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Satna News: आरती सिंह बघेल का मानना है कि उनकी यह सेवा न केवल महिलाओं को सुरक्षित बनाती है बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत करती है. इस काम से उन्हें बेहद खुशी मिलती है और गर्व महसूस होता है.
सतना. मध्य प्रदेश के सतना की ग्राम सिधौली निवासी आरती सिंह बघेल ने साबित कर दिया है कि विपरीत परिस्थितियां किसी की हिम्मत और ताकत को तोड़ नहीं सकतीं. जीवन की गहरी त्रासदियों से उबरकर उन्होंने समाजसेवा की राह अपनाई और अब तक वह 500 से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क तलवारबाजी और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. आरती सिंह बघेल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उनके जीवन में ऐसा समय भी आया, जब निराशा ने उन्हें पूरी तरह घेर लिया था. 21 साल की उम्र में शादी होने के बाद 10 वर्ष के अंदर ही उन्हें जीवन के कड़वे अनुभव झेलने पड़े. 2011 में भाई, 2016 में दो बच्चों और उसके तीन साल बाद पिता की मृत्यु ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया. ऐसे समय में उन्हें लगा कि जैसे भगवान भी उनसे रूठ गए हैं. वह लगातार दो साल तक डिप्रेशन में रहीं, फिर उनके परिवार और पति ने उन्हें नई उम्मीद और जीवन जीने की राह दिखाई.
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा
आरती का कहना है कि उन्हें इस दिशा में प्रेरणा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी से मिली. उन्होंने मन में ठान लिया था कि वह महिलाओं को इतना सशक्त बनाएंगी कि वे किसी भी मुश्किल परिस्थिति में खुद की सुरक्षा कर सकें. यही सोच वह पिछले पांच साल से महिलाओं को लगातार निःशुल्क तलवारबाजी सिखाने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
500 से ज्यादा महिलाओं को किया प्रशिक्षित
आरती ने अब तक 500 से ज्यादा महिलाओं को तलवारबाजी की बारीकियां सिखाई हैं. उनका प्रशिक्षण घर, स्कूल, कॉलेज और विशेष कैंपों में दिया जाता है. प्रशिक्षण में बेसिक तलवारबाजी से लेकर चार तलवारें एक साथ चलाने तक की विधियां शामिल हैं. एक हफ्ते में महिलाएं बेसिक तकनीक सीख जाती हैं जबकि पूरा प्रशिक्षण चार से पांच महीने तक चलता है. इस दौरान डिफेंस, अटैक और तलवार रास जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
आरती का मानना है कि उनकी यह सेवा न केवल महिलाओं को सुरक्षित बनाती है बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत करती है. उनका कहना है कि इस काम से उन्हें खुशी और गर्व महसूस होता है. महिला शक्ति को सबला बनाने में उनकी भी कुछ भागीदारी है. उनके प्रयास यह संदेश देते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत और साहस के साथ अपने सपनों और समाजसेवा को आगे बढ़ाया जा सकता है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.