Sagar News: सागर में कम भाव मिलने से नाराज किसानों ने मक्का की नगर में अर्थी निकालकर चिता जला दी. मक्का की अंतिम यात्रा निकालने के दौरान सैकड़ों की संख्या में किसान शामिल हुए और अपना गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने सरकार से गुजारिश की की मक्का का भाव कम से कम 2000 से 2500 तक प्रति क्विंटल मिलना चाहिए.
दरअसल सागर में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती की जाती है, लेकिन इसमें हो रहे नुकसान को देखते हुए किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ मक्का की खेती की थी. इसका उत्पादन भी अच्छा मिला, लेकिन अब मंडियों में मिल रहे कम भाव से किसान निराश हैं. क्योंकि, इतना उत्पादन होने के बाद भी लागत का निकलना मुश्किल हो रहा है. किसानों को रबी सीजन की तैयारी करनी है, इसलिए वह फसल बेचने को मजबूर हैं.
700 से 1625 रुपए तक का भाव
जिन किसानों ने जैसे-तैसे रबी फसल की बुवाई कर दी है तो अब उन्हें खाद लेने ट्रैक्टर वाले को चुकाने के लिए पैसों की जरूरत है. वह मक्का लेकर मंडी पहुंच रहे हैं, लेकिन हालात नहीं सुधर रहे हैं. सागर मंडी में 700 से लेकर अधिकतम 1625 रुपए तक का भाव मिल रहा है. जिले की अन्य मंडियों में भी इसी से मिलते-जुलते भाव हैं. इसको लेकर किसानों में नाराजगी है. जिले भर में किसानों द्वारा कहीं चक्का जाम किया जा रहा तो कहीं ट्रैक्टर रैली निकालकर प्रदर्शन किया जा रहा है.
पिछले साल की तुलना में 40% कम खरीदी
सागर कृषि उपज मंडी की बात करें तो यहां अब तक 2,20,000 क्विंटल मक्का की खरीदी की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 40% कम है. वह भी तब जब इस बार मक्का का रकवा पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया है. सागर में इस साल 1,40,000 हेक्टेयर में मक्का की खेती की गई थी.
1 एकड़ में आती 20,000 की लागत
8 एकड़ में मक्का की खेती करने वाले दीपक तिवारी ने बताया कि प्रति एकड़ मक्का की खेती में 15 से 20 हजार रुपए तक खर्च आता है. किसान खेतों में 400-500 रुपए किलो वाला हाइब्रिड बीज लगाते हैं. एक एकड़ में 6 किलो बीज लगता है. खाद, दवा, कटाई-मड़ाई, थ्रेसर और परिवहन मिलाकर कुल लागत 18 से 20 हजार रुपए प्रति एकड़ बैठती है. यदि अच्छी उपज होती है तो अधिकतम 15 क्विंटल उत्पादन भी मान लें तो 1600 रुपए के भाव से भी मात्र 22 हजार रुपए की आय होती है. इसमें से 20 हजार रुपये लागत निकालने के बाद किसानों को कुछ बचत नहीं हो पाती.
400-500 ट्राली मक्का आ रही रोजाना
मंडियो में मक्का की इतनी आवक है कि किसानों को 24- 24 घंटे तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. किसान मक्का बेचने जा रहे हैं, वह अपने साथ बिस्तर लेकर आते हैं. सारी रात ठंड में ठिठुरते रहते हैं. अनुमान के मुताबिक रोज 400-500 ट्रैक्टर मक्का मंडी में पहुंच रहा है.