भोपाल. बारिश का मौसम, झरनों की कलकल और सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़-भोपाल और उसके आसपास के प्राकृतिक स्पॉट्स अब सुकून के नहीं, बल्कि रिस्क के अड्डे बन चुके हैं. महादेव पानी, कलियासोत डेम, केरवा डेम, हथाईखेड़ा, हलाली डेम, कठौतिया, झिरी और बुधनी घाट जैसे लोकेशन प्रशासन की ‘नो एंट्री’ लिस्ट में हैं. लेकिन न्यूज़18 की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि ये रोक केवल फाइलों और गेट के एक सांकेतिक ताले तक ही सीमित है. प्रशासन हर मानसून आदेश जारी करता है कि इन क्षेत्रों में एंट्री बैन है, लेकिन अमल नहीं होता. गार्ड ड्यूटी पर नहीं रहते, पुलिस सिर्फ मौखिक चेतावनी देती है और कोई ठोस निगरानी नहीं होती. न्यूज़18 ने देखा कि कई स्थानों पर तो कोई सुरक्षाकर्मी तक मौजूद नहीं था.
राजधानी के कलियासोत डेम में जहां खतरा, यहां मगरमच्छ हैं का बोर्ड लगा था, ठीक उसी स्थान पर युवा नहाते और मस्ती करते मिले. वहीं केरवा डेम के मौत के कुएं के पास वाले इलाके में कई जगह युवक-युवतियां मौज मस्ती करते, पानी में उछल कूद करते, फोटो खिंचवाते नजर आए. ऐसे ही कठौतिया और बुधनी घाट में ट्रैकिंग करने और बाबा मृगेंद्र नाथ का प्राचीन मंदिर तक जाने के लिए युवा रिस्क ले रहे हैं. सीहोर जिले के शाहगंज के नजदीक स्थित अमरगढ़ वॉटरफॉल में भी युवा पहुंच रहे हैं.
यहां ऊंचे पहाड़ों से गिरता झरना जितना खूबसूरत है, उतना ही खतरनाक भी. प्रशासन ने यहां मुख्य रास्ता बंद किया हुआ है, लेकिन पास के कच्चे रास्ते से लोग बेधड़क अंदर जा रहे हैं. न्यूज़18 की टीम जब मौके पर पहुंची, तो कई युवतियां फिसलन भरी चट्टानों पर खड़ी होकर वीडियो शूट कर रही थीं. वहीं कई लड़के-लड़कियां बरसाती झरने में नहा रहे थे. यहां मौज-मस्ती और हल्ला गुल्ला हो रहा था. इतना ही नहीं महादेव पानी से पहले भी छोटे नाले पर भी युवाओं का जमघट लगा हुआ था.
कुछ दिन पहले यहां एक युवक की डूबने से मौत हुई थी. लेकिन जब हम पहुंचे, तो सैकड़ों की भीड़ मौजूद थी. ‘मगरमच्छ हैं’ जैसे चेतावनी बोर्ड लगे हैं, फिर भी युवतियां पानी में उतरकर रील्स बना रही थीं. यह सनक न सिर्फ उनकी जिंदगी के लिए खतरनाक है, बल्कि दूसरों को भी खतरे के मुहाने पर ले जा रही है.
केरवा डेम: पुलिस नदारद, एडवेंचर जारी
केरवा डेम के झूला पुल और बैकसाइड क्षेत्र को प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन बैरिकेडिंग फॉर्मेलिटी बनकर रह गई है. लोग आराम से घूम रहे हैं. पुलिस और वन विभाग की टीम कहीं नजर नहीं आई. गार्ड एक-दो हैं, वो भी केवल गेट पर, जबकि बगल का रास्ता पूरी तरह खुला है. यह क्षेत्र ‘टाइगर प्रोन’ घोषित है-यहां बाघ के शिकार की घटना सामने आ चुकी है, इसके बाद भी युवा जोखिम ले रहे हैं.
बुधनी घाट: ट्रैकिंग का नया पागलपन
यह जगह अब खतरनाक ट्रैकिंग स्पॉट बन चुकी है. लोग नदी के तेज बहाव और गीली चट्टानों की परवाह किए बिना ऊपर तक चढ़ रहे हैं. यहां भी कोई सुरक्षा बल या गाइडलाइन लागू नहीं दिखी. जंगल का रास्ता खतरनाक है और फिसलन इतनी कि एक चूक जान ले सकती है. सबसे चिंताजनक बात ये है कि यह क्षेत्र ‘टाइगर प्रोन’ घोषित है—यहां बाघों की मूवमेंट पहले भी दर्ज हो चुकी है.