धान भरे खेत से शवयात्रा निकलने का वीडियो हुआ था वायरल, अब सामने आई सच्चाई

धान भरे खेत से शवयात्रा निकलने का वीडियो हुआ था वायरल, अब सामने आई सच्चाई


Last Updated:

Balaghat News: आमगांव के ही मनोज गजभिए लोकल 18 को बताते हैं कि अब से कुछ साल पहले धन किशोर गजभिए नामक शख्स की मौत हो गई थी. ऐसे में खेतों से ही शव ले जाना था लेकिन गांव के ही एक व्यक्ति ने शव ले जाने से रोक दिय…और पढ़ें

बालाघाट. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित आमगांव के रहने वाले ताराचंद डोंगरे की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है. उन्हीं के गांव में उनका अंतिम संस्कार हुआ लेकिन उनकी शवयात्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या था उनकी शवयात्रा में, तो आपको हम बता देते हैं कि उनकी शवयात्रा घुटने भर कीचड़ से धान के खेतों से होकर श्मशान घाट तक पहुंची, फिर आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि क्या श्मशान घाट जाने के लिए सड़क नहीं थी, तो इसका जवाब यह है कि सड़क तो है लेकिन गांव के कुछ लोगों ने उसपर कब्जा कर लिया है. लोकल 18 ने मौके पर पहुंच सच जानने की कोशिश की.

मृतक के भतीजे अनिल डोंगरे ने लोकल 18 को बताया कि उनके चाचा ताराचंद डोंगरे की मौत हुई थी. ऐसे में शव को धान के खेतों से ले जाना पड़ा. ऐसा एक बार नहीं बार-बार होता है और उसी रास्ते से होकर श्मशान घाट जाना पड़ता है. सरकारी दस्तावेजों में श्मशान घाट जाने का रास्ता दर्ज है लेकिन शासन-प्रशासन वहां से सड़क नहीं बना रहा है. वहीं फिर वहां किसी की फसल लगी हो या खाली हो, हम लोग उसी रास्ते से होकर जाते हैं.

शव ले जाने से रोका
आमगांव के ही मनोज गजभिए बताते हैं कि अब से कुछ साल पहले धन किशोर गजभिए नाम के शख्स की मौत हुई थी. ऐसे में खेतों से ही शव ले जाना था लेकिन गांव के ही एक शख्स ने शव ले जाने से रोक दिया था. उनका कहना था कि हमारे घर के बाहर से शव नहीं ले जा सकते हैं. ऐसे में मृतक के परिजन और पक्षकार अड़ गए. ऐसे में शव नहीं ले जाने देने के विरोध में शव को लेकर धरने पर ही बैठ गए थे. पुलिस को बुलाना पड़ा था. इसके बाद आधी को रात को शव का अंतिम संस्कार हो सका था.

गांव में दो तरह के श्मशान घाट
स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव में दो तरह के श्मशान घाट हैं. गांव की नदी किनारे सवर्ण अंतिम संस्कार करते हैं. वहीं गांव के अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग अंतिम संस्कार के लिए अलग श्मशान घाट जाते हैं. पहले निर्माण कार्य नहीं थे, तो ऐसे में वे आसानी से श्मशान घाट की ओर चले जाते थे लेकिन अब उस रास्ते पर लोगों का कब्जा हो गया और लोग खेती करने लगे हैं. ऐसे में दूसरे श्मशान घाट की ओर जाने वाले लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

दूसरे पक्ष ने कहा- जमीन हमारी
इस मामले में हमने दूसरे पक्ष से भी बातचीत की. आमगांव के रहने वाले टेकचंद नगपुरे का कहना है कि वह साल 1994 में इस गांव में रहने आए थे. ऐसे में उन्होंने किसी से एक एकड़ जमीन खरीदी थी. श्मशान घाट जाने वाला रास्ता कहीं और से है. जहां से वो दावा कर रह रहे हैं, वह मेरी जमीन है, इसलिए पहले भी मैंने शवयात्रा रोकी थी. उनका कहना है कि अगर यहां से रास्ता है, तो मेरी एक एकड़ जमीन निकाल दें. उसके बाद अपना रास्ता निकाल दें. इस मामले में टेकचंद ने जिम्मेदारों पर केस दर्ज करने की भी बात कही है.

सड़क दर्ज लेकिन बनाने को बजट नहीं
इस मामले में लोकल 18 ने ग्राम पंचायत आमगांव के सरपंच रवि शंकर वरकड़े से बात की. उन्होंने कहा कि श्मशान घाट जाने के लिए वहीं से रास्ता दर्ज है लेकिन बजट न होने की वजह से सड़क नहीं बन पा रही है. अब विवाद की स्थिति न हो, इसलिए गांव में बैठक बुलाकर मसले सुलझा लिए जाएंगे.

न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homemadhya-pradesh

धान भरे खेत से शवयात्रा निकलने का वीडियो हुआ था वायरल, अब सामने आई सच्चाई



Source link