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Bundelkhand Mystery Story: गलतफहमी आपके जीवन को किस तरह से बदल सकती है या तबाह कर सकती है ये आपको इस कहानी से साफ पता लग जाएगा.
दरअसल बुंदेलखंड की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति पर 52 एकड़ की जगह में धामोनी का किला गोंड राजाओं के द्वारा बनवाया गया था यहां पर एक खूबसूरत नगर भी था लेकिन एक अप्रत्याशित घटना यहां पर घटित हुई जिसकी वजह से हंसता खेलता मुस्कुराता नगर शमशान और वीरान में बदल गया था.
वर्तमान में यह किला पर्यटकों को तो अपनी तरफ लुभाता ही है लेकिन यहां पर दो मुस्लिम फकीरों की मजार भी बनी हुई है जहां हर साल उर्स भरता है और इस श्रापित नगर की कहानी इन्हीं से जुड़ती है किवदंती के अनुसार मुगल काल के दौरान इस नगर में 6 साल के बालज़ती शाह हुआ करते थे यह 6 साल की उम्र में ही ऐसे करिश्मा दिखा चुके थे जिसकी चर्चाएं पूरे इलाके में होती थी.
मुस्लिम फकीर के श्राप से नगर बन गया शमशान
किले के बाहर जब मस्जिद का निर्माण चल रहा था यहां पर बाबा साहेब 6 साल के बालज़ती शाह अपने दोस्त मस्तान शाह वली के साथ लुका छुपी का खेल खेल रहे थे, और फिर अचानक मस्जिद निर्माण के लिए रखी बालू में अंदर छुप गए, तो उनके दोस्त मस्तान शाह जिद पड़कर बैठ गए कि देखते हैं कब तक बाहर नहीं निकालेंगे और ऐसे ही करके बहुत समय गुजर गया. एक दिन जब उनके चिराग में तेल नहीं बचा तो वह उस नगर में तेल लेने के लिए निकल पड़े, वह हर घर में गए और बोले कि मन भर तेल दे दो उनका मतलब था कि स्वेच्छा से जितना देना है उतना दे दो लेकिन नगर की लोग मन भर को 40 किलो समझ बैठे और हर किसी ने देने से मना कर दिया तो इससे मस्तान शाह को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से हमारी मजार वीरान पड़ी है यह नगर भी वीरान हो जाए और फिर वहां पर अचानक से आग लग गई तेज आंधी तूफान चलने से पूरा नगर जलकर खाक हो गया तब से लेकर अब तक केवल वह किला खंडहर के रूप में बचा हुआ है. जब लोगों ने उनसे पूछा कि अब यह श्राप से मुक्त कैसे होगा, तो उन्होंने बताया कि जब यह मजार अपने आप जमीन में धशक जाएगी तब यहां पर गांव बसना शुरू हो जाएगा.
गजेटियर में भी मिलता है इसका उल्लेख
इस घटना का उल्लेख सागर के गजेटियर में भी मिलता है, सागर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्राचीन संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के हेड प्रोफेसर नागेश दुबे बताते हैं कि धामोनी का किला अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति की वजह से 300 सालो तक राजवंशों के बीच संघर्ष का कारण रहा है, इस भव्य और असाधारण किले के लिए पहले बुंदेलों और गोंड राजाओं में युद्ध हुए फिर इसके बाद बुंदला और मुगलों में भी संघर्ष चलता रहा, कहा जाता है की मध्य काल में गोंड राजाओं ने इसका निर्माण कराया था. बाद में यह किला ओरछा के राजा वीरसिंह बुन्देला (सन 1605-27) के पास था. उन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया, लेकिन अब यह किला खंडहरों में बदल गया है. 52 एकड़ की जगह में फैले इस किले में वर्तमान में हाथी बाजार, कचहरी , रानी महल, रानी की बाबड़ी अच्छी हालात में है. दंत कथानुसार, अकबर का प्रमुख सलाहकार अबुल फजल का जन्म यही हुआ था.