मंडीदीप में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर निकली शोभायात्रा: लव-कुश की झांकी दिखी, वक्ता बोले- वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि रहे – Mandideep News

मंडीदीप में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर निकली शोभायात्रा:  लव-कुश की झांकी दिखी, वक्ता बोले- वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि रहे – Mandideep News


मंडीदीप में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर नगर के वार्ड 8 स्थित संत रविदास मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। शाम 8 बजे भगवान वाल्मीकि की शोभायात्रा निकाली गई, जिसका शुभारंभ संत रविदास मंदिर से हुआ।

.

शोभायात्रा में आगे रथ पर ध्वजवाहक के रूप में बालिकाएं सवार थीं। उनके पीछे ढोल-डीजे की धुन पर नाचते-गाते श्रद्धालु चल रहे थे। सुसज्जित रथ पर महर्षि वाल्मीकि के साथ लव-कुश की जीवंत झांकी भी शामिल थी।

महर्षि वाल्मीकि की आरती उतारी गई

शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए रात्रि लगभग 8 बजे शनिवार बाजार पहुंची, जहां श्रद्धालुओं ने महर्षि वाल्मीकि की आरती उतारी और पुष्पवर्षा की।

इसके बाद शोभायात्रा फिर से संत रविदास मंदिर लौट आई। मंदिर में आरती-पूजन के बाद प्रसाद वितरण किया गया। रात्रि में विभिन्न भजन मंडलियों ने भजन-संकीर्तन का आयोजन किया।

रथ पर वाल्मीकि जी की झांकी निकाली गई।

इसके पूर्व संत रविदास मंदिर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अतिथि वक्ताओं ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन और उनके योगदान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि और रामायण महाकाव्य के रचयिता हैं।

वक्ताओं ने उनके जीवन में हुए परिवर्तन का भी उल्लेख किया, जब डाकू रत्नाकर महर्षि नारद की शिक्षा से तपस्या कर आदिकवि वाल्मीकि बन गए। वाल्मीकि जयंती को सत्य, भक्ति और ज्ञान की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।



Source link