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Indore Footi Kothi History: इंदौर अपने इतिहास के लिए जाना जाता है. यहां आज भी ऐसे कई इमारत हैं जो अपनी कहानी बयां करते हैं. आइए जानते हैं इन्हीं में से एक फूटी कोठी के बारे में…
इंदौर के बारे में कहा जाता है कि यह शहर एक दौर का गवाह है इसने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. जब देश गुलामी की बेड़ियो में था तब भी अंग्रेज यहां शासन नहीं कर पाए. इसके आसपास कुछ छावनियां बनाकर वह जरूर रहते थे. इसी की गवाही देती इमारत यहां पर मौजूद है जिसका नाम है फूटी कोठी. इसे बनवाया था होलकर राजवंश ने ताकि अंग्रेज ऐसी कोई हिमाकत न कर सके जिससे शहर वासियों की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो.
फूटी कोठी की खासियत
इस कोठी का निर्माण महाराज शिवाजी राव होल्कर ने सन 1825 में शुरू कराया था जिसका काम 1875 तक चला. निर्माण के दौरान ही अंग्रेजों को इसकी जानकारी मिल गई थी जिसकी वजह से उन्होंने इसका काम रुकवा दिया और यह इमारत अधूरी रह गई. अगर आप गौर से इसका वीडियो देखेंगे तो भारतीय शैली में बनी यह दो मंजिल की यह इमारत छत विहीन है.
पूरी इमारत में गोलाकार स्तंभ है और ऊपर से यह चतुष्कोणीय है. जिन पर बार वही कीचक आकृतियों का अंकन है, निर्माण के दौरान हर एक स्तंभ को अर्क द्वारा जोड़ा गया. इस विशाल कोठी में 365 कमरे हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इसमें से हर एक का निर्माण एक दिन में किया गया. कोठी बनाने के लिए उस वक्त इंग्लैंड से पत्थर मंगाया गया था. कोठी के आसपास अलग-अलग देवी देवताओं के करीब 18 मंदिर है.
पूरे इंदौर में जाती थी गुफाएं
बताया जाता है कि कोठी से शहर के अलग-अलग हिस्सों में गुफाएं जाती थी. एक गुफा राजवाड़ा एक गुफा हवा बंगला जगह पर जाती थी. इसके अतिरिक्त एक गुफा महू तक बन रही थी जिसे अंग्रेजों ने भनक लगते ही रुकवा दिया था.आज फूटी कोठी न केवल शहर की बल्कि अंग्रेज दौर में भी होलकर शासन के बल की परिचायक है जो अटल है आदि है और बताती है कि मालवा की धरती अंग्रेजों को सीधी चुनौती देती थी.
Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें
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