सतना के टीचर का कमाल! अब ‘पिन कोड’ के जरिये केमिस्ट्री बनी स्टूडेंट्स का फेवरेट सब्जेक्ट, जानिए कैसे

सतना के टीचर का कमाल! अब ‘पिन कोड’ के जरिये केमिस्ट्री बनी स्टूडेंट्स का फेवरेट सब्जेक्ट, जानिए कैसे


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Satna News: सतना के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय व्यंकट क्रमांक 1 में एक अनोखा प्रयोग शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां केमिस्ट्री के टीचर डॉ. रामानुज पाठक ने पिनकोड के सहारे से क्वांटम नंबर्स को समझाने का नया फॉर्मूला तैयार किया है, जिससे छात्रों को केमिस्ट्री अब खेल-खेल में याद हो रही है. आइए जान लेते हैं कैसे.

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Satna News: क्या आपने कभी सोचा है कि चिट्ठियां भेजने के लिए इस्तेमाल होने वाला पिनकोड छात्रों को केमिस्ट्री सिखाने में मदद कर सकता है? यह अनोखा प्रयोग कर दिखाया है गवर्नमेंट एक्सीलेंस स्कूल व्यंकट नंबर 1 सतना के केमिस्ट्री के टीचर ने. डॉ. रामानुज पाठक ने केमिस्ट्री के मुश्किल चेप्टर क्वांटम नंबर को पिनकोड से जोड़कर इतना आसान बना दिया कि छात्र न केवल केमिस्ट्री में रुचि लेने लगे बल्कि उन्हें अपने जिले और प्रदेश के पिनकोड भी याद हो गए.

11वीं की छात्रा प्रथा त्रिपाठी बताती हैं कि अब छात्रों को उनके एरिया या जिले के हिसाब से पिनकोड दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि किसी छात्र को अगर सतना का पिनकोड 485001 दिया गया है तो इसमें पहली डिजिट प्रिंसिपल क्वांटम नंबर (n) शो करता है, दूसरा डिजिट ऑक्सिलरी क्वांटम नंबर (ℓ) का, तीसरा मैग्नेटिक क्वांटम नंबर (mₗ) का, चौथा स्पिन क्वांटम नंबर (mₛ) का संकेत देता है.

इस तरह बच्चे अपने पिनकोड को याद करते हुए इलेक्ट्रॉनों का स्ट्रक्चर और उसकी स्थिति को भी समझ लेते हैं. जब शिक्षक क्लास में छात्रों से उनका पिनकोड और उससे जुड़ी क्वांटम डिजिट पूछते हैं तो बाक़ी छात्र भी न केवल क्वांटम थ्योरी बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों के पिनकोड भी याद कर लेते हैं.

इलेक्ट्रॉन का भी होता है पिनकोड
लोकल18 से बातचीत में डॉ. रामानुज पाठक बताते हैं कि जैसे किसी पते की पहचान के लिए पिनकोड होता है वैसे ही किसी एलिमेंट में इलेक्ट्रॉन की पहचान के लिए क्वांटम संख्याएं होती हैं. वे समझाते हैं कि पिनकोड के छह अंकों में पहला अंक भौगोलिक क्षेत्र को, दूसरा राज्य को, तीसरा जिला बताता है और अंतिम तीन अंक स्थानीय पोस्ट ऑफिस की जानकारी देते हैं.

ठीक इसी तरह क्वांटम नंबर में प्रिंसिपल क्वांटम नंबर (n) एनर्जी लेवल को, ऑक्सिलरी क्वांटम नंबर(ℓ) सबशेल या ऑर्बिटर को, मैग्नेटिक क्वांटम नंबर (mₗ) ऑर्बिटल की दिशा को और स्पिन क्वांटम संख्या (mₛ) इलेक्ट्रॉन के घूमने की दिशा को बताती है.

उन्होंने कहा कि इस इनोवेशन से न केवल छात्र वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आसानी से समझ पा रहे हैं बल्कि यह तरीका डिजिटल युग में पिनकोड का याद रखने का भी अच्छा जरिया है.

क्वांटम संख्याएं और पिनकोड दोनों ही व्यवस्था और पहचान के विज्ञान पर आधारित हैं. एक इलेक्ट्रॉनों की स्थिति बताता है. वहीं दूसरा हमारे भौगोलिक स्थान की. यह इनोवेशन इस बात का उदाहरण है कि शिक्षा में अगर रचनात्मकता जोड़ी जाए तो कठिन विषय भी रोचक और सरल बन सकते हैं.

Deepti Sharma

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें

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अब ‘पिन कोड’ के जरिये केमिस्ट्री बनी स्टूडेंट्स का फेवरेट सब्जेक्ट, जानिए कैसे



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