रिवेणी विहार’ नामक एक टोली का निर्माण किया. गुरमीत सिंह उबेजा को संरक्षक बनाया गया, जिनके मार्गदर्शन में इस सपने को हकीकत में बदलने का काम शुरू हुआ.151 त्रिवेणियों का संकल्प: पितृों के नाम, पर्यावरण के लिए!यह सिर्फ़ पौधे लगाने का काम नहीं था, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और पर्यावरणीय संकल्प था. खंडेलवाल बताते हैं कि त्रिवेणी में नीम, पीपल और बरगद तीनों वृक्षों का धार्मिक महत्व है और एक ही स्थान पर इनके होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इन वृक्षों को हिंदू धर्म में पूजा जाता है और इन्हें एक ही गड्ढे में शास्त्रानुसार रोपित किया गया है.

लगभग एक वर्ष पूर्व, इंदौर रोड पर दादाजी कॉलेज के सामने की इस 7 एकड़ भूमि पर पौधारोपण का निर्णय लिया गया. यह तय हुआ कि जनसहयोग से त्रिवेणियों का रोपण किया जाए और लोग अपने पूर्वजों के नाम से इसमें सहयोग करें. सबसे बड़ी चुनौती थी इस पथरीली जमीन पर गड्ढे खोदना. मशीनों के माध्यम से कठोर पत्थरों को हटाया गया और फिर पौधे लगाए गए. एक साल में 10-12 फीट के हुए पौधे, अब मंदिर और सरोवर की योजनागुरमीत सिंह उबेजा, संयोजक, दादाजी त्रिवेणी विहार, बताते हैं कि यह एक दृढ़ इच्छाशक्ति और टीम के अथक प्रयासों का परिणाम है. ”हमें खुशी है कि आज एक वर्ष बाद हम इस चुनौती भरे कार्य को पूर्ण रूप से सफल होकर देख रहे हैं,” वे कहते हैं.नियमित देखरेख के लिए वहां ट्यूबवेल लगाया गया, ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की पूरी व्यवस्था की गई और एक व्यक्ति को देखभाल के लिए रखा गया है. मिशन ग्रीन के सदस्य भी नियमित रूप से वहां जाकर देखरेख करते हैं.

हाल ही में, दिनांक 27 तारीख को इस त्रिवेणी विहार का एक वर्ष पूर्ण होने वाला है. इस अवसर पर अब तक रोपित की गई 128 त्रिवेणियों का पूजन होगा, और साथ ही नई 23 त्रिवेणियां इसी जगह पर लगाकर कुल 151 त्रिवेणियों का संकल्प पूरा किया जाएगा. भविष्य में इस स्थल पर पाथवे, छोटे-छोटे सरोवर, पक्षियों के लिए विशेष स्थान और एक भव्य मंदिर बनाने की भी योजना है, ताकि खंडवा के लिए एक बहुत सुंदर आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल विकसित हो सके.यह अनोखी पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और सामुदायिक भागीदारी से बंजर भूमि को भी कैसे एक हरियाली भरे नंदनवन में बदला जा सकता है.



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