खंडवा में 11 मौतों का जिम्मेदार कौन: ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं था, पुलिस और कोटवार मौके पर नहीं थे – Madhya Pradesh News

खंडवा में 11 मौतों का जिम्मेदार कौन:  ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं था, पुलिस और कोटवार मौके पर नहीं थे – Madhya Pradesh News


खंडवा के जामली खुर्द गांव के तालाब में ट्रैक्टर ट्रॉली पलटने से 11 लोगों की मौत के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं। क्या यह सिर्फ एक हादसा था? या यह प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता का नतीजा था, जिसे आम आदमी की जान से कोई मतलब नहीं?

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भास्कर ने जब इस पूरी घटना की सिलसिलेवार पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि जिस तालाब पर 30-40 गांव के लोग मूर्ति विसर्जन करने पहुंचते हैं, वहां घटना के दिन पुलिस बल ही तैनात नहीं था। गांव का कोटवार भी नदारद था। जिस ड्राइवर ने ट्रैक्टर को पानी में उतार दिया उसके पास ट्रैक्टर चलाने का लाइसेंस ही नहीं था।

सिलसिलेवार बताते हैं कि कौन है 11 मौतों के जिम्मेदार और उनकी क्या लापरवाही रही? पढ़िए रिपोर्ट…

इसी जगह ट्रैक्टर ट्रॉली डूबने से 11 लोगों की मौत हो गई।

हादसे के दिन नदारद पुलिस, हादसे के बाद नजर आई गुरुवार शाम को हादसे के बाद शुक्रवार यानी 3 अक्टूबर को हादसे में मारे गए सभी लोगों के शव गांव पहुंचे। शवों के पहुंचने से पहले ही गांव में भारी पुलिस बल तैनात हो गया। पुलिस की बसें गांव से 3 किमी दूर खड़ी थीं, क्योंकि गांव तक पहुंचने के लिए कोई ढंग का रास्ता नहीं था। सुबह करीब 9 बजे खबर आई कि पीड़ित परिजन से मुलाकात करने मुख्यमंत्री आ रहे हैं।

इस खबर के आते ही जो प्रशासन कल तक नदारद था, वह हरकत में आ गया। एक घंटे के भीतर 4 डंपर और एक जेसीबी बुलाई गई। गड्ढों से भरी, कीचड़ सनी उस संकरी पगडंडी पर मुरम डालने का काम युद्धस्तर पर शुरू हो गया, जिसे गांव वाले सड़क कहते हैं। सुबह 9:30 बजे शुरू हुआ काम दोपहर 1 बजे तक पूरा हो गया।

महज 4 घंटों में मुख्यमंत्री के काफिले के लिए एक अस्थायी सड़क तैयार थी। जिस पुलिस को दशहरे के दिन उस तालाब पर मुस्तैद होना था, वह आज मुख्यमंत्री के दौरे के लिए सड़क बनवाने में मुस्तैद थी।

अब जानिए इस हादसे के लिए जिम्मेदारों के बारे में

घटना के बाद ड्राइवर फरार हुआ, दूसरे दिन पकड़ा गया घटना में बचे लोगों और चश्मदीदों ने एक सुर में कहा कि पहला जिम्मेदार ड्राइवर दीपक ही है। घटना के बाद वह मौके से फरार हो गया, जिसे बाद में पुलिस ने उसके मामा के गांव आरुद से हिरासत में लिया।

बाइक से विसर्जन देखने गए सुनील ने बताया, ‘हमने ड्राइवर को रोकने की कोशिश की, उसे चिल्लाकर कहा कि आगे पानी गहरा है। उसने या तो सुना नहीं, या अनसुना कर दिया। तालाब के पास आते ही उसने स्पीड और बढ़ा दी और ट्रैक्टर पलट गया।

मुख्यमंत्री के आने की सूचना पर गांव में तत्काल ही भारी पुलिस बल पहुंच गया।

मुख्यमंत्री के आने की सूचना पर गांव में तत्काल ही भारी पुलिस बल पहुंच गया।

दीपक के परिजन बोले- उसके पास लाइसेंस नहीं दीपक के बड़े पापा गंगाराम का दावा है कि दीपक को ट्रैक्टर चलाने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने कहा, ‘दीपक तो बाइक से निकला था। ट्रैक्टर काकोडा में पंचर हो गया, तो वहां के किसी धर्मेंद्र का ट्रैक्टर लिया गया और लोगों ने दीपक पर चलाने का दबाव बनाया।

