शौक नहीं जुनून! कॉइन और स्टांप का ऐसा कलेक्शन, आप भी कहेंगे- ओ माय गॉड

शौक नहीं जुनून! कॉइन और स्टांप का ऐसा कलेक्शन, आप भी कहेंगे- ओ माय गॉड


Last Updated:

Satna News: अनुराग मलैया ने लोकल 18 से कहा कि इस तरह का कलेक्शन बनाए रखना आसान काम नहीं है. इसमें काफी पैसे लगते हैं और धैर्य की भी जरूरत होती है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग इस शौक को लंबे समय तक कायम नहीं रख पाते हैं.

सतना. शौक जब जुनून बन जाए और वह जुनून पीढ़ियों को जोड़ दे, तो वह सिर्फ कलेक्शन नहीं बल्कि इतिहास की जीवित मिसाल बन जाती है. ऐसा ही एक अनोखा उदाहरण मध्य प्रदेश के सतना में देखने को मिलता है, जहां सिक्कों और डाक टिकटों का संग्रह 100 साल से ज्यादा के इतिहास को समेटे हुए हैं. यह संग्रह न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों की आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक यात्रा को दर्शाता है, जिसे एक परिवार ने तीन पीढ़ियों से सहेजकर रखा है.

लोकल 18 से बातचीत में सीमा एजेंसी कॉरपोरेशन के ओनर अनुराग कुमार मलैया ने बताया कि उन्हें सिक्के और डाक टिकट इकट्ठा करने का शौक बचपन से ही रहा. होश संभालते ही उन्होंने अपने पिता की देखादेखी पुराने सिक्कों और स्टांप को सहेजना शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे यह शौक जुनून में बदला और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इसे आगे बढ़ाया. आज इस संग्रह में उनकी तीसरी पीढ़ी भी काफी दिलचस्पी ले रही है और इन्हीं कार्यों में जुटी रहती है.

डाक टिकटों में सिमटा देश का इतिहास
अनुराग मलैया के पास 1947 से लेकर 2017 तक भारत में जारी हुए लगभग सभी डाक टिकट मौजूद हैं. इनमें स्वतंत्रता के बाद के ऐतिहासिक अवसर, महापुरुषों की जयंती, राष्ट्रीय उपलब्धियां और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े स्टांप शामिल हैं. इसके अलावा गोल्ड और सिल्वर प्लेटेड स्टांप भी इस संग्रह का अहम हिस्सा हैं, जो इसे और अधिक विशिष्ट बनाते हैं.

सबसे पुराना सिक्का साल 1887 का
संग्रह में सबसे पुराना सिक्का साल 1887 का है, जो ब्रिटिशकाल की याद दिलाता है. इसके साथ ही ऐसी कॉमेमोरेटिव करेंसी भी शामिल है, जो अब चलन में नहीं है. यह करेंसी ऐतिहासिक घटनाओं और विशेष अवसरों की स्मृति में जारी की गई थी. उनके पास रॉयल कलेक्शन एडिशन भी है, जो भारत में केवल 999 तक सीमित है.

लिमिटेड एडिशन और इंटरनेशनल कलेक्शन
अनुराग मलैया के संग्रह में कई इंटरनेशनल और लिमिटेड एडिशन सेट भी शामिल हैं. द अमेरिकन प्रेसिडेंट्स कलेक्शन दुनियाभर में सिर्फ 17,500 कम्प्लीट सेट तक सीमित है जबकि ब्राजील गोल्डन फुटबॉल कलेक्शन भारत में केवल 999 सेट तक उपलब्ध है. इसके अलावा उनके निजी संग्रहालय में 50 देशों की प्लास्टिक करेंसी भी सुरक्षित रखी गई है.

आसान नहीं यह शौक
अनुराग का कहना है कि इस तरह का कलेक्शन बनाए रखना आसान नहीं होता. इसमें काफी धन और धैर्य की जरूरत होती है. यही कारण है कि ज्यादातर लोग इस शौक को लंबे समय तक जिंदा नहीं रख पाते. परिवार का फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड का व्यवसाय होने के बावजूद उन्होंने अपने शौक को कभी पीछे नहीं छोड़ा और व्यवसाय और शौक को बैलेंस करके रखा. उन्होंने कहा कि अगर पहली पीढ़ी से अब तक के सभी संग्रह को जोड़ा जाए, तो तीन से चार अलमारियां पूरी तरह भर चुकी हैं. यह संग्रह आज सिर्फ एक शौक नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास, धरोहर और प्रेरणा बन चुका है.

About the Author

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

homeajab-gajab

शौक नहीं जुनून! कॉइन और स्टांप का ऐसा कलेक्शन, आप भी कहेंगे- ओ माय गॉड



Source link