गलत इंजेक्शन से आंखें गंवाने वाली महिला की कहानी: 35 साल तक दुनिया देखी अब अंधेरा; मां बोलीं- ऐसे जीने से अच्छा बेटी मर जाती – Morena News

गलत इंजेक्शन से आंखें गंवाने वाली महिला की कहानी:  35 साल तक दुनिया देखी अब अंधेरा; मां बोलीं- ऐसे जीने से अच्छा बेटी मर जाती – Morena News


एक मां की आंखों में बेटियों के सपने पलते हैं, उनकी मुस्कान में अपना जीवन देखती है, लेकिन मुरैना की 35 वर्षीय मनीषा कुशवाह के लिए यह सब सिर्फ यादों में सिमटकर रह गया है। एक बासी खीर और एक झोलाछाप डॉक्टर के गलत इंजेक्शन ने उनकी जिंदगी को अंधेरे में धके

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वही मनीषा, जो कभी इंस्टाग्राम रील्स बनाती थी, अपनी तीन बेटियों के साथ वीडियो शूट करती थी, आज चारपाई से उठने के लिए भी दूसरों पर निर्भर है। जिन नन्ही बेटियों को वह सहारा देती थी, आज वही उनका सहारा बन गई हैं। मुस्कान, निशा और उनकी तीन साल की छोटी बहन, तीनों अपनी मां को खाना खिलाती हैं, उन्हें रास्ता दिखाती हैं।

मनीषा की आंखों की रोशनी जाने से पति लालू को मजदूरी छोड़नी पड़ी, बच्चियों की पढ़ाई रुक गई और एक मां के सपने अंधेरे में खो गए। मनीषा की मां का कहना है कि ऐसे जीने से अच्छा तो बेटी मर जाती।

झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज की वजह से अपनी आंखें गंवाने वाली मुरैना जिले के पोरसा कस्बे की मनीषा कुशवाह के घर भास्कर टीम पहुंची और उनकी पूरी कहानी जानी। पढ़िए यह रिपोर्ट…

पति लालू और तीनों बेटियों के साथ पीड़िता मनीषा कुशवाह।

बासी खीर खाई, फिर गलत इलाज ने छीनी रोशनी मनीषा कुशवाह ने बताया कि घटना 11 जुलाई 2025 की है। उसने घर में रखी बासी खीर खा ली थी, जिसके बाद उसे सांस लेने में दिक्कत और बदन दर्द की शिकायत हुई। वह अपनी मां रामश्री कुशवाह के साथ पोरसा स्थित जैन क्लीनिक पहुंचीं। डॉक्टर महावीर जैन की अनुपस्थिति में उनके बेटे प्रमोद जैन ने इलाज किया। उसके पास इलाज से संबंधी कोई डिग्री नहीं थी।

परिजन ने बताया कि मनीषा ने खुद प्रमोद से कहा था कि वे इलाज न करें, उनके पिता को आ जाने दें। इसके बाद भी प्रमोद ने जिद कर एक इंजेक्शन लगा दिया। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई तो उसने दूसरा इंजेक्शन व कुछ कैप्सूल दे दिए।

इसके बाद मनीषा की हालत और गंभीर होती चली गई। प्रमोद ने घबराकर उसे पहले ग्वालियर के चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया, फिर रतन ज्योति अपोलो अस्पताल ले गया। वहां भी इलाज से कोई फर्क नहीं पड़ा और रोशनी हमेशा के लिए चली गई।

आंखों की रोशनी जाने के बाद मनीषा दिनभर पलंग पर लेटी रहती है।

आंखों की रोशनी जाने के बाद मनीषा दिनभर पलंग पर लेटी रहती है।

शादी के बाद मजदूरी करने जयपुर चले गए थे मनीषा कुशवाह ने बताया कि उसकी शादी 29 जुलाई 2011 को गोहद तहसील के चनाहरा गांव के लालू कुशवाह से हुई थी। शादी के बाद दोनों जयपुर चले गए, जहां लालू मजदूरी करता था। मनीषा ने तीन बेटियों को जन्म दिया। पहली बेटी मुस्कान का जन्म 1 दिसंबर 2015 को हुआ, जो अब पांचवीं में है। दूसरी बेटी निशा 12 नवंबर 2017 को पैदा हुई, जो तीसरी कक्षा में पढ़ती है। तीसरी बेटी अभी तीन साल की है।