उसने पहले ट्रैक्टर रोका भी था, लेकिन ट्रॉली में बैठे लोगों ने ही उसे आगे ले जाने को कहा।’ गंगाराम से पूछा क्या दीपक के पास लाइसेंस था? तो बोले- नहीं, उसके पास लाइसेंस नहीं है। वह 5-6 साल से सिर्फ घर का ट्रैक्टर खेती-किसानी के काम में चलाता है।

कोटवार बोला- मौके पर मौजूद था, लोग बोले- नहीं था जमाई गांव के युवा आकाश, जो घटना के बाद सबसे पहले तालाब में कूदे और 15 लोगों को बाहर निकाला, कहते हैं, ‘अगर यहां पुलिस या कोटवार होता, तो ट्रैक्टर को पानी में जाने ही नहीं दिया जाता। जानें बच सकती थीं।’ 40 सालों से उसी तालाब में मूर्ति विसर्जित कर रहे ग्रामीणों ने भी पुष्टि की कि हर साल वहां पुलिस या चौकीदार होते थे, लेकिन इस बार कोई नहीं था।

जब हमारी टीम कोटवार लोकेंद्र बारे से मिली, तो वह अपनी ड्रेस में नहीं थे और अपने गांव की मूर्ति विसर्जित करा रहे थे। उन्होंने दावा किया, ‘मैं ड्यूटी पर था। मैंने ट्रैक्टर ड्राइवर को रोका, पर वह नहीं रुका। बोला कि मुझे रास्ता पता है।’ ग्रामीणों का कहना है कि कोटवार घटना के बाद मौके पर पहुंचा था।

टीआई बोले- थाने पर स्टाफ की कमी जमाई खुर्द तालाब पर हर साल विसर्जन होता है। ये जानते हुए भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए। जब ये सवाल पंधाना टीआई दिलीप देवड़ा से पूछा तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, लेकिन ऑफ-कैमरा कहा कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।

थाने के अन्य पुलिसकर्मियों ने भी स्टाफ की कमी का रोना रोया। उन्होंने बताया कि पूरे थाने में 8-9 लोगों का स्टाफ है, जिससे 48 गांवों को संभालना पड़ता है।

पुलिस बड़ी जगहों पर तैनात होती है, छोटी जगहों पर नहीं: एसपी घटना के अगले दिन गांव में 30 से ज्यादा जवानों और 4 लेयर की बैरिकेडिंग के साथ मुख्यमंत्री की सुरक्षा का प्रबंधन कर रहे एसपी से पूछा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवारी ले जाना कानूनी है? तो उन्होंने कहा, “वो सवारी नहीं थी, गांव और परिवार के लोग विसर्जन के उद्देश्य से जा रहे थे।”

उनसे ये भी पूछा कि पुलिस वहां मौजूद नहीं थी, तो उन्होंने कहा कि कोटवार मौजूद था, जबकि ग्रामीणों ने इससे इनकार किया। एसपी ने माना कि बड़ी जगहों पर पुलिस की ड्यूटी होती है और छोटी जगहों पर होमगार्ड से काम चलाया जाता है।

ऐसी कितने जगह बैरिकेडिंग करेंगे: कलेक्टर इस मामले को लेकर कलेक्टर ने चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा ऐसे तालाब हर गांव में मिल जाएंगे। कहां-कहां बैरिकेड करेंगे? कोई उथला पानी समझकर निकल जाए तो पूरे तालाब को थोड़ी बैरिकेड कर दोगे। कलेक्टर से पुलिस ड्यूटी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वहां सिर्फ कोटवार की ड्यूटी लगती है।

उनसे जब पुलिस बल की कमी का सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “पुलिस की ड्यूटी लगी थी, लेकिन उसी दिन पंधाना में एक और घटना हो गई, जहां एक डीजे लोगों पर चढ़ गया। सारा पुलिस बल वहां चला गया।” घटना को लेकर कलेक्टर ने कहा कि ड्राइवर थोड़ा शराब में था, ओवरकॉन्फिडेंस में घटना कर बैठा।

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खंडवा हादसे में जान गंवाने वाले हर शख्स का अपना दर्द है। सभी लोग उस पल को याद कर रहे हैं जब उनके बच्चे देवी विसर्जन के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली पर सवार हुए थे। प्यार सिंह की दो बेटियां, 18 साल की शर्मिला और 16 साल की आरती की इस हादसे में मौत हो गई। पढ़ें पूरी खबर…



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