शिवपुरी में पंचायत ने दी “तालिबानी सजा”, युवक ने जूता सिर पर रख मांगी माफी, भाजपा नेताओं पर उठे सवाल

शिवपुरी में पंचायत ने दी “तालिबानी सजा”, युवक ने जूता सिर पर रख मांगी माफी, भाजपा नेताओं पर उठे सवाल


भोपाल. शिवपुरी जिले में बैराड़ पुलिस स्टेशन के बाहर एक युवक को जूता सिर पर रखकर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया. यह घटना शनिवार को तब हुई जब दो स्थानीय युवकों के बीच विवाद सुलझाने के लिए एक पंचायत की बैठक चल रही थी.

पीड़ित युवक, जो एक स्थानीय व्यवसायी का पुत्र है, कथित तौर पर इस अपमान का शिकार उस पंचायत के आदेश पर हुआ, जिसमें कई भाजपा नेता भी मौजूद थे. कांग्रेस ने इस घटना को “तालिबानी सजा” बताया है और भाजपा नेताओं पर अपराधियों की रक्षा करने का आरोप लगाया है.

पुलिस के अनुसार, विवाद की शुरुआत तब हुई जब पीड़ित युवक और उसके साथी कुछ छोटे पत्थर (कंकड़) कु्लदीप रावत के घर के पास फेंक रहे थे. कु्लदीप रावत एक निर्वासित अपराधी का पुत्र है. इसी दौरान दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया, जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. शनिवार को आयोजित पंचायत ने यह निर्णय लिया कि पीड़ित युवक को माफी मांगनी होगी और उसे कु्लदीप और उसके साथी छोटू के जूते सिर पर रखकर माफी मांगनी होगी.

कांग्रेस ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. वहीं, वैश्य समाज ने भी इस अपमानजनक घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और एक ज्ञापन सौंपा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे पूरे देश में प्रदर्शन करेंगे.

इस बीच भाजपा नेताओं ने इस घटना में अपनी कोई भूमिका होने से इनकार किया है और वीडियो को संपादित बताया है. पीड़ित युवक ने भी स्थानीय मीडिया से बातचीत करने से इंकार किया और केवल इतना कहा कि वह खुश है कि विवाद अब खत्म हो गया है.

यह घटना शिवपुरी जिले में सामाजिक और राजनीतिक तौर पर गर्मी का कारण बनी हुई है. पंचायत द्वारा जूता सिर पर रखकर माफी मंगवाना सामाजिक स्तर पर अपमानजनक माना जा रहा है, जो कानूनी दृष्टिकोण से भी गैरकानूनी है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों के बीच इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है. कुछ लोग इसे पुराने कट्टरता और समाज में बढ़ती असहिष्णुता का उदाहरण मान रहे हैं. वहीं, पुलिस और प्रशासन इस मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं.

आशंका जताई जा रही है कि इस तरह के विवाद स्थानीय स्तर पर बढ़ते सामाजिक तनाव और राजनीतिक दबाव का नतीजा हो सकते हैं, जिनका प्रभाव जिले के शांति और सुरक्षा पर भी पड़ सकता है. इसलिए प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व दोनों से जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद की जा रही है ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.



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