मनीषा की आंखों की रोशनी जाने से परिवार मुश्किल में है। जयपुर नहीं जा पाने से बच्चियों की पढ़ाई रुक गई है। लालू को भी काम छोड़ना पड़ा है। अब उसे पत्नी के इलाज और बेटियों की पढ़ाई की चिंता सता रही है।

मनीषा को कहीं जाना होता है तो मां और बेटियां ही सहारा देती हैं।

मनीषा को कहीं जाना होता है तो मां और बेटियां ही सहारा देती हैं।

मनीषा ने रोते हुए कहा- कम उम्र में बेटियां सहारा बन गईं मनीषा का कहना है कि जिन नन्ही बेटियों को मां का सहारा मिलना चाहिए था, वही बेटियां कम उम्र में मां का सहारा बन गई हैं। मनीषा अब न साड़ी पहन पाती है, न श्रृंगार कर पाती है। सारा दिन चारपाई पर ही बीत जाता है। अब वह न तो बेटियों को देख पाती हैं और न ही पति को।

मनीषा का कहना है कि जिंदगी में अंधेरा हो जाने से पूरी जिंदगी ही नीरस हो गई है। अब पता नहीं कभी आंखों की रोशनी आ भी पाएगी या नहीं। हर काम के लिए दूसरों पर आश्रित होना पड़ रहा है। कुछ भी काम हो तो किसी न किसी को आवाज लगाकर बुलाना पड़ता है।

मां बोलीं- इससे अच्छा तो वह मर जाती मनीषा की मां रामश्री का दर्द शब्दों से छलकता है। उन्होंने कहा कि आज अपनी बेटी की देखभाल उसी तरह कर रही हैं जैसे किसी नवजात की करते हैं। सुबह उठाना, तैयार करना, खाना खिलाना, बाथरूम ले जाना, हर काम में मनीषा को उनकी मदद चाहिए।

मां रामश्री का कहना है कि बेटी का दर्द देखकर सभी परेशान हैं। ऐसे में तो एक ही बात लगती है कि ऐसे जीने से अच्छा होता बेटी मर ही जाती। भगवान से एक ही विनती है कि वह फिर से देखने लगे और अपने पूरे परिवार को संभाल ले।

पति बोला- पहले रील बनाती थी, अब बिस्तर पर पड़ी मनीषा की आंखों की रोशनी जाने से पति लालू कुशवाह परेशान हैं। लालू ने बताया- जब प्रमोद जैन को पता चला कि मनीषा की आंखें खराब हो गई हैं, तो वह उसे ग्वालियर के चिरायु अस्पताल ले गया। फिर रतन ज्योति अपोलो अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ से दिखाया।

डॉक्टर ने 6-8 महीने के इलाज की बात कही। उसने कहा था कि शुरुआती दो महीने भर्ती रहना होगा, जिसका रोजाना 8 हजार रुपए खर्च बताया। इसके बाद घर से इलाज चल सकेगा, लेकिन यह लंबा चलेगा।

FIR दर्ज होने के दो दिन में मिली जमानत बीमारी से उबरने के बजाय आंखों की रोशनी खोने के बाद मनीषा ने 28 जुलाई की रात को पोरसा थाने में आरोपी प्रमोद जैन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। जांच में पता चला था कि आरोपी प्रमोद जैन के पास इलाज से संबंधित कोई डिग्री नहीं है।

उसके पिता डॉक्टर थे। उन्हीं की जगह पर अब वह प्रैक्टिस करता है। रिपोर्ट के बाद पुलिस ने प्रमोद को गिरफ्तार कर उसका क्लिनिक भी सील कर दिया था। लेकिन उसे दो दिन में जमानत मिल गई।

आरोपी का पिता बोला-बेटे के पास नहीं है मेडिकल योग्यता भास्कर टीम जब जैन क्लिनिक पहुंची तो वहां “वर्धमान मेडिकल एजेंसी” नाम का बोर्ड मिला, जिसके प्रोपराइटर प्रमोद जैन हैं। पूछने पर उनके पिता महावीर जैन ने स्वीकार किया कि प्रमोद के पास किसी भी तरह की डिग्री या मेडिकल योग्यता नहीं है। इसके बावजूद प्रमोद जैन केवल इलाज ही नहीं कर रहा था, बल्कि गंभीर स्थिति में इंजेक्शन तक दे रहा था।

