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इंग्लैंड को जीत के लिए 247 रन बनाने थे, और दक्षिण अफ्रीका के एलन डोनाल्ड बहुत तेज़ और आक्रामक गेंदबाजी कर रहे थे. एक अहम पल तब आया जब आथर्टन ने 27 रन बनाकर एक बाउंसर को ग्लव से विकेटकीपर मार्क बूचर तक पहुँचाया, लेकिन अंपायर ने उन्हें आउट नहीं दिया. डोनाल्ड गुस्से में आ गए और उन्होंने एक हीं ओवर में लगातार बाउंसर की बौछार कर दी.
नई दिल्ली. 1998 इंग्लैंड में ट्रेंट ब्रिज की वो शाम, जब हवा में तेज़ी थी और मैदान पर मेजबान टीम के उम्मीदें का पोस्टर हिलोरे मार रहा था तब एक ऐसी लड़ाई शुरू हुई जो सिर्फ गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी तक सीमित नहीं थी यह थी इरादों की, धैर्य की और मानसिक जंग में भी तब्दील हो गई.माइकल एथर्टन इंग्लैंड का कप्तान, एक ऐसे शेर की तरह, जिसने अपनी टीम की जीत के लिए अपने शरीर को मैदान पर दक्षिण अफ्रीका के ताबड़तोड़ तेज गेंदबाज़ एलन डोनाल्ड के सामने रखा. डोनाल्ड, जिनकी हर गेंद में बिजली सी ग़रज रही थी, और इंग्लैंड के जीत की सोच को बार बार डरा रही थी .
गलत फैसले के बाद गर्माया मामला
इंग्लैंड के माइकल एथर्टन ने दक्षिण अफ्रीका के एलन डोनाल्ड का सामना बाखूबी कर रहे थे . मैच की परिस्थिति तनावपूर्ण होते जा रही थी . इंग्लैंड को जीत के लिए 247 रन बनाने थे, और दक्षिण अफ्रीका के एलन डोनाल्ड बहुत तेज़ और आक्रामक गेंदबाजी कर रहे थे. एक अहम पल तब आया जब आथर्टन ने 27 रन बनाकर एक बाउंसर को ग्लव से विकेटकीपर मार्क बूचर तक पहुँचाया, लेकिन अंपायर ने उन्हें आउट नहीं दिया. डोनाल्ड गुस्से में आ गए और उन्होंने एक हीं ओवर में लगातार बाउंसर की बौछार कर दी. कुछ गेंदें आर्थटन के शरीर पर भी लगी और कुछ गेंदें कीपर तक इतने तेजी से पहुंची की बल्लेबाज को नजर नहीं आया. एलन डोनाल्ड का ये ओवर क्रिकेट इतिहास के सबसे खतरनाक ओवर में एक गिना जाता है.
आर्थटन ने खेली मैच विनिंग पारी
एलन डोनाल्ड का खतरनाक ओवर खेलने के बाद माइक आथर्टन ने धैर्य रखा और अपनी पारी जारी रखी, अंत में नाबाद 98 रन बनाकर इंग्लैंड को आठ विकेट से जीत दिलाई. इस मैच में जिस तेजी के साथ एलन डोनाल्ड ने गेंदबाजी कि उसकी वजह से उनको व्हाइट लाइटनिंग के नाम से भी जाने लगा. यह मुकाबला कौशल, इच्छाशक्ति और विवादास्पद क्षण का एक क्लासिक उदाहरण माना जाता है, जो टेस्ट क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ पक्ष को दर्शाता है.