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Jabalpur Famous Chole Bhature: जबलपुर के बस स्टैंड पर स्थित गुरुकृपा नाम की छोले भटूरे की दुकान 1972 से चल रही है. यहां तीसरी पीढ़ी यह व्यवसाय संभाल रही है.
जबलपुर. जबलपुर में छोले भटूरे की बात हो और सरदार जी के छोले भटूरे का नाम न आए. ऐसा हो ही नहीं सकता. दरअसल, जबलपुर के बस स्टैंड में गुरुकृपा नाम से सरदार जी के छोले भटूरे काफी फेमस है. यह दुकान 1972 की है, जहां अब तीसरी पीढ़ी दुकान संभालने का काम कर रही है. खास बात यह है इस छोटी सी दुकान में 10 कर्मचारी काम करते हैं.
पिताजी ने कहा था, हर 5 साल बाद 5 रूपए बढ़ाना
दुकान का संचालन कर रहे ओंकार सिंह सचदेवा ने बताया यह दुकान 53 साल पुरानी है. हम तीसरी पीढ़ी दुकान को संभालने का काम कर रहे हैं. जब दुकान खुली थी, तब दादाजी महेंद्र सिंह सचदेवा ₹1 में 6 छोले बेचा करते थे. अब महंगाई के कारण ₹30 प्लेट में छोले भटूरे मिलते हैं, जबकि ₹20 में छोले-चावल और 10 रूपए के रायता दिया जाता हैं. उन्होंने बताया पिताजी ने कहा था, हर 5 साल बाद सिर्फ ₹5 ही कीमत बढ़ाना. यहीं कारण है शहर में छोले-भटूरे के रेट हमारी दुकान में सबसे कम है. दुकान देखकर लोगों को लगता है कि लंगर चल रहा है.
बिना प्याज और लहसुन के छोले भटूरे
उन्होंने बताया छोले भटूरे बनाने के लिए खड़े मसाले का इस्तेमाल किया जाता है. सारे मसाले घर के पिसे होते हैं, साथ ही तेल पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इतना ही नहीं छोले भटूरे में लहसुन, प्याज और टमाटर का इस्तेमाल नहीं किया जाता. बल्कि ग्राहक के कहने पर ऊपर से प्याज और लहसुन दिया जाता है. दिनभर की बिक्री के बारे में उन्होंने बताया छोले भटूरे दुकान से इतने बिक जाते हैं कि उनकी कोई गिनती ही नहीं होती. दुकान सुबह 8 बजे खुलती है और दोपहर 3 से 4 बजे तक ही सारा माल खत्म हो जाता है और दुकान बंद कर दी जाती है.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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