वर्धमान मेडिकल एजेंसी पर प्रोपराइटर प्रमोद कुमार जैन लिखा हुआ है।

वर्धमान मेडिकल एजेंसी पर प्रोपराइटर प्रमोद कुमार जैन लिखा हुआ है।

एसपी ने दिए बेहतर इलाज के निर्देश 5 अगस्त को पीड़िता मनीषा ने जनसुनवाई में एसपी समीर सौरभ से मामले की शिकायत की थी। उसने एसपी को बताया कि 11 जुलाई को उसकी तबीयत खराब हो गई थी। उसने ठंडी खीर खा ली थी, जिसके बाद उसे शरीर में तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। तब वह अपनी मां के साथ पोरसा स्थित झोलाछाप डॉक्टर प्रमोद जैन के क्लिनिक पर पहुंची।

डॉक्टर ने बिना जांच किए ही उसे दो गोलियां दी और दो इंजेक्शन लगाए। इंजेक्शन लगाते ही तबीयत और बिगड़ गई। डॉक्टर ने तबीयत बिगड़ती देख उसे घर भेज दिया। शाम तक मनीषा को दिखाई देना बंद हो गया।

एसपी को शिकायत करने पहुंची पीड़िता मनीषा कुशवाह।

एसपी को शिकायत करने पहुंची पीड़िता मनीषा कुशवाह।

पांच सदस्यीय जांच समिति करेगी जांच एसपी समीर सौरभ ने एएसपी सुरेंद्र प्रताप सिंह डाबर को जांच की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा। पीड़िता को पुलिस वाहन से जिला अस्पताल भिजवाया। सीएमएचओ को बेहतर इलाज के निर्देश भी दिए गए। सीएमएचओ ने पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की है जो मामले की जांच करेगी।

दल में जिसमें डॉ. मयंक शर्मा, डॉ. राहुल शर्मा (दोनों मेडिकल ऑफिसर), फार्मासिस्ट ब्रजमोहन सिंह तोमर, रेडियोग्राफर अरुण नागर और और धीरेंद्र पचौरी शामिल हैं। जांच दल ने 1 अगस्त को क्लिनिक को सील कर जांच शुरू की।

सीएमएचओ डॉ पद्मेश उपाध्याय ने कहा-

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झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से आंखों की रोशनी चली गई। आंखों में क्या परेशानी हुई यह तो आंखों के विशेषज्ञ ही बता पाएंगे, लेकिन वह बिना डिग्री के क्लिनिक चला रहा था इसलिए उस पर एफआईआर भी दर्ज हो गई है और उसकी क्लिनिक भी सील कर दी गई है। महिला की आंखों की रोशनी किस वजह से गई या किस दवा का साइड इफेक्ट हुआ, ये जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा।

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जांच रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी-डॉ.अनुराग तोमर

जिला अस्पताल में पदस्थ आंखों के विशेषज्ञ डॉ अनुराग तोमर का कहना है कि मनीषा कुशवाह का झोलाछाप डॉक्टर द्वारा इलाज के दौरान आंखों की रोशनी चली जाने के मामले में, किसी मरीज को देखे बगैर या उसकी मेडिकल हिस्ट्री को देखे बिना कोई भी निर्णय तक पहुंच पाना असंभव है। अगर उसकी जांच रिपोर्ट मिल सके तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

हमें यह जानना जरूरी है कि झोलाछाप डॉक्टर ने महिला का क्या इलाज किया। इलाज में कौन सी दवाई या इंजेक्शन दिया, उसमें कौन सा ड्रग था। यह भी संभव है कि महिला को किसी ड्रग से एलर्जी हो और वही ड्रग उस इंजेक्शन में रहा हो। इसीलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि बीमारी से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर को ही दिखाएं।

कई लोग मेडिकल स्टोर से सीधे दवा लेकर इलाज कर लेते हैं, जो कि सही नहीं है। जब तक उचित जांच नहीं होगी, तब तक बीमारी का सही पता नहीं चल सकता। इस मामले में भी, महिला की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है।



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