ममेरी बहन को मानने लगा था माशूका, किया प्रपोज: आशिकी के जुनून और पागलपन में मारी गोली, उम्रकैद की सजा हुई फिर लगाई फांसी – Madhya Pradesh News

ममेरी बहन को मानने लगा था माशूका, किया प्रपोज:  आशिकी के जुनून और पागलपन में मारी गोली, उम्रकैद की सजा हुई फिर लगाई फांसी – Madhya Pradesh News


मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट 1 में आपने पढ़ा 8 मई 2014 को भोपाल में लालघाटी स्थित सुंदरवन मैरिज गार्डन में डॉ.जयश्री नामदेव और डॉ.रोहित नामदेव की शादी का रिसेप्शन चल रहा था। शादी में वरमाला के बाद जब फोटो सेशन चल रहा था तभी स्टेज पर एक युवक पहुंच

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युवक ने दूसरा फायर दूल्हे डॉ.रोहित नामदेव पर करने की कोशिश की। डॉ.रोहित ने युवक का हाथ पकड़ा, लेकिन तब तक गोली चल चुकी थी। दूसरी गोली पास खड़े दूल्हे के दोस्त कचरू सिसौदिया के पैर में लगी। घटना में डॉ.जयश्री की मौत हो गई। शादी में पहुंचे मेहमानों ने हमलावर युवक की जमकर पिटाई की। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।

जयश्री के पिता घनश्याम से पुलिस ने पूछा कि क्या वो युवक को जानते हैं तो उन्होंने कहा हां…। युवक ने जयश्री पर गोली क्यों चलाई? जयश्री के पिता उसे कैसे जानते थे? युवक ने पूछताछ में क्या बताया। पढ़िए आगे की कहानी

पुलिस हिरासत में आरोपी युवक ने अपना गुनाह कबूल करते हुए जो कहानी सुनाई, वो एकतरफा प्यार और खूनी जुनून की एक भयावह दास्तां थी। उसने कहा, ‘मैं जयश्री को बेइंतहा चाहता था। उससे बहुत प्यार करता था। इतना प्यार कि मैं उसके लिए पागल हो गया था। मैं उसे अपनी जीते जी किसी दूसरे की जागीर बनते नहीं देख सकता था। इसलिए मैंने उसे मौत के घाट उतार दिया।

अब ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? फांसी हो जाएगी। मुझे फांसी भी मंजूर है। कम से कम एक बार में मौत तो आ जाएगी। वह किसी और की हो जाती तो मुझे रोज-रोज मरना पड़ता।’

डॉ. जयश्री के पिता घनश्याम ने पुलिस को जो बताया, उससे इस पूरी खूनी साजिश की परतें खुलती चली गईं। उन्होंने बताया कि बेटी को गोली मारने वाला युवक अनुराग नामदेव, उनकी अपनी सगी बहन अंगूरीबाई का बेटा था। जयश्री उसे राखी बांधती थी और वो उसे भाई मानती थी। घनश्याम ने बताया कि उन्होंने जानबूझकर अनुराग को शादी का निमंत्रण नहीं भेजा था, क्योंकि वो उसकी फितरत से वाकिफ हो चुके थे।

घनश्याम ने बताया कि उनकी छोटी बहन अंगूरीबाई की शादी सागर जिले में हुई थी। कुछ साल पहले उनके पति की कैंसर से मौत हो गई थी। अंगूरीबाई के दो बेटे थे- अनुराग और अंबर। परिवार का गुजारा कपड़ों के पुश्तैनी व्यापार से चलता था, जिसे अंगूरीबाई का देवर संभालता था। बहन और भांजों की आर्थिक स्थिति को लेकर घनश्याम हमेशा चिंतित रहते थे और समय-समय पर उनकी मदद करते थे।

ममेरी बहन के लिए हवन और जुनून पनपने लगा अनुराग भोपाल आ गया। मामा-मामी और बहन जयश्री उसका पूरा ख्याल रखते थे। परिवार को उसके पिता की मौत की वजह से उससे गहरी सहानुभूति थी। पढ़ाई के दौरान एक बार जब अनुराग गंभीर रूप से बीमार पड़ा, तो मामा घनश्याम ने उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती करवाया और उसके इलाज का सारा खर्च उठाया।

मामा के घर रहते हुए अनुराग के मन में अपनी ही ममेरी बहन जयश्री के लिए हवस और जुनून पनपने लगा। वो उसे एकतरफा प्यार करने लगा था। यह प्यार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की सीमाओं को लांघ चुका था। कोचिंग पूरी होने के बाद अनुराग का चयन एक बैंक में पीओ के पद पर हो गया और उसे सागर में पोस्टिंग मिली। लेकिन, सागर जाने के बाद भी उसके दिलो-दिमाग पर जयश्री छाई रही। वो प्यार से जयश्री को ‘जया’ कहता था, लेकिन यह पुकार एक भाई की नहीं, बल्कि एक पागल आशिक की थी।

आशिकों की तरह दर्द भरे गाने सुनने लगा जयश्री ने अपने स्तर पर अनुराग को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो कुछ भी समझने को तैयार नहीं था। जब भी मौका मिलता, वो अपने प्यार का हवाला देकर जयश्री से शादी करने की जिद करता। जब अनुराग का दबाव बढ़ने लगा, तो जयश्री ने परेशान होकर अपने माता-पिता को सब कुछ बता दिया।

