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बिहार रणजी टीम में जगह न मिलने के बाद शोएब मायूस होकर क्रिकेट छोड़ने तक का सोच रहे थे. देश के लिए खेलने का सपना था लेकिन, यहां भी रणजी टीम में खेलने का मौका नहीं मिला. दुबई में क्रिकेट खेलने की वैकेंसी की खबर म…और पढ़ें
शोएब खान ने पहले मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और 34 रन के पारी खेली थी. नक्सल क्षेत्र के छोटे गांव से दुबई क्रिकेट लीग का चमकता सितारा बनना शोएब खान की संघर्ष और हिम्मत की कहानी है. जहां शिक्षा और खेल की बेहतर सुविधाएं नहीं थी, वहां बच्चे अपने सपने संजोते थे. शोएब के माता-पिता भी शुरुआत में उन्हें खेल से दूर रखने के पक्ष में थे क्योंकि उन्हें खेल में कैरियर का विश्वास नहीं था लेकिन, शोएब ने हिम्मत नहीं हारी. धीरे-धीरे उन्होंने जिला और विश्वविद्यालय स्तर की क्रिकेट टीमों में जगह बनाई.
शोएब के बड़े भाई अल्तमस खान जो गया जिले में ही संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तहत जिला आपदा प्रबंधन में एचआरवीसीए के पद पर सेवा दे रहे हैं उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि शोएब खान ने स्कूल स्तर पर क्रिकेट खेलने के बाद जिला और राज्य स्तर के टूर्नामेंट में भी भाग लिया. इसी बीच उनका नामांकन जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय, दिल्ली में हो गया, जहां उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट भी जारी रखा. अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर शोएब विश्वविद्यालय टीम में चयनित हुए और देश के कई बड़े खिलाड़ियों के साथ चैरिटी मैच और विश्वविद्यालय डेवलपमेंट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया.
शोएब की मेहनत रंग लाई और अब वह दुबई इंटरनेशनल टीम के साथ कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर चुका है. क्लब क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन के कारण उसे मैच खेलने के पैसे भी मिलने लगे. दुबई की क्रिकेट पिच पर शोएब ने अपने सपनों को नई उड़ान दी है. शोएब खान को दुबई के स्थानीय क्रिकेट में उनके बेहतरीन फील्डिंग कौशल के लिए इमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. पिछले साल उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच और बेस्ट फील्डर टूर्नामेंट का अवार्ड भी मिला.
अल्तमश खान ने बताया अगर शोएब ILT20 के डेवलपमेंट लीग में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उनका नाम अंतरराष्ट्रीय ILT20 2026 सत्र के ऑक्शन में आएगा और उम्मीद है किसी न किसी टीम में और शायद दुबई कैपिटल्स टीम के साथ और आने वाले दिनों में आइपीएल में भी खेलते नजर आ सकते हैं.