समोसा, पोहा, कचौरी, चाट नहीं…50 साल से खंडवा में इस नाश्ते का राज, सुबह से रात तक खाते हैं लोग

समोसा, पोहा, कचौरी, चाट नहीं…50 साल से खंडवा में इस नाश्ते का राज, सुबह से रात तक खाते हैं लोग


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Khandwa Street Food: दुकानदार बताते है कि खंडवा में इस नाश्ते की शुरुआत उनके पिता जी ने की थी. पहले लोग इसे खाकर पेट भी भर लेते थे. हालांकि, अब महंगाई के कारण…

Khandwa News: खंडवा अपने स्वादिष्ट खानपान के लिए भी जाना जाता है. यहां स्ट्रीट फूड का जबरदस्त क्रेज है. समोसा, पोहा, कचौरी, चाट और गोलगप्पे भले ही हर नुक्कड़ पर मिल जाते हों, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा व्यंजन है, जिसने 50 साल से खंडवा पर राज किया है. इस डिश का नाम छोले-ब्रेड है. पड़ावा क्षेत्र में सरकारी अस्पताल के सामने लगने वाला छोले-ब्रेड का ठेला अब खंडवा की पहचान बन चुका है.

ठेले पर रोजाना सुबह से रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. इसकी शुरुआत करीब 50 साल पहले हुई थी. जब यहां के एक स्थानीय परिवार ने छोले-ब्रेड बेचना शुरू किया था. पहले पीढ़ी के तौर पर पिता इस ठेले को संभालते थे और लंबे समय तक खंडवा वासियों को स्वादिष्ट छोले-ब्रेड खिलाते रहे. अब उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं उनके बेटे राहुल वानखेड़े, लोगों को स्वाद का दीवाना बनाए हुए हैं.

एक रुपये प्लेट हुई थी शुरुआत, अब रेट…
राहुल बताते हैं, यह ठेला उनके पिता जगन वानखेड़े ने दशकों पहले शुरू किया था. उस समय छोले-ब्रेड की एक प्लेट केवल एक रुपए में मिलती थी. ब्रेड के साथ भरपूर छोले परोसकर पेट भी भर जाता था. स्वाद भी यादगार रहता था. धीरे-धीरे वक्त बदला, महंगाई बढ़ी और अब यही छोले-ब्रेड 20 रुपए में परोसा जाता है. लेकिन, खास बात ये कि इतने सालों बाद भी स्वाद में कोई बदलाव नहीं है. वही पुराना स्वाद आज भी ग्राहकों को अपनी ओर खींचता है.

खंडवा के लोग दीवाने हैं… 
ठेले पर पहुंचे एक पुराने ग्राहक शाहिद खान बताते हैं, “मैं 40 साल से यहां छोले-ब्रेड खा रहा हूं. मुझे इनके पिताजी जगन वानखेड़े छोले खिलाते थे, तब से यह स्वाद हमारे घर का हिस्सा रहा है. पहले जब आते थे तो मात्र एक रुपए में भरपूर छोले और ब्रेड मिल जाते थे. आज कीमत जरूर बढ़ गई है, लेकिन स्वाद वही पुराना है. जब भी मन करता है, मैं यहां आकर खा लेता हूं. ठेले की भीड़ देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि खंडवा के लोग इसके दीवाने हैं.”

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