बाढ़ की वजह से खेत में खड़ी बाजरे की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
मुरैना में चंबल नदी में आई भयंकर बाढ़ का पानी अब उतर गया है। बीलपुर पंचायत के घेरगांव में बाढ़ के बाद बर्बादी का मंजर साफ दिखाई दे रहा है। जिन घरों में बाढ़ का पानी भरा था, वहां से पानी तो उतर गया है लेकिन पीछे कीचड़ और तबाही छोड़ गया है।
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शनिवार सुबह जब ग्रामीण अपने घरों पर लौटे तो उन्हें घरों में कीचड़ भरा मिला। घरों में छोड़ा गया सामान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। लकड़ी का फर्नीचर बुरी तरह गल गया है।
सफाई के दौरान कई घरों में सांप मिले
भास्कर की टीम जब मौके पर पहुंची तो खाली पड़े मकानों में कीचड़ और मिट्टी भरी हुई थी। कई घरों में सांप भी मौजूद थे। ग्रामीणों को घरों की सफाई करते समय यह डर सता रहा है कि कहीं कोई जहरीला सांप छिपा न हो जो उन्हें काट ले।
ग्रामीणों का कहना है कि वे दो दिन बाद अपने घरों में लौटे हैं। बाढ़ अचानक आने के कारण वे सिर्फ जरूरी सामान ही अपने साथ ले जा सके थे। बड़ा सामान घरों में ही छोड़ना पड़ा था जो अब पूरी तरह नष्ट हो गया है।
अंबाह क्षेत्र में करीब 300 बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कक्षा 8वीं तक के करीब 300 छात्र छात्राएं बाढ़ आ जाने के बाद से प्रभावित हुए है। इन गांव में कुछ स्कूलों में या तो पानी भर गया था या फिर स्कूल तक पहुंचने वाले रास्ते बंद हो गए थे। जिस वजह से इन स्कूलों में और उसके आस पास दल दल हो गया है।
वहीं मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर लंबे समय तक पानी सूखने में वक्त लगता है तो छात्र छात्राओं की पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। अभी यहां पानी सूखने का इंतजार है। जिससे यहां साफ सफाई हो सके।
लोग गृहस्थी का सामान बाहर रखकर घरों की सफाई कर रहे हैं।
चंबल की बाढ़ में सबसे अधिक कुथियाना पंचायत के गांव
बाढ़ की चपेट सबसे अधिक घेर, बीलपुर , मल्हन का पुरा, पिपरी पुरा, नींबरी पुरा, दलजीत का पुरा, सबसुखपुरा, रेह, सुखध्यान का पुरा गांव के लोग प्रभावित हुए हैं। अंबाह तहसील के गांव की करीब 5 हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में आने से इन लोगों को अचानक से अपना घर खाली करना पड़ा। जिन्हें प्रशासन ने स्कूलों और टेंट लगाकर रुकने की व्यवस्था कराई।
वर्ष 2022 में प्रशासन ने बांटे पट्टे, लेकिन कब्जा नहीं मिला
साल 2022 में बाढ़ आने के बाद यहां जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डूब क्षेत्र के लोगों को पट्टे बांटे थे। जिसमें ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने पट्टे तो दिलवाए लेकिन उस पर कब्जा नहीं दिलाया। जिस वजह से ग्रामीण पट्टे वाली जगह पर नहीं पहुंच सके और वे उन्हीं मकानों में ही रुकने को मजबूर हैं।
बाढ़ के बाद महामारी फैलने का खतरा
चंबल नदी का जलस्तर कम होने से घरों से पानी उतर गया है। लेकिन यहां खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह गल गई है। वहीं यहां के हैंड पंप कुआं में गंदगी और कीचड़ भर गया है जिस वजह से यहां अब इन गांव में महामारी फैलने का भी खतरा बढ़ गया है।
इन बाढ़ प्रभावित गांव का निरीक्षण करने आज क्षेत्रीय सांसद शिवमंगल सिंह तोमर तोमर पहुंचे। उन्होंने अंबाह एसडीएम रामनिवास सिकरवार को फोन लगाकर बाढ़ प्रभावित गांव में दवाई का छिड़काव कराने निर्देश दिए। साथ ही नलकूप और हैंड पंप के पानी में दवाई डालने, बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।

क्षेत्रीय सांसद शिवमंगल सिंह तोमर गांवों का दौरा किया है।