जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अपने जिलों तक सिमटे दिग्गज: दूसरे जिलों के नेताओं को दी कमान, विरोध भी शुरू – Bhopal News

जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अपने जिलों तक सिमटे दिग्गज:  दूसरे जिलों के नेताओं को दी कमान, विरोध भी शुरू – Bhopal News


3 जून से शुरू हुए कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के बाद कल यानी 16 अगस्त को सभी 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्ष घोषित हो गए। जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ ही जिलों में घमासान शुरू हो गया। सतना, गुना, बुरहानपुर सहित कई अलग-अलग जिलों से जिलाध्यक्षों की नि

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दूसरे जिलों के नेताओं को दी कमान जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में कांग्रेस ने ऐसे नेताओं को कमान दी है। जो उस जिले के मूल निवासी नहीं हैं या फिर लंबे समय से उस क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं। प्रतिभा रघुवंशी मूल रूप से गुना की रहने वाली हैं। और युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें खंड़वा शहर का अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह मनीष चौधरी भी लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में काम कर रहे हैं। देवास ग्रामीण में लंबे समय से सक्रिय नहीं हैं।

इसी तरह इंदौर ग्रामीण के अध्यक्ष बनाए गए पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े आगर से विधायक रहे हैं। वे इंदौर शहर में रहते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं लेकिन इंदौर ग्रामीण के अध्यक्ष बना दिए गए। उमरिया के जिलाध्यक्ष बने विजय कोल की पत्नी भोपाल में जॉब करतीं हैं। वे ज्यादातर समय भोपाल में ही रहते हैं। सागर ग्रामीण के जिलाध्यक्ष बने भूपेन्द्र सिंह मोहासा को लेकर भी चर्चा है कि उनकी सक्रियता सागर ग्रामीण में न के बराबर है। पूर्व मंत्री प्रभु सिंह ठाकुर के दामाद होने का उन्हें फायदा मिला है।

जातीय और क्षेत्रीय संतुलन भी गड़बड़ाया कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी संगठन की कमान ज्यादातर गैर आदिवासी वर्ग को देते हैं। इसकी वजह ये है कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के सारे पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होते हैं। ऐसे में उन जिलों की गैर आदिवासी 35 से 40 फीसदी आबादी को साधने के लिए गैर आदिवासी नेताओं को पार्टी संगठन की कमान दी जाती है। लेकिन, कांग्रेस की लिस्ट में आदिवासी वर्ग के जिलों डिंडोरी में विधायक ओमकार सिंह मरकाम, मंडला में पूर्व विधायक डॉ अशोक मर्सकोले को दी गई है।

यहां शुरु हो गया विरोध बुरहानपुर में जिलाध्यक्ष की दावेदारी करने वाले हेमंत पाटिल ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- मैं अपने सभी निवर्तमान पदों से इस्तीफा देता हूं। कार्यकर्ता था और कार्यकर्ता हूं।

सतना शहर में इकबाल सिद्दीकी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मशहूद अहमद शेरू ने लिखा- कृपया आप सभी कांग्रेस जनों से विनम्र अपील है कि आज सतना शहर अध्यक्ष बने इकबाल सिद्दीकी का मोबाइल लंबी या फोटो हो तो देने की कृपा करें। मुझे उनको बधाई देनी है।

सतना में सिद्धार्थ को लेकर भी नाराजगी सतना ग्रामीण के अध्यक्ष बनाए गए सिद्धार्थ कुशवाह को लेकर भी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। सिद्धार्थ दूसरी बार के विधायक हैं। ओबीसी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव भी हैं। महापौर, और लोकसभा के प्रत्याशी भी रह चुके हैं। कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं। हर पद के लिए एक ही नाम है।

71 में मात्र दो मुस्लिम कांग्रेस के 71 जिलाध्यक्षों में से मात्र दो मुस्लिमों को ही जिलों की कमान दी गई है। सतना शहर में इकबाल अहमद सिद्दीकी और पन्ना में अनीस खान को अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि, भोपाल, बुरहानपुर, खंडवा सहित करीब 7 जिलों में जिलाध्यक्षों के लिए मुस्लिम नेताओं ने दमदारी से दावेदारी पेश की थी।

दिग्विजय, सिंघार जिलों तक सिमटे जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में दिग्गजों को सिर्फ अपने जिलों तक समेट दिया गया। जीतू पटवारी इंदौर शहर और ग्रामीण के अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे। भोपाल शहर और ग्रामीण के अध्यक्षों को रिपीट कराने में भी जीतू पटवारी की ही चली। कमलनाथ की पंसद से पांढुर्णा और छिंदवाड़ा के अध्यक्ष बनाए गए। गुना और राजगढ़ के जिलाध्यक्ष दिग्विजय के खेमे से हैं। जबकि, अरुण यादव, अजय सिंह, उमंग सिंघार की पसंद को उनके क्षेत्रों में ही प्राथमिकता दी गई है।

भोपाल में पूर्व जिलाध्यक्ष मोनू सक्सेना के समर्थकों ने प्रवीण सक्सेना को रिपीट किए जाने पर सोशल मीडिया पर लिखा कि राहुल गांधी ने मांगा था संगठन सृजन, भोपाल में हुआ उसका विसर्जन

भोपाल में मुस्लिम की नियुक्ति का प्रेशर, इसलिए भी रिपीट हुए प्रवीण भोपाल मध्य से विधायक आरिफ मसूद मुस्लिम वर्ग के जिलाध्यक्ष बनाए जाने की पैरवी कर रहे थे। कई मुस्लिम नेता भी दावेदारी कर रहे थे रायशुमारी की बैठक के दौरान मुस्लिम वर्ग के दो गुटों में विवाद भी हुआ था। अल्पसंख्यक वर्ग को लेकर बने प्रेशर के चलते भोपाल में प्रवीण सक्सेना रिपीट हो गए। हालांकि, शहर और ग्रामीण अध्यक्षों को कम ही समय हुआ था। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह मोनू सक्सेना के पक्ष में थे।



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