पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता ने लगाया वोट चोरी काआरोप।
इंदौर की दो विधानसभा सीटें देपालपुर और इंदौर 5 में वोट चोरी के आरोप लगा चुके नेता प्रतिपक्ष विधानसभा उमंग सिंघार के बाद अब पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने इंदौर की विधानसभा चुनाव के साथ ही महापौर चुनाव में भी वोट चोरी के आरोप लगाया है।
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सज्जन वर्मा ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में भाजपा, राज्य निर्वाचन आयोग और केंद्रीय चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूचियों में भारी फर्जीवाड़ा हुआ है। इसका ठोस प्रमाण इंदौर से सामने आया है, जहां आधिकारिक जांच और न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार 2,59,054 फर्जी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची मे सामने आए थे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व सागर नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस ने हजारों मृतकों व फर्जी नाम जोड़े जाने की शिकायतें दीं, लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। विधानसभा चुनाव 2023 में यही खेल बड़े पैमाने पर दोहराया गया। पूरे प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 26 हजार वोटर नए जोड़े गए, जिनमें करीब 16 लाख नाम फर्जी पाए गए।
वर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी से हलफनामा मांगता है उनकी कथनी और करनी में ही अंतर है।
आयोग बीजेपी का हथियार बनकर रह गया है। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व पार्षद दिलीप कौशल और रवि गुरनानी ने कोर्ट में दस्तावेज पेश कर कहा था कि इंदौर में 2,59,054 फर्जी वोटर के नाम मतदाता सूची मे थे।
48,478 डुप्लीकेट नाम हटाए गए
सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जब एक ही शहर (इंदौर) में 2 लाख 59 हजार फर्जी वोट पाए गए, तो पूरे राज्य में कितने करोड़ों फर्जी वोट सूचीबद्ध होंगे। केंद्र सरकार की One Nation One Ration Card योजना के अंतर्गत इंदौर जिले के तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा 31 जुलाई 2020 को कराई गई जांच में 13,502 परिवार गैर-निवासरत पाए गए।
कांग्रेस की निजी जांच में आया था कि अधिकांश परिवारों के नाम मतदाता सूची में मौजूद थे। इसे लेकर आयोग में शिकायत भी कराई।
नाम हटाने के बाद भी कैसे बढ़े मतदाता
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का एक और उदाहरण है कि साल 2022 की मतदाता सूची के प्रारूप में 17.25 लाख थे जिसमे फर्जी मतदाताओं के नाम पर आपत्ति के बाद भी अंतिम मतदाता सूची में वोटर्स की संख्या बढ़कर 18 लाख 35 हजार हो गई।
साल 2023 की मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान आयोग ने फिर 1,36,552 नाम हटाए जाने की रिपोर्ट पेश की। यानी हर वर्ष बार-बार लाखों नाम हटाए जा रहे हैं, फिर भी अंतिम सूची में वोटर्स की संख्या रहस्यमय तरीके से बढ़ रही है।