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- Dialysis Technician Became Positive In Medical Health, Then It Was Found Out That The Job Is No Longer There
जबलपुर19 घंटे पहले
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- निजी कंपनी ने आउटसोर्स तकनीकी कर्मचारी को निकाला, काॅलेज प्रबंधन भी मौन
कोरोना संकट ने जहाँ लाखों नौकरियाँ छीन लीं वहीं अब इसका दायरा स्वास्थ्य सेवाओं तक भी बढ़ गया है। संभवत: प्रदेश क्या देश का ही यह पहला मामला होगा कि मरीजों की जाँच करते पॉजिटिव हुए एक तकनीकी कर्मचारी को नौकरी से निकाला गया हो। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल काॅलेज में हुई इस कार्रवाई पर काॅलेज प्रबंधन भी इसे निजी कंपनी हाईट्स का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहा है।
यह है मामला | मेडिकल के मेडिसिन विभाग में 25 वर्षीय शुभम स्वामी चार सालों से डायलिसिस टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहा था। शुभम ने बताया कि 22 अगस्त को काम के दौरान उसकी तबियत बिगड़ी, वह 23 से काम पर उपस्थित नहीं हो सका। तबियत में सुधार न होने पर 26 को उसने कोविड टेस्ट कराया, अगले दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर वह 14 दिन के लिए होम आइसोलेट व स्वास्थ्य विभाग के कहने पर 7 दिन घर में क्वारंटीन रहा। 12 सितंबर को डिस्चार्ज होने के बाद वह गत दिवस काम पर आया तो कंपनी के अधिकारियों ने उसे नौकरी से निकाले जाने की जानकारी दी। पीड़ित ने प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों, डीन से कार्रवाई की गुहार लगाई है।
यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है, कंपनी प्रबंधन ही कर्मचारियों को रखता है। यदि इस टेक्नीशियन को नौकरी से निकाला गया है तो इसकी जानकारी ली जाएगी। जरूरत पड़ने पर उसे कहीं और काम पर रखेंगे।
-डॉ. अरविंद शर्मा, प्रभारी अधीक्षक, मेडिकल काॅलेज अस्पताल
एल्गिन अधीक्षक को सोनोग्राफी करने निर्देश | जिले के एकमात्र शासकीय महिला अस्पताल एल्गिन में दूसरे जिलों से भी महिलाएँ इलाज के लिए आती हैं। प्रारंभिक जाँच में सोनोग्राफी ही होती है, लेकिन अस्पताल में एक ही रेडियोलॉजिस्ट डॉ. आरके खरे हैं जो वर्तमान प्रभारी अधीक्षक का भी दायित्व निभा रहे हैं। बताया गया कि अभी प्रशिक्षित डॉक्टर ही यह काम कर रहे हैं जिसमेें जाँच की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया ने एक आदेश जारी कर डॉ. खरे को सह अधीक्षक प्रभार के साथ ही अपने रेडियोलॉजिस्ट के मूल काम को करने के लिए कहा है। आदेश में कहा गया कि विशेष परिस्थितियों में ही अन्य प्रशिक्षित चिकित्सकों से यह काम लिया जाए तथा अस्पताल के अन्य स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर्स को भी सोनाेग्राफी करने का प्रशिक्षण दिया जाए।
डीन से माँगी डॉक्टर्स की जानकारी| चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरबड़े ने शहर प्रवास के दौरान मेडिकल व जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में डॉक्टर्स की का मुद्दा उठाया गया। आयुक्त ने मेडिकल के डीन डॉ. पीके कसार से काॅलेज के सभी विभागों जिनमें नाॅन क्लीनिकल भी शामिल हैं के डॉक्टर्स की सूची तलब की है। नाॅन क्लीनिकल विभागों में कार्यरत डॉक्टर्स वे चाहे प्राेफेसर ही क्यों न हों एमबीबीएस करके ही आते हैं। सूत्रों का कहना है कि विभाग अब इनसे मेडिकल ऑफीसर के तौर पर सेवाएँ ले सकता है।
फीवर क्लीनिक में सैम्पल लेने वाला ही नहीं मिला
अपर कलेक्टर संदीप जीआर ने मंगलवार शाम गुप्तेश्वर और पोलीपाथर फीवर क्लीनिक का औचक निरीक्षण किया तो वहां सैम्पल लेने वाला ही नहीं मिला। उन्होंने क्लीनिक के एमएमयू प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान उन्होंने उपचार और कोरोना टेस्ट के लिये सैम्पल देने आये लोगों से बातचीत की। श्री संदीप जीआर ने व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने तथा चिकित्सकों एवं सहयोगी स्टाफ की समय पर फीवर क्लीनिक में उपस्थिति सुनिश्चित करने की हिदायत भी मौके पर मौजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी। उन्होंने मुख्य मार्ग से फीवर क्लीनिक तक सूचना फलक लगाने के निर्देश भी दिये, ताकि नागरिकों को वहाँ पहुँचने में किसी तरह की कठिनाई न हो।
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