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Colorful Cauliflower: सर्दी का मौसम रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. अक्टूबर से जनवरी तक इसका सीजन रहता है. किसान नीली, बैंगनी, पीली और नारंगी रंग की फूलगोभी की खेती कर रहे हैं. इन रंगों का कारण इसमें मौजूद प्राकृतिक पिगमेंट्स हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं.
मध्य प्रदेश के कई जिलों में इस समय रंगीन फूलगोभी की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. किसान पारंपरिक सफेद फूलगोभी से हटकर नई किस्मों को अपना रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इन रंगीन किस्मों में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जिससे इनकी बाजार कीमत भी सामान्य गोभी से कहीं ज्यादा मिलती है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए दोमट मिट्टी और हल्की ठंड सबसे उपयुक्त मानी जाती है. अगस्त से अक्टूबर तक किसान इसकी नर्सरी तैयार कर सकते हैं और करीब 25 से 30 दिन बाद पौधों की रोपाई करनी चाहिए. समय-समय पर सिंचाई और जैविक खाद के प्रयोग से पौधों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होते हैं.

वहीं, मध्य प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि रंगीन फूलगोभी में एंथोसाइनिन और बीटा-कैरोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं. यही वजह है कि इनका इस्तेमाल बड़े होटलों, रेस्टोरेंट्स और सुपरमार्केट में बढ़ गया है.

बाजार में फिलहाल रंगीन फूलगोभी 60 से 100 रुपये प्रति पीस के भाव पर बिक रही है, जबकि सामान्य सफेद गोभी 25 से 30 रुपये में मिलती है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक एकड़ में इन फूलगोभियों की खेती से किसान 1 से 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.

किसान अपनी मुख्य फसलों जैसे आलू, प्याज या मटर के साथ इंटरक्रॉपिंग के रूप में भी इस फूलगोभी की खेती कर सकते हैं. इससे न केवल खेत की मिट्टी का उपयोग बेहतर होता है, बल्कि जोखिम भी कम रहता है. खास बात यह है कि यह फसल 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है.

प्रदेश के कुछ किसानों ने इस सीजन में प्रयोग के तौर पर गुलाबी और नारंगी फूलगोभी की खेती की है. किसानों का कहना है कि बाजार में इसकी मांग इतनी बढ़ी है कि व्यापारी खुद गांवों तक खरीद के लिए पहुंच रहे हैं. कई किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर व्यावसायिक सब्जी उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं.

कृषि अधिकारियों ने बताया कि रंगीन फूलगोभी की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है. किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक खेती तकनीक की जानकारी दी जा रही है. आने वाले समय में इसे प्रदेश स्तर पर प्रोत्साहित करने की योजना भी है.