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Genda Phool Kheti: इस तरह गेंदा खेती न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रही है. खेतों में फैली यह सुनहरी महक आने वाले समय में निमाड़ क्षेत्र को “फूलों की घाटी” के रूप में पहचान दिला सकती है.
Genda Phool Kheti: मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में इस बार खेतों की रंगत ही बदल गई है. जहां पहले गेहूं, मक्का और सोयाबीन की फसलें नजर आती थीं, वहीं अब खेतों में सुनहरे और नारंगी रंग के गेंदा फूलों की बहार छाई हुई है. खंडवा, खरगोन और बड़वानी जिले के कई गांवों में किसान अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. वजह है कम लागत में ज्यादा मुनाफा और स्थानीय बाजारों में गेंदा फूल की बढ़ती मांग.
खंडवा जिले के पास स्थित पंधाना, मूंदी, झिरन्या और हरसूद क्षेत्र में इस साल हजारों एकड़ जमीन पर गेंदा की खेती की जा रही है. किसानों के खेतों से उठती फूलों की खुशबू अब गांवों की पहचान बन चुकी है. खास बात ये कि इस बार महाराष्ट्र से फूल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ी. स्थानीय किसानों द्वारा उगाया गया गेंदा ही बाजार की पूरी मांग पूरी कर रहा है. फूलों के व्यापारी अशोक जैन बताते हैं कि “इस बार खंडवा के फूलों की क्वालिटी बहुत अच्छी है. बाजार में रोजाना करीब 200 से 300 क्विंटल गेंदा पहुंच रहा है.
जैन बताते हैं कि पहले नासिक और औरंगाबाद से फूल आते थे, लेकिन अब स्थानीय किसान ही बाजार की जरूरतें पूरी कर रहे हैं. खंडवा के किसान अमर पटेल बताते हैं कि उन्होंने इस साल डेढ़ एकड़ में गेंदा फूल लगाया था. उन्होंने कहा, “गेंदा की फसल में लागत बहुत कम आती है. लगभग 15 से 20 हजार रुपये में बीज, मजदूरी और सिंचाई का खर्च निकल जाता है, लेकिन 60 से 70 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. इस हिसाब से ये खेती बहुत फायदे की है.”
गेंदा खेती क्यों फायदेमंद?
गेंदा फूल एक ऐसी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. यह गर्म और आर्द्र जलवायु में खूब पनपती है. एक बार पौधे तैयार हो जाएं तो 60 से 70 दिन में फूल तोड़ने योग्य हो जाते हैं. किसान हर 3 से 4 दिन में फूल तोड़कर बाजार भेज सकते हैं, जिससे लगातार आय बनी रहती है. इसके फूल पूजा-पाठ, सजावट और आयुर्वेदिक दवाओं में भी काम आते हैं, जिससे बाजार स्थायी बना रहता है.
आय हो सकती है दोगुनी
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में गेंदा फूल की खेती लगातार बढ़ रही है. विभाग किसानों को प्रशिक्षण और बीज सहायता भी दे रहा है. कृषि विस्तार अधिकारी राकेश चौहान बताते हैं.“ फूलों की खेती से किसानों की आय दोगुनी हो सकती है. किसान अगर समूह बनाकर पैकेजिंग और मार्केटिंग करें तो यह और भी लाभकारी साबित होगी.”
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें