हरियाली मिशन! 38 हजार KM साइकिल चला चुके सुबोध, 35 हजार पौधे लगाए, टरगेट सुनकर लोग कर रहे सैल्यूट

हरियाली मिशन! 38 हजार KM साइकिल चला चुके सुबोध, 35 हजार पौधे लगाए, टरगेट सुनकर लोग कर रहे सैल्यूट


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Satna News: भारत को हरियाली की चादर से ढंकने का सपना लिए महाराष्ट्र के 26 वर्षीय सुबोध विजय गंगुर्दे साइकिल से 38,000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर चुके हैं. जानें इनका लक्ष्य…

Satna News: देश की मिट्टी से मोहब्बत हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता. 26 साल के सुबोध विजय गंगुर्दे इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाला यह युवा पर्यावरण योद्धा भारत को हरियाली की चादर ओढ़ाने का सपना लेकर निकल पड़ा है. साइकिल को अपना साथी बनाकर इसने 19 जून 2024 को लद्दाख से एक अनोखी यात्रा की शुरुआत की और अब तक करीब 38840 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं.

1 लाख पौधे लगाने का संकल्प
सुबोध का मिशन साधारण नहीं है. वे देशभर में 1 लाख पौधे लगाने का संकल्प लेकर निकले हैं और अब तक 35 हजार से अधिक पौधे धरती की गोद में रोप चुके हैं. उनकी इस मुहिम में देश के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, भारतीय सेना, वायु सेना, वन विभाग और विभिन्न राज्यों के अधिकारियों ने भरपूर सहयोग किया है. सुबोध का कहना है कि यह केवल एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण, साइकिलिंग को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का अभियान है.

अब तक पार किए 8 राज्य
लद्दाख से शुरू हुई यह साइकिल यात्रा अब 8 राज्यों को पार करती हुई मध्यप्रदेश में पहुंची है. सतना पहुंचने पर सुबोध ने बताया कि उन्होंने 38 हजार 840 किलोमीटर का रास्ता साइकिल से तय किया है. इस दौरान उन्होंने विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोगों से जुड़ाव बनाते हुए पौधे लगाए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया.

बॉर्डर पर एयरफोर्स के साथ लगाए पौधे
लोकल 18 से बातचीत में सुबोध ने एक बेहद खास अनुभव साझा करते हुए बताया कि भारत-चीन सीमा पर भारतीय वायु सेना के साथ मिलकर उन्होंने पौधे लगाए. इतना ही नहीं सीमा के पास बन रहे राम मंदिर के आसपास भी उन्होंने वृक्षारोपण किया. यह पल उनके लिए बेहद गर्व का था. सुबोध सिर्फ पर्यावरण प्रेमी ही नहीं, एक प्रशिक्षित पर्वतारोही भी हैं. उनका अगला सपना है माउंट एवरेस्ट को फतह करना, जिसके लिए वे 2027 में समिट करने की योजना बना चुके हैं. उनका कहना है कि वे खुद को तैयार कर रहे हैं और यह यात्रा उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बना रही है.

सम्मान तो मिला, पर असली जरूरत है सपोर्ट की
हालांकि, सुबोध को देशभर में कई बार सम्मानित किया जा चुका है. पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और सड़क परिवहन मंत्री समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें सराहा है. मगर वे कहते हैं की हमें सम्मान नहीं, सपोर्ट की जरूरत है. अगर युवा अपने सपनों से पीछे हटने लगे तो देश का भविष्य अधूरा रह जाएगा.

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