MP News: IIT इंदौर ने विकसित किया मोबाइल टॉयलेट्स, सिंहस्थ 2028 में हो सकता है इस्तेमाल

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Smart Mobile Toilets: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने देश के पहले स्मार्ट मोबाइल टॉयलेट्स के लिए राष्ट्रीय मानक विकसित किए हैं. आइए जान लेते हैं क्या हैं इनकी खासियत.

Indore News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने देश के पहले ‘स्मार्ट’ मोबाइल टॉयलेट्स के लिए राष्ट्रीय मानक विकसित किए हैं, जो स्वच्छता और सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकते हैं. यूवी स्टरलाइजेशन, सौर ऊर्जा और कचरे से ऊर्जा बनाने वाले ऑन-साइट सिस्टम जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस, ये स्मार्ट टॉयलेट स्वच्छता, सुरक्षा और पहुंच को बेहतर बनाएंगे. इस मॉडल को मध्य प्रदेश सरकार को उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 के लिए सुझाया जाएगा, जिससे बड़े सार्वजनिक समारोहों में स्थायी स्वच्छता के लिए एक नया मानक स्थापित होगा.

सिंहस्थ 2028 में स्वच्छता की नई मिसाल
उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इतनी बड़ी भीड़ के लिए स्वच्छता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है. IIT इंदौर द्वारा विकसित यह मॉडल इस चुनौती का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है. IoT सेंसर और स्वचालित सफाई जैसी सुविधाओं के साथ यह बड़े पैमाने पर सैनिटेशन मैनेजमेंट के लिए एक नया मानदंड स्थापित करेगा.

क्या हैं इन ‘स्मार्ट’ टॉयलेट्स की खासियतें?
यह प्रोजेक्ट सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आशुतोष मंडपे के नेतृत्व में चलाया जा रहा है. पारंपरिक पब्लिक टॉयलेट्स के विपरीत, जो मैनुअल सफाई, ग्रिड बिजली और अधिक पानी पर निर्भर होते हैं, यह नया डिजाइन कई एडवांस टेक्निक से लैस है, जैसे-

1. यूवी-आधारित स्टरलाइजेशन (UV-based Sterilisation): ऑटोमैटिक और लगातार कीटाणुशोधन सुनिश्चित करता है.
2. स्मार्ट वेस्ट-टू-एनर्जी (Smart Waste-to-Energy): कचरे को मौके पर ही ऊर्जा में बदलने का काम करता है.
3. सौर ऊर्जा बैकअप (Solar-based Power Backup): बिजली के लिए आत्मनिर्भरता प्रदान करता है.
4. IoT सेंसर्स (IoT Sensors): स्वच्छता की रीयल-टाइम निगरानी और रखरखाव के लिए अलर्ट भेजते हैं.

देश के लिए बनेगा एक मानक
प्रोफेसर मंडपे ने बताया कि वर्तमान में भारत में मोबाइल शौचालयों के लिए कोई परिभाषित मानक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के लिए एक डिजाइन ढांचा तैयार कर रहे हैं. एक बार मंजूरी मिलने के बाद यह मोबाइल स्वच्छता इकाइयों के लिए एक नेशनल बेंचमार्क के रूप में काम करेगा और इसे देश भर में स्थानीय निकायों, उद्योगों और कार्यक्रम आयोजकों द्वारा अपनाया जा सकेगा.

महिला सुरक्षा और ग्लोबल स्टडीज
इस मॉडल को विकसित करते समय महिला सुरक्षा और सम्मान पर विशेष ध्यान दिया गया है. बेहतर प्रकाश व्यवस्था, सिक्योर एंट्री सिस्टम और आरामदायक डिजाइन के माध्यम से इसे सुनिश्चित किया गया है. प्रोफेसर मंडपे ने बताया कि इस मॉडल को विकसित करने के लिए IIT इंदौर की टीम ने यूके, जर्मनी, फ्रांस और स्विट्जरलैंड में वैश्विक स्वच्छता प्रणालियों का अध्ययन किया है।

Deepti Sharma

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें

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