एटीएस ने याकूब खान समेत 2 अन्य युवकों को पकड़ा है।
फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवा कर रहे मामले पर एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (ATS) ने मंगलवार को 3 और अफगानी युवकों को हिरासत में लिया है। एटीएस ने अफगानी नागरिक सोहबत खान से पूछताछ के दौरान किए गए खुलासे के बाद यह कार्रवाई की है।
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एटीएस ने शहर के छोटी ओमती इलाके में रहने वाले याकूब खान, मोहम्मद यूनुस और अब्दुल खान को पकड़ा है। ये जबलपुर में रहकर कंबल बेचने का काम करते थे। शुरूआती जांच में एटीएस को पता चला है कि तीनों आठ नल इलाके में एक किराए का मकान लेकर रह रहे थे। तीनों अफगानी नागरिकों ने भारतीय दस्तावेज बनवा रखे थे।
एटीएस अब यह जानने की कोशिश कर रही है, कि और कितने लोग अभी भी भारतीय दस्तावेज बनवाकर रह रहे हैं। एटीएस ने इससे पहले छह लोगों को पकड़ चुकी है, जिसमें कुछ जबलपुर के रहने वाले हैं।
छोटी ओमती इलाके से आरोपियों को पकड़ा है। इस दौरान मौजूद रहवासी।
10 साल से छिपकर रह रहा था सोहबत खान 1 अगस्त को एटीएस की टीम ने जबलपुर के छोटी ओमती में 10 साल से छिपकर रह रहे अफगानी नागरिक सोहबत खान को गिरफ्तार किया था। सोहबत ने सोशल मीडिया में अपनी एक फोटो पिस्टल के साथ पोस्ट की थी। एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) ने लगातार एक सप्ताह तक इसकी निगरानी की थी।
सोहबत खान है, किराए के मकान में रहकर कंबल बेचने का काम किया करता था। अफगानी नागरिक सोहबत खान 2015 में एक काम के सिलसिले में पश्चिम बंगाल से होते हुए भोपाल और फिर जबलपुर आया था। इसके बाद सोहबत ने जबलपुर के छोटी ओमती इलाके में रहने वाली एक महिला से दोस्ती की और बाद में उससे निकाह कर साथ रहने लगा।
सोहबत खान ने ना सिर्फ अपना बल्कि कई अफगानियों के नकली पासपोर्ट बनवाए थे, जिसके लिए जबलपुर के विजयनगर निवासी दिनेश गर्ग पिता श्रवण गर्ग और कटंगा रोड निवासी महेंद्र कुमार पिता माधव प्रसाद को भी गिरफ्तार किया था।
एमपी-छत्तीसगढ़ में 20 से ज्यादा अफगानी एटीएस को जांच के दौरान पता चला कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में 20 से ज्यादा अफगानी युवक बिना कोई जानकारी दिए अपनी मूल पहचान छिपाकर रह रहे थे। सोहबत की निशानदेही पर एटीएस ने 53 वर्षीय अकबर को भी पकड़ा है, जो कि अभी जेल में है।
अकबर करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आया और फिर यहीं बस गया था। अकबर पश्चिम बंगाल में रह रहा था और उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है। सोहबत ने अकबर का एक लाख 20 हजार रुपए में पासपोर्ट बनवाया था।

ह53 वर्षीय अकबर 20 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आया और यहीं बस गया था।
अफगान भागने की फिराक में था इकबाल सोहबत और अकबर की तरह अफगानी नागरिक इकबाल खान का भी फर्जी पासपोर्ट बनवाया था, जिसके जरिए वह जल्द ही अफगानिस्तान जाने की फिराक में था। एटीएस ने इस केस में अब तक 6 लोगों को पकड़ चुकी है, जिसमें वन विभाग में पदस्थ दिनेश गर्ग,चंदन सिंह और महेश सुखदान है।
