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- Deshraj Pateriya Death Update | Bundelkhand Folksinger Deshraj Pateriya Passes Away At The Age Of 67 In Chhatarpur
भोपाल26 मिनट पहले
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लोकगीत सम्राट देशराज पटेरिया का शनिवार को सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
- सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देशराज पटेरिया जी के रूप में आज संगीत जगत ने अपना एक सितारा खो दिया
- देशराज पटेरिया ने 10 हजार से भी ज्यादा बुंदेली लोकगीत गाए, प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने दुख जताया
बुंदेली लोकगीत सम्राट गायक देशराज पटेरिया का शनिवार को सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। पटेरिया को बुंदेलखंड की शान माना जाता था। उनके गाए लोकगीत घर-घर सुने और गाए जाते थे, खासकर आल्हा और हरदौल की वीरता के लोकगीत बेहद लोकप्रिय हुए थे। सीएम शिवराज ने कहा कि देशराज पटेरिया के रूप में आज हमने संगीत जगत का एक सितारा खो दिया। पटेरिया का अंतिम संस्कार भैंसासुर मुक्तिधाम में किया जाएगा।
शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी –
अपनी अनूठी गायकी से बुंदेली लोकगीतों में नये प्राण फूंक देने वाले श्री देशराज पटेरिया जी के रूप में आज संगीत जगत ने अपना एक सितारा खो दिया।
वो किसान की लली… मगरे पर बोल रहा था…जैसे आपके सैकड़ों गीत संगीत की अमूल्य निधि हैं। आप हम सबकी स्मृतियों में सदैव बने रहेंगे। ॐ शांति!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 5, 2020
उनके अचानक निधन पर प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने दुख जताया है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक व भजन सम्राट श्री देशराज पटेरिया जी के आकस्मिक निधन का समाचार सुन अत्यन्त दुःख हुआ।

देशराज पटेरिया को बुंदेलखंड में लोकगीतों का सम्राट माना जाता है।
बुंदेलखंड के लोकगीत सम्राट कहे जाने वाले पंडित देशराज पटेरिया का जन्म 25 जुलाई 1953 को छतरपुर जिले के तिंदनी गांव में हुआ था। चार भाइयों और दो बहनों में वे सबसे छोटे थे। हायर सेकेंडरी पास करने के बाद उन्होंने प्रयाग संगीत समिति से संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की। जिसके बाद पटेरिया को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिल गई। लेकिन उनका मन नौकरी से ज्यादा बुंदेली लोकगीत में रमा रहा। वे दिन में नौकरी करते थे और रात में बुंदेली लोकगीत गायन में भाग लेते थे।
1976 में आकाशवाणी से मिली पहचान
वर्ष 1972 में पंडित देशराज ने मंचों पर लोकगीत गाना शुरू किया। लेकिन उनको असली पहचान वर्ष 1976 में छतरपुर आकाशवाणी से मिली. तब उनका गायन आकाशवाणी से प्रसारित होने लगा. जिसके बाद धीरे-धीरे बुंदेलखंड में उनकी पहचान बढ़ने लगी। उन्होंने 10 हजार से भी ज्यादा लोकगीत गाए।
पटेरिया प्लेबैक सिंगर मुकेश को अपना आदर्श मानते थे
वर्ष 1980 आते-आते उनके लोकगीतों के कैसेट मार्केट में आ गए। जिसके बाद पटेरिया के लोकगीतों का जादू बुंदेलखंड वासी की जुबां पर दिखने लगा। उन्होंने बुंदेलखंड के आल्हा हरदौल ओरछा इतिहास के साथ-साथ रामायण से जुड़े हास्य, श्रृंगार संवाद से जुड़े संवाद के भी लोकगीत गाए। बुंदेलखंड में पटेरिया के नाम सबसे ज्यादा लोकगीत गाने रिकॉर्ड है। वे बॉलीवुड प्ले बैक सिंगर मुकेश को अपना आदर्श मानते थे।
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