CM के निर्देश-मेलीयोडोसिस बीमारी को फैलने से रोके: टीबी जैसे लक्षण, संक्रमित पानी और मिट्टी से फैलती है; MP में 130 केस मिले, 40% मृत्युदर – Bhopal News

CM के निर्देश-मेलीयोडोसिस बीमारी को फैलने से रोके:  टीबी जैसे लक्षण, संक्रमित पानी और मिट्टी से फैलती है; MP में 130 केस मिले, 40% मृत्युदर – Bhopal News


मध्यप्रदेश में अब तक 130 से ज्यादा मरीज मेलीओडोसिस नामक संक्रमण से ग्रसित पाए गए हैं। यह बैक्टीरिया जनित रोग इतना खतरनाक है कि यदि समय पर सही इलाज न मिले तो मौत हो सकती है। यही कारण है कि इस रोग से पीड़ित हर 10 मरीजों में 4 की मृत्यु हो जाती है।

.

इसके लक्षण टीबी जैसे होने से अधिकतर मामलों में मरीज को गलत इलाज मिलता है। वहीं, समस्या बढ़ने पर जब सही इलाज शुरू होता है, तब तक संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका होता है। यह खुलासा एम्स भोपाल की ताजा रिपोर्ट से हुआ। धान के खेतों और दूषित पानी में पाए जाने वाले बर्कहोल्डरिया स्यूडोमैली बैक्टीरिया से यह संक्रमण होता है। रिपोर्ट में कहा गया कि धान का रकबा और पानी के स्रोत बढ़ने से संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घातक रोग को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य और कृषि विभाग को संयुक्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों और आमजन का स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीएम ने विभागों को कहा कि प्रभावित और संभावित क्षेत्रों में व्यापक जांच करें और किसानों को सजग व जागरूक बनाएं। यदि कोई मरीज चिह्नित हो तो उसके समुचित उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज यह रोग लंबे समय तक बुखार, लगातार खांसी, सीने में दर्द और टीबी जैसी शिकायतों के रूप में सामने आता है। डायबिटीज के मरीज और अधिक शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति इसमें अधिक संवेदनशील पाए गए हैं। एम्स भोपाल ने डॉक्टरों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समय पर पहचान और उपचार से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।

20 जिलों में आ चुके हैं केस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 6 सालों में मध्यप्रदेश के 20 से अधिक जिलों से 130 से ज्यादा मेलीओडोसिस के मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि यह बीमारी अब प्रदेश में स्थानिक (एंडेमिक) रूप ले चुकी है। संस्थान ने डॉक्टरों और आम जनता दोनों से अपील की है कि लंबे समय तक ठीक न होने वाले बुखार और टीबी जैसे लक्षणों को हल्के में न लें।

14 नए केस आए सामने एम्स भोपाल ने 2023 से अब तक चार विशेष प्रशिक्षण आयोजित किए हैं, जिनमें 25 से अधिक सरकारी व निजी संस्थानों के 50+ माइक्रोबायोलॉजिस्ट और चिकित्सक प्रशिक्षित किए गए। इनकी बदौलत हाल ही में 14 नए केस अलग-अलग संस्थानों (जीएमसी भोपाल, बीएमएचआरसी, जेके हॉस्पिटल, सागर व इंदौर) से रिपोर्ट किए गए। यह इस बात का सबूत है कि जागरूकता और लैब क्षमता बढ़ने से पहचान भी तेजी से हो रही है।

WHO- उभरती हुई उपेक्षित बीमारियों की सूची में शामिल मेलीओडोसिस दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पहले से ही एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। अब भारत के कई राज्यों, खासकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में इसके बढ़ते केस चिंता का विषय हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसे उभरती हुई उपेक्षित बीमारियों की सूची में शामिल किया है।

एम्स की सलाह… यदि किसी को 2–3 हफ्तों से अधिक बुखार है, एंटी-टीबी दवा से कोई फायदा नहीं हो रहा या बार-बार फोड़े बन रहे हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ से मेलीओडोसिस की जांच करवाएं। यही सावधानी जीवन बचा सकती है।



Source link