यह हकीकत जानकर पिता घनश्याम और मां लक्ष्मी सन्न रह गए। उन्होंने बेटी को समझदारी से काम लेने की सलाह दी और इस परेशानी का हल निकालने का भरोसा दिलाया। मामला करीबी रिश्तेदारी का था, इसलिए घनश्याम ने बदनामी के डर से पुलिस से संपर्क नहीं किया। उन्होंने अपनी बहन अंगूरीबाई से बात की।

बड़े भाई के उपकारों तले दबी अंगूरीबाई ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो अनुराग को समझाएगी। मां के समझाने पर अनुराग कुछ समय के लिए मान तो गया, लेकिन यह सिर्फ एक दिखावा था। उसके दिमाग से जयश्री का ख्याल नहीं गया। वो आशिकों की तरह दर्द भरे गाने सुनने लगा और शेरो-शायरी में अपने बीमार दिल का इलाज ढूंढने लगा, जिससे उसका जुनून और बढ़ता गया।

दूसरी तरफ, हमीदिया अस्पताल में कार्यरत डॉ. जयश्री के लिए उनके पिता ने समाज के ही एक योग्य लड़के, डॉ. रोहित नामदेव का रिश्ता ढूंढा। दोनों परिवारों की सहमति से रिश्ता तय हो गया। 3 फरवरी 2014 को भोपाल में डॉ. जयश्री और डॉ. रोहित की सगाई हुई। घनश्याम ने इस बात की भनक अनुराग को नहीं लगने दी।

सगाई के दो दिन बाद, 5 फरवरी को डॉ. रोहित ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सगाई की तस्वीरें पोस्ट कर दीं। जैसे ही अनुराग ने जयश्री को किसी और के साथ देखा, वो आग-बबूला हो उठा। उसे लगा जैसे किसी ने उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया हो। उसने तुरंत मामा घनश्याम और जयश्री को फोन कर शादी करने की अपनी बेहूदी ख्वाहिश फिर से जाहिर की और न मानने पर उन्हें देख लेने की धमकी भी दे डाली।

अनुराग ने भेजा धमकी भरा मैसेज सोशल मीडिया पर जयश्री की तस्वीरें देख-देखकर अनुराग का पागलपन बढ़ता जा रहा था। उसे लग रहा था कि जयश्री हमेशा के लिए उससे दूर हो जाएगी। घनश्याम को डर था कि अनुराग शादी में कोई बखेड़ा खड़ा कर सकता है। जिस भांजे को उन्होंने बेटे की तरह पाला, वो आस्तीन का सांप निकलेगा, यह उन्होंने कभी नहीं सोचा था।

शादी से कुछ दिन पहले उन्होंने अपने भतीजे शैलेंद्र नामदेव से इस बारे में सलाह की। शैलेंद्र ने फोन कर अनुराग को समझाने की कोशिश की। लेकिन अनुराग ने उसे भी धमकी भरा मैसेज भेजा, जिसमें लिखा था, ‘तू अपनी दोनों बेटियों का ख्याल रख। उन्हें अभी बहुत जीना है।’

आखिरकार शादी का दिन आ गया। 8 मई 2014। घनश्याम ने हर précaution ली थी, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। अनुराग बिना बुलाए शादी में पहुंचा और मौका पाकर उस खूनी वारदात को अंजाम दे दिया। पुलिस ने जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश किया। केस की सुनवाई शुरू हुई तो आरोपी अनुराग अपने बयान से पलट गया।

उसने कोर्ट में कहा कि उसे झूठा फंसाया जा रहा है। उसने कोई गोली नहीं चलाई। वो जैसे ही शादी में पहुंचा, गेट पर ही उसे पकड़ कर उसके साथ मारपीट की गई। बचने के लिए अनुराग की तरफ से कई तर्क दिए गए, लेकिन चश्मदीदों के बयानों और ठोस सबूतों के सामने उसकी एक न चली। भोपाल जिला कोर्ट ने 11 फरवरी 2015 को आरोपी अनुराग को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

अनुराग जेल में अपनी सजा काट रहा था। करीब 4 साल बाद, साल 2019 में वो पैरोल पर बाहर आया। उसकी पैरोल खत्म हो रही थी। 12 जून 2019 की शाम 5 बजे उसे वापस केंद्रीय जेल लौटना था, लेकिन उस सुबह सागर स्थित अपने घर में उसने तौलिए से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। एकतरफा प्यार के इस पागलपन ने दो परिवारों को हमेशा के लिए तबाह कर दिया।

एक बेटी अपने सपनों की डोली में विदा होने से पहले ही दुनिया से विदा हो गई, और एक बेटे ने अपनी जिंदगी जेल और फिर मौत के अंधेरे में खत्म कर ली। यह कहानी भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर एक ऐसे दाग की कहानी है, जिसे जुनून और पागलपन ने हमेशा के लिए स्याह कर दिया।

जयश्री मर्डर केस का पार्ट-1 भी पढ़िए

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मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स की इस कड़ी में हम आपको उस केस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ भोपाल बल्कि पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। यह कहानी एक ऐसी रात की है, जिसे शहर शादी के जश्न, रोशनी और खुशियों के शोर में याद रखना चाहता था लेकिन यह इतिहास में एक खून से सनी तारीख बनकर दर्ज हो गई। पढ़िए पूरी खबर



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