महाकाल की नगरी में व्हीलचेयर पर गरबा… बैसाखियों संग दिव्यांगों ने दिखाया जज्बा, थिरके नन्हे कदम

महाकाल की नगरी में व्हीलचेयर पर गरबा… बैसाखियों संग दिव्यांगों ने दिखाया जज्बा, थिरके नन्हे कदम


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Special Garba festival For Disabilities: नवरात्रि का पर्व सिर्फ भक्ति और उल्लास का नहीं, बल्कि समाज की समावेशी भावना का भी प्रतीक है. धार्मिक नगरी उज्जैन शहर मे एक ऐसी ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई, जहां विकलांग और दिव्यांग लोगों के लिए एक विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया. देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

Special Garba festival For Disabilities: धार्मिक नगरी उज्जैन में हर पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ में बनाया जाता है. इन दिनों नवरात्रि पर्व की यहा धूम देखने को मिल रही है. नवरात्रि का पर्व भक्ति और उल्लास का ही नहीं, बल्कि समाज की समावेशी भावना का भी प्रतीक है. इसी कड़ी में इसी संदेश को जीवंत करने वाला एक अनोखा आयोजन हुआ. यहां दिव्यांग और विकलांग लोगों के लिए विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें व्हीलचेयर पर बैठे, बैसाखियों का सहारा लिए और अपनी अद्भुत ऊर्जा से भरपूर दिव्यांगों ने गरबा खेलकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.

दिव्यांग बच्चों, महिलाओं और युवाओं ने जताई खुशी
नवरात्रि के पावन अवसर पर दिव्यांग बच्चे, बड़े और महिलाएं माता की भक्ति मे लीन दिखाई दिए. मां के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की धुन पर दिव्यांगों ने गरबे खेलकर अपनी खुशी जाहिर की. उनका उत्साह देखकर वहां मौजूद लोग भी उनकी इस खुशी मे मस्ती मे जुमते हुए नजर आए.

पार्क में अनूठा आयोजन
महाकाल की नगरी मे कोठी रोड स्थित दिव्यांग पार्क में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन किया गया. इस अनूठे आयोजन में दिव्यांग बच्चों ने पारंपरिक परिधानों में सजकर गरबे की ताल पर अपनी कला और उत्साह का प्रदर्शन किया. उनकी मासूम मुस्कान और उमंग से पूरा माहौल भावुक और ऊर्जा से भर गया.

दिव्यांग के साथ मेयर के भी थिरके कदम 
कार्यक्रम की शुरुआत महापौर मुकेश टटवाल ने की. उन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह आयोजन सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि दिव्यांग बच्चों के आत्मविश्वास और प्रतिभा को मंच देने का एक प्रयास है. महापौर ने खुद बच्चों के साथ गरबा खेला और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. बच्चों ने रंग-बिरंगे परिधानों में गरबे के पारंपरिक गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया. तालियों की गूंज और दर्शकों की खुशी ने बच्चों का आत्मविश्वास और बढ़ा दिया. वहां मौजूद हर दर्शक ने बच्चों की मेहनत और जज्बे को सलाम किया.

क्या बोले महापौर मुकेश टटवाल 
दिव्यांग बच्चे किसी भी तरह से समाज से अलग नहीं हैं. उनमें अपार प्रतिभा छिपी हुई है. हमें सिर्फ उन्हें अवसर देने की जरूरत है. ऐसे आयोजन बच्चों के आत्मबल को बढ़ाते हैं और समाज को भी यह सीख देते हैं कि खुशियों का कोई बंधन नहीं होता.

देखने में बड़े लेकिन दिमाग से बच्चे
मनोविकास केंद्र के फादर जॉर्ज के मुताबिक, यह बच्चे मानसिक रूप से पीड़ित (दिव्यांग) अध्यनरत हैं, जिनकी उम्र 5 वर्ष से लेकर 35 वर्ष तक है. ये सभी बच्चे ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित हैं. इन्हें नाम लिखना तक नहीं आता, कलर की पहचान नहीं कर पाते हैं. कुछ हाइपर एटीट्यूड वाले बच्चे हैं, लेकिन फिर भी यह हर प्रोग्राम मे बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं. आज यह गरबे में शामिल होकर काफी ख़ुश हुए.

Deepti Sharma

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re… और पढ़ें

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महाकाल की नगरी में व्हीलचेयर पर गरबा… बैसाखियों संग दिव्यांगों का दिखा जज्बा



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