मंगलवार को एटीएस ने छोटी ओमती से जिस याकूब खान को हिरासत में लिया है, वह 15 साल पहले अपने दादा के साथ अफगानिस्तान से भारत आया था। सूत्र बताते हैं कि याकूब के बाद यूनुस और अब्दुल भी भारत आ गए। यहां आने के बाद इन दोनों का भी इंडियन पासपोर्ट बन गया था।
छोटी ओमती में निवासी मुज्जमिल अली ने बताया-
सोहबत खान की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को शहर के सतुपला इलाके में कंबल बेचने वाले अफगानी युवक याकूब खान को हिरासत में लिया है। यह भी जांच का विषय है कि आखिर इनका पुलिस वेरिफिकेशन कैसे हो जाता है। जबलपुर के रांझी, छोटी ओमती, नया मोहल्ला क्षेत्र में 100 से अधिक अफगानी युवक रह रहे हैं। उनके दस्तावेजों की जांच होना जरूरी है।

एटीएस की गिरफ्त में आए किस व्यक्ति का क्या काम था
- सोहबत खान- अफगानिस्तान का सोहबत खान 2015 से जबलपुर में रह रहा था। वह जबलपुर में कंबल, चादर बेचता था। अपने आप को भारत का निवासी बताने के लिए उसने शहर की एक महिला से निकाह किया और फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करवाए। वह पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में रहने वाले 20 से अधिक साथियों के जबलपुर से ही फर्जी पासपोर्ट बनवाने के प्रयास में था। अकबर व इकबाल ने पासपोर्ट तैयार करवा लिए थे और कुछ अन्य लोगों भी इसके नेटवर्क में थे।
- चंदन सिंह– जबलपुर निवासी चंदन सिंह भी इस गिरोह का अहम सदस्य है। रामपुर शंकरशाह नगर में रहने वाला चंदन सिंह को सोहबत खान के साथी के रूप में गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया। एटीएस की गिरफ्त में आया चंदन सिंह खुद को वकील बताता था। वह कलेक्ट्रेट और जिला अदालत में घूमकर लोगों के छोटे-मोटे काम कराता था। इस दौरान उसकी मुलाकात सोहबत खान से हुई तो उसने फर्जी दस्तावेज बनवाने में उसकी मदद शुरू कर दी। सोहबत के ही कहने पर उसने अफगानिस्तान के कुछ लोगों के फर्जी शपथ पत्र बनवाए और फिर उन्होंने नोटराइज कराया।
- महेश सुखदान- कटंगा निवासी महेश सुखदान भी इस गिरोह का अहम सदस्य है। इसने फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में चंदन सिंह की मदद की थी। महेश सुखदान की मिलीभगत सामने आई तो पता चला कि वह इस पूरी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। फर्जी कागजात पर महेश सुखदान के हस्ताक्षर मिले हैं।
- दिनेश गर्ग- वन विभाग में पदस्थ दिनेश गर्ग प्रतिनियुक्ति पर चुनाव सेल में कार्यरत है। उसने सोहबत खान के संपर्क में आने के बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कराने शुरू कर दिए थे। पूछताछ में सोहबत खान ने बताया कि दिनेश का काम दस्तावेज में हेरफेर करना होता था, जिसके लिए उसे अच्छी खासी रकम देता था। एटीएस दिनेश के साथियों की तलाश में जुटी है। वह यह भी पता लगा रही है कि दिनेश किसके संपर्क में और कब से जुड़ा है।
- अकबर खान- एटीएस ने अकबर खान को कोलकाता से गिरफ्तार किया है। यह 20 वर्ष पहले अफगानिस्तान से भारत आया था। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज गया है। अकबर दूसरा अफगानी नागरिक है, जिसने कि फर्जी पासपोर्ट में सोहबत खान की मदद ली।
- इकबाल खान- कोलकाता में कई साल से रह रहे इकबाल खान को भी एटीएस ने गिरफ्तार किया है। वह इस फर्जीवाड़े में शामिल हुआ और दस्तावेज तैयार कराए।