Exclusive: खाकी वर्दी का काम है जनता की हिफ़ाज़त करना, लेकिन भोपाल में पुलिस के दो कांस्टेबिल ने इंसानियत की सारी हदे पार करते हुये पीट पीटकर उदित नाम के 22 साल के नौजवान इंजीनियर की हत्या कर दी. दोनों आरक्षक संतोष बामनिया औऱ सौरभ आर्य पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो चुका है. गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गये हैं. न्यूज़ 18 इंडिया जब उदित के माता पिता औऱ दो बहिनों से मिलकर पीड़ित परिवार का दर्द बाँटने पहुँचा तो आंसुओं से भरे घर में पुलिस बर्बरता की कहानी की नई नई परतें खुलती चलीं गईं. परिवार उदित की हत्या के केस की सीबीआई जांच कराने की माँग कर रहा है.
पुलिस ने ऐसा मारा जैसा कोई जानवरों को भी नहीं मारता है. अंडरवियर उतारकर, कपड़े उतारकर किसे मारा जाता है. बताओ क्या करें हम. उसको मरते दम तक मारा. जानवरों से भी बदतर हैं ये वर्दी पर कलंक हैं ये. ये पुलिस रक्षक नहीं भक्षक है. ऐसे लोगों को वर्दी नहीं पहनानी चाहिये.
राजकुमार गायकी (पिता)- उदित के पिता ने सीबीआई जांच की मांग की है. वे चाहते हैं कि दोनों आरोपी आरक्षकों को फांसी या उम्रकैद की सजा मिले, ताकि लोगों को संदेश जाए कि उनके बेटे के साथ गलत हुआ और भविष्य में किसी और के साथ ऐसा न हो. रोते हुए पिता ने बताया कि उदित उनका हीरो था, जो सभी की बहनों और भाइयों की देखभाल करता था. वह मां को चाय बनाकर देता, पंखे से ठंडी करके पिलाता, प्यार से पप्पी देता और चरण छूकर जाता था.
श्वेता, उदित की बहन, जिनके पति पुलिस में डीएसपी हैं, गुस्से और दुख में डूबी हुई हैं. उनका कहना है कि रात एक बजे आउटिंग करना आज के समय में कोई अपराध नहीं है. उदित अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था, फिर पुलिस ने सिर्फ उसी को क्यों निशाना बनाया? सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखता है कि उसे इतना बेरहमी से मारा गया कि उसका शरीर टूट गया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने सच्चाई उजागर की—उसके पैंक्रियास फट गए, आंतरिक रक्तस्राव इतना हुआ कि हृदय तक खून नहीं पहुंच सका. श्वेता का कहना है कि पुलिस ने उसे इतना मारा कि अस्पताल ले जाने पर भी वह नहीं बच पाता. वह सवाल उठाती हैं कि आखिर पुलिस को इतना क्रूरता से मारने का अधिकार किसने दिया? क्यों सिर्फ उदित को ही बार-बार निशाना बनाया गया? उदित का आत्मसम्मान इतना था कि वह कभी अपने जीजा, जो डीएसपी हैं, का नाम नहीं लेता था. अगर उसे हेलमेट न पहनने जैसे छोटे अपराध में पकड़ा जाता, तो वह पैसे देकर मामला सुलझाने की कोशिश करता, लेकिन जीजा को कभी बीच में नहीं लाता. श्वेता ने कई बार कहा, “तू अपने जीजा को फोन क्यों नहीं करता?” उदित का जवाब था, “शादी इसलिए नहीं की कि हर बार उनका फेवर लूं.” श्वेता का गुस्सा इस बात पर है कि पुलिस ने उदित को एक फोन कॉल तक करने का मौका नहीं दिया. वह अपने माता-पिता, रिश्तेदार या दोस्त को कॉल कर सकता था, पैसे का इंतजाम कर सकता था. लेकिन पुलिस ने उसे कोई मौका नहीं दिया, और उसकी जिंदगी छीन ली. श्वेता अब इंसाफ की मांग करती हैं.
गरिमा(बहन)- इसकी सीबीआई जाँच हो. इतना मारती हैं पुलिस ऐसे मारती है, जो पुलिस ने किया वो भी भुगते. सीबीआई जाँच हो उनको भी सज़ा मिले ताकि वो अहसास कर सकें कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है. एक दिन पहले मेरी भाई से बात हुई थी. उसने कहा था कि काम से कॉलेज जा रहा हूँ अगर हो गया तो शाम को घर आऊंगा. कितनी इंटरनल इंजरी हुई थी कि आप वीड़ियो देखिये कितना बेरहमी से मारा है. ऐसा मारने से मार गया. सारे वीडियो वायरल हो रहे हैं. उसको गुप्तांग के नीचे तक मारा है. अऱे शर्ट औऱ कपड़े उतारकर मारा. ऐसा कोई नियम है. ऐसा लग रहा है कि पूरा इरादा था उसे मारने का. वो दूसरों को प्रोटेक्ट करने निकले थे पेट्रोलिंग पर.
रिपोर्ट- मनोज शर्मा, भोपाल