7610 quintals of rice kept in warehouses turned out to be animals in the investigation, 43 thousand quintals of poor were distributed to the poor. | गोदामों में रखा 7610 क्विंटल चावल जांच में जानवरों वाला ही निकला, ऐसा ही घटिया 43 हजार क्विंटल गरीबाें काे बंट चुका

7610 quintals of rice kept in warehouses turned out to be animals in the investigation, 43 thousand quintals of poor were distributed to the poor. | गोदामों में रखा 7610 क्विंटल चावल जांच में जानवरों वाला ही निकला, ऐसा ही घटिया 43 हजार क्विंटल गरीबाें काे बंट चुका


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शिवपुरी7 घंटे पहले

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पीईजी गोदाम रातौर शिवपुरी में रखा चावल, जो जांच में खराब निकला है।

  • कटनी और रीवा से जुलाई में 51 हजार क्विंटल चावल शिवपुरी आया था, 85% चावल बांटा जा चुका
  • भारतीय खाद्य निगम के गुणवत्ता निरीक्षकों ने 29 और 30 अगस्त को शिवपुरी आकर चावल की गुणवत्ता जांच के लिए सैंपल लिए थे

जानवराें का चावल शिवपुरी में भी इंसानाें काे बांटा गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत शिवपुरी जिले में कटनी और रीवा से दो रैक में 51 हजार क्विंटल चावल इसी साल जुलाई महीने में आया था। घटिया चावल शिवपुरी में भी बांटे जाने की शिकायत के बाद भारतीय खाद्य निगम के गुणवत्ता निरीक्षकों ने 29 और 30 अगस्त काे चावल के सैंपल लिए थे।

सैंपल में चावल मापदंड पर खराब निकला है। दाे रैक में आए 51 हजार क्विंटल में से 43 हजार 390 क्विंटल चावल गरीबाें काे बांटा जा चुका है। अब गाेदामाें में सिर्फ 7610 क्विंटल चावल बचा है। कोरोना काल में बांटने के लिए भेजे खराब चावल का मामला प्रदेश स्तर पर गरमाने के बाद शिवपुरी में भी जांच शुरू हुई। मंडला और बालाघाट में जो खराब चावल बांटा गया, वही चावल शिवपुरी जिले में भी बांटने लिए रैक भेजी थी।

इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय खाद्य निगम के गुणवत्ता निरीक्षकों ने 29 और 30 अगस्त को जिले के विभिन्न गोदामों में रखे चावल की गुणवत्ता जांच के लिए सैंपल लिए। सैंपलों की विश्लेषण रिपोर्ट से पता चला कि चावल निर्धारित मापदंड अनुसार नहीं है। इसलिए एमपी स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड जिला शिवपुरी ने आदेश जारी कर गोदामों में रखे संबंधित चावल के वितरण पर रोक लगा दी है।

घटिया चावल की कालाबाजारी होती है फिर वही वापस वितरण के लिए आ जाता है
पीडीएस सूत्रों की मानें तो इस चावल की कालाबाजारी होती है और यही चावल वापस वितरित होने के लिए आ जाता है। वहीं 17 जुलाई को पिछोर में एसडीएम ने व्यापारी के गोदाम से 230 क्विंटल चावल जब्त किया था। चावल घटिया होने पर स्वयं व्यापारी निर्मल गुप्ता ने कहा था कि गरीबों को कंट्रोल पर सरकार जो चावल भेज रही है, उसे गधे भी नहीं खाएंगे। लेकिन जिले के अधिकारी गंभीरता नहीं हुए। मामले की बड़े स्तर पर शिकायत के बाद कार्रवाई हो सकी है।

दोनों रैक में आया खराब चावल, गुणवत्ता जांच के लिए केंद्र प्रभारी जिम्मेदार
शिवपुरी जिले में चावल की दोनों रैक आईं। उनमें खराब चावल भेजा गया। उक्त चावल की गुणवत्ता जांचने की जिम्मेदारी मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन के संबंधित केंद्र प्रभारी की रहती है। अब उक्त मामले में तत्कालीन जिला प्रबंधक और संबंधित केंद्र प्रभारी कार्रवाई की जद में आ गए हैं। उचित मूल्य दुकानाें से खराब चावल बंटने के मामले में जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी से लेकर ब्लॉकों में पदस्थ खाद्य निरीक्षक भी जिम्मेदार हैं।

नमूने में पोल्ट्री ग्रेड का चावल, इससे पहले जिले में और भी खराब चावल बंटा
प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई शिकायत के बाद केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय नींद से जागा। भारतीय खाद्य निगम के गुणवत्ता निरीक्षक शिवपुरी आए और सात स्टेक के सैंपल लिए और जांच मेंं यह चावल मापदंड अनुसार नहीं निकला। सातों स्टैक में कुल 7610 क्विंटल चावल है। सभी नमूने पोल्ट्री ग्रेड के बताए जा रहे हैं। लेकिन पीडीएस के काम में लगे सूत्रों की मानें तो इससे पहले जिले में और भी ज्यादा खराब चावल गरीबों को बांटा जा चुका है।

विश्लेषण में सैंपल मापदंड अनुसार नहीं, वितरण पर रोक लगाई है
^ जुलाई में चावल की दो रैक शिवपुरी आईं थीं, उसी में से गोदामों में रखे चावल के सैंपल भारतीय खाद्य निगम के गुणवत्ता निरीक्षकों ने लिए थे। विश्लेषण में सैंपल मापदंड अनुसार नहीं पाए गए। इसलिए वितरण पर रोक लगाई है। हालांकि मेरा तबादला शिवपुरी से ग्वालियर हो गया है। चावल की रैक मेरे समय में नहीं आईं थीं।
संजय सक्सेना, तत्कालीन जिला प्रबंधन, मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन शिवुपरी

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