क्रिकेट किट खरीदने तक के नहीं थे पैसे, हर कदम पर कारपेंटर पिता ने दिया बलिदान, बेटी अब वर्ल्ड कप जीतकर बन गई नेशनल हीरो

क्रिकेट किट खरीदने तक के नहीं थे पैसे, हर कदम पर कारपेंटर पिता ने दिया बलिदान, बेटी अब वर्ल्ड कप जीतकर बन गई नेशनल हीरो


टीम इंडिया की धाकड़ क्रिकेटर अमनजोत कौर अब वर्ल्ड कप विनर बन गई हैं. भारत ने रविवार को फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका को मात देकर 52 साल में पहली बार विमेंस वर्ल्ड कप की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है. अमनजोत कौर भी भारत की इस वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा हैं. महिला वर्ल्ड कप 2025 की विजेता अमनजोत कौर को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. 25 साल की अमनजोत कौर पंजाब के मोहाली की रहने वाली हैं. अमनजोत कौर के पिता पेशे से एक कारपेंटर हैं. अमनजोत कौर के पिता मोहाली में एक दुकान पर काम करते हैं.

क्रिकेट किट खरीदने तक के नहीं थे पैसे

एक दौर था, जब अमनजोत क्रिकेट किट खरीदने के लिए भी बहुत मुश्किल से पैसे जुटा पाती थीं. हालांकि, इस बीच उन्हें हर कदम पर पिता का साथ मिला. भारत ने रविवार को महिला वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 52 रन से जीत दर्ज की. इस मुकाबले में अमनजोत कौर ने 14 गेंदों में 1 चौके के साथ 12 रन की पारी खेली. भले ही उन्होंने 4 ओवरों में 34 रन देने के बावजूद कोई विकेट नहीं हासिल किया, लेकिन साउथ अफ्रीकी कप्तान लौरा वोल्वार्ट को कैच आउट और ताजमिन ब्रित्स को रन आउट कर उन्होंने मैच का रुख पलट दिया.

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अमनजोत ने ही लौरा वोल्वार्ट का कैच लिया

अमनजोत कौर एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं. महिला वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया की जीत पर अमनजोत कौर की बहन कमलजोत कौर ने कहा, ‘जब भी हमारी बात होती है, तो अमनजोत काफी आत्मविश्वासी लगती हैं. फाइनल मैच के दौरान हम चाहते थे कि लौरा वोल्वार्ट जल्द आउट हो जाएं, लेकिन उन्होंने शतक लगाया. आखिरकार, अमनजोत ने ही उनका कैच लिया.’

हर कदम पर कारपेंटर पिता ने दिया बलिदान

कमलजोत कौर ने बहन अमनजोत कौर के संघर्ष को याद करते हुए कहा, ‘हमने अमनजोत की जर्नी देखी है. हमारा सपना उन्हें वर्ल्ड कप में खेलते देखना था. आखिरकार, भारत ने इस खिताब को जीत भी लिया. हमने उन्हें डोमेस्टिक से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचते देखा है. क्रिकेट किट बहुत महंगी होती थी. इसे खरीदने के लिए हमने काफी संघर्ष किया. हमारे पिता ने काफी सहयोग किया. स्कूल छोड़ना और वहां से वापस लाना उनकी ही जिम्मेदारी थी. हमने यह देखा है कि सपने आखिरकार सच होते हैं.’ नवी मुंबई स्थित डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी में खेले गए खिताबी मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट खोकर 298 रन बनाए. इसके जवाब में साउथ अफ्रीकी टीम 45.3 ओवरों में महज 246 रन पर सिमट गई. यह भारतीय महिला क्रिकेट टीम का पहला वर्ल्ड कप खिताब है.



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