Last Updated:
Balaghat News: महेश प्रसाद ने लोकल 18 से कहा कि मत्स्य बीज लाकर अपनी नर्सरी में मछलियों को बड़ा करने और बड़ा करने के बाद बेचने का काम मई से लेकर अक्टूबर तक चलता है. इस काम से उन्हें 30 लाख रुपये तक की आय हो जाती है.
66 साल के महेश प्रसाद ने साल 2012 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मछली पालन के लिए एक नर्सरी तैयार की थी. शुरुआत अच्छी नहीं रही. शुरू में तकनीकी समस्याओं से जूझना पड़ा. अनुभव न होने के कारण शुरुआत में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा लेकिन साल 2021 के बाद उनके व्यवसाय ने रफ्तार पकड़ी. अब तीन एकड़ जमीन में मछली पालन काम कर रहे हैं. उनके पास 10 एकड़ का बड़ा तालाब है.
शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र मुरझड़ से जीरा फ्राई आकार की मछली के बीज लाकर अपने नर्सरी में डाला जाता है और फिंगरलिंग आकार का होने पर पैकिंग कर 500 से 650 रुपये प्रति किलो की दर से मछुआरों एवं मत्स्य पालकों को अपने तालाब में डालने के लिए विक्रय किया जाता है. वह मुरझड़ प्रक्षेत्र से रोहू, कतला और मृगल मछली के बीज लाकर अपनी नर्सरी में डालते हैं जबकि रूपचंदा, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प और फंगेसियस मछली छत्तीसगढ़ से फिंगरलिंग आकार की लेकर आते हैं. वह अपनी नर्सरी में मछलियों को उच्च गुणवत्ता का आहार देकर कम समय में फिंगरलिंग आकार का तैयार कर लेते हैं.
मछली बेचने के लिए मिला वाहन
महेश प्रसाद ने लोकल 18 को बताया कि मत्स्य बीज लाकर अपनी नर्सरी में बड़ा करने और बड़ा करने के बाद बेचने का कार्य मई से लेकर अक्टूबर तक चलता है. इससे उन्हें 30 लाख रुपये तक की आय होती है. अक्टूबर के बाद अपने बड़े तालाब में पाली गई मछलियों को बड़ा होने पर बेचने का कार्य करते हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मछली बेचने के लिए उन्हें अनुदान पर पिकअप भी मिला हुआ है. इससे वह बैहर, बिरसा और परसवाड़ा क्षेत्र में मछलियों को बेचने का काम करते हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.