रावण नहीं हिरण्य कश्यप का होता है वध, यहां तब मनाते हैं दशहरा

रावण नहीं हिरण्य कश्यप का होता है वध, यहां तब मनाते हैं दशहरा


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Khargone News: इस बार यह आयोजन 30 सितंबर और 1 अक्टूबर की दरमियानी रात को होगा, जो 2 सितंबर की सुबह तक चलेगा. पहले दिन झाड़ पूजन के बाद गणेश भगवान और मां अंबे की सवारी निकलेगी.

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन में दशहरा पर्व पर एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जो पूरे देश में अलग पहचान रखती है. यहां दशहरा का उत्सव रावण दहन से नहीं बल्कि हिरण्य कश्यप वध से शुरू होता है. भावसार मोहल्ले के प्राचीन श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर परिसर में होने वाला यह आयोजन 400 साल से भी ज्यादा पुराना है. खास बात यह है कि इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए हर साल हजारों लोग आधी रात से लेकर तड़के सुबह तक जुटते हैं.

दरअसल खरगोन में इस परंपरा की शुरुआत करीब 407 साल पहले हुई थी. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी की रात ‘खप्पर’ की सवारी निकलती है. इसमें मां अंबे और महाकाली की झांकी सजाई जाती है और भावसार समाज के लोग देवी-देवताओं का रूप धारण कर स्वांग रचते हैं. पारंपरिक गर्बियों के बीच यह आयोजन पूरी रात चलता है. इसका सबसे आकर्षण समय तब आता है, जब भगवान नृसिंह प्रकट होकर हिरण्य कश्यप का वध करते हैं और उसी के बाद दशहरा मनाने की परंपरा निभाई जाती है.

रात 3 बजे भी जुटती है भीड़
इस आयोजन की खासियत यह है कि इसकी शुरुआत आधी रात से होती है और तड़के सुबह तक चलती है. अष्टमी की रात मां अंबे और नवमी की रात मां महाकाली शेर पर सवार होकर आती हैं. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह करीब 3 से 5 बजे तक भगवान नृसिंह की सवारी निकलती है. इसी दौरान हिरण्य कश्यप वध होता है. भीड़ का उत्साह ऐसा रहता है कि रात के इस पहर में भी हजारों लोग सड़कों और मंदिर परिसर में मौजूद रहते हैं.

परंपरा के पीछे आस्था
खप्पर समिति के अध्यक्ष मोहन भावसार लोकल 18 को बताते हैं कि यह परंपरा उनके पूर्वजों ने शुरू की थी और आज भी इसे उसी श्रद्धा के साथ निभाया जा रहा है. उनका कहना है कि देशभर में जहां दशहरा रावण दहन से जुड़ा है, वहीं खरगोन में दशहरा तभी मनाया जाता है, जब भगवान नृसिंह हिरण्य कश्यप का वध करते हैं. इस परंपरा में जिस खम्भ (झाड़) के ऊपर दीपक जलाए जाते हैं, वो और देवी-देवताओं की वेशभूषा, शस्त्र और मुखौटे भी 407 साल पुराने हैं. आज तक इनमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.

इस साल कब होगा आयोजन?
इस बार यह आयोजन 30 सितंबर और 1 अक्टूबर की रात को होगा, जो 2 सितंबर की सुबह तक चलेगा. पहले दिन झाड़ पूजन के बाद भगवान गणेश और मां अंबे की सवारी निकलेगी. दूसरे दिन मां महाकाली की सवारी के बाद ब्रह्म मुहूर्त में भगवान नृसिंह का आगमन होगा और हिरण्य कश्यप वध किया जाएगा. इसके साथ ही खरगोन में दशहरा का पर्व उल्लास और परंपरा के साथ मनाया जाएगा.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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