Liquor Contractors Madhya Pradesh High Court Hearing Today News Updates On MP Liquor Policy | हाईकोर्ट ने कहा- शराब दुकानदारों को एक विकल्प चुनना होगा, तीन दिन में शपथ पत्र देने का आदेश

Liquor Contractors Madhya Pradesh High Court Hearing Today News Updates On MP Liquor Policy | हाईकोर्ट ने कहा- शराब दुकानदारों को एक विकल्प चुनना होगा, तीन दिन में शपथ पत्र देने का आदेश


  • जिन शराब ठेकेदारों को सरकार की नई नीति पर ऐतराज है, उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी
  • जिन्हें सरकार की शर्ते मंजूर नहीं, उन्हें अपनी दुकान सरेंडर करनी होगी, मामले में 17 जून को अगली सुनवाई

दैनिक भास्कर

Jun 04, 2020, 08:24 PM IST

जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में गुरुवार को शराब ठेकेदारों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है। इसके मुताबिक जिन ठेकेदारों को संशोधित शराब नीति मंजूर है। वो 3 दिन के अंदर शपथ पत्र कोर्ट में दाखिल करें। जिन शराब ठेकेदारों को सरकार की नई नीति पर ऐतराज है, उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

हाईकोर्ट ने साफ किया है कि ठेकेदारों को कोई एक विकल्प चुनना होगा। हाईकोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, जिन ठेकेदारों को नई शर्त मंजूर नहीं है उनके लिए सरकार नया टेंडर जारी कर सकेगी। जिन्हें सरकार की शर्ते मंजूर नहीं, ऐसे दुकानदारों को अपनी दुकानों को सरेंडर करना होगा। मामले में 17 जून को अगली सुनवाई होगी। 

तीन दिन में देना होगा शपथ पत्र
हाईकोर्ट ने कहा जिन शराब ठेकेदारों को राज्य सरकार की संशोधित शराब नीति मंजूर है वो तीन दिन के अंदर सरकार को अपनी लिखित मंजूरी देकर शराब कारोबार जारी रख सकते हैं। वहीं, जिन ठेकेदारों को संशोधित नीति पर ऐतराज है उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में साफ किया है कि जिन शराब ठेकेदारों को शराब नीति पर आपत्ति है वो अपनी शराब दुकानें सरेंडर कर सकेंगे और ऐसे ठेकेदारों पर राज्य सरकार वसूली की कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो सरेंडर होने वाली शराब दुकानों का नए सिरे से टेंडर करें। हाईकोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 जून की तारीख तय की है। 

ये है मसला
शराब ठेकेदारों ने कोरोना लॉक डाउन में हुए घाटे का हवाला देकर हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी। ठेकेदारों ने लॉक डाउन अवधि में हुए नुकसान की भरपाई करने, ठेके के वक्त जमा करवाई गई बिड राशि घटाने या पूरे ठेके नए सिरे से जारी करने की मांग की थी। शराब ठेकेदारों ने राज्य सरकार की आबकारी नीति में किए गए उस संशोधन को भी चुनौती दी है जिसमें सरकार ने किसी शराब ठेकेदार का लायरेंस रद्द होने पर उसे ब्लैकलिस्ट करने और उसे किसी दूसरे जिले के टेंडर में हिस्सा शामिल न करने प्रावधान किया है। 



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