Farmers are unable to sell soybeans at good prices, more than 1000 unemployed | अच्छे भाव पर किसान नहीं बेच पा रहे सोयाबीन,1000 से ज्यादा बेरोजगार

Farmers are unable to sell soybeans at good prices, more than 1000 unemployed | अच्छे भाव पर किसान नहीं बेच पा रहे सोयाबीन,1000 से ज्यादा बेरोजगार


रतलाम20 घंटे पहले

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  • सोयाबीन खेतों में तैयार, व्यापारियों ने कर दिया लॉकडाउन

सोयाबीन की फसल खेतों में तैयार खड़ी है। इस बीच 3 दिन से चल रही व्यापारियों की हड़ताल से किसान अपनी उपज मंडियों में नहीं बेच पा रहे हैं। सोयाबीन के भाव 3 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। ऐसे में मंडियां बंद होने से किसानों का नुकसान हो रहा है। व्यापारियों के साथ मंडी कर्मचारियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी है। दोनों की हड़ताल अनिश्चितकालीन है। ऐसे में तय नहीं है कि मंडियां कब खुलेगी। ऐसे में किसान अपनी उपज आगामी दिनों में भी नहीं बेच पाएंगे। वहीं मंडियां खुलेगी तो आवक बढ़ने से भाव घटने की आशंका रहेगी। ऐसे में किसानों को नुकसान हो सकता है।

हड़ताल का किस पर क्या असर

  • अनाज मंडी- रोजाना 700 से 800 ट्रॉली सोयाबीन, गेहूं सहित अन्य उपज की आवक रहती है। रोज 2 करोड़ का कारोबार होता है। मंडी को रोज करीब 6 लाख रुपए का राजस्व मिलता है।
  • प्याज एवं लहसुन मंडी- सैलाना बस स्टैंड स्थित प्याज और लहसुन मंडी में 600 ट्रॉली प्याज और लहसुन की आवक होती है। रोज करीब 3 करोड़ का कारोबार होता है। हड़ताल से 8 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान रोज हो रहा है।
  • नामली उपमंडी- अनाज के साथ लहसुन की भरपूर आवक रहती है। मंडी के बंद रहने से रोजाना तीन लाख से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

सरकार की सद् बुद्धि के लिए कर्मचारियों ने सुंदरकांड पाठ किया : व्यापारियों के साथ कर्मचारियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी है। दूसरे दिन भी मंडी के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल अनाज मंडी के साथ ही सैलाना बस स्टैंड स्थित प्याज और लहसुन मंडी नामली की उपमंडी भी चल रही है। शनिवार को कर्मचारियों ने सरकार को सद् बुद्धि देने के लिए सुंदरकांड किया। मप्र मंडी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सत्यनारायण गोयल ने बताया मॉडल एक्ट को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस एक्ट से यदि सबसे ज्यादा किसे नुकसान होगा तो वह कर्मचारियों को। क्योंकि इससे मंडियां खत्म हो जाएगी और कर्मचारियों की नौकरियां चली जाएगी। इसे लेकर हम हड़ताल पर हैं।

300 से 400 रुपए रोज कमाते थे, वो भी बंद
मंडी से 1000 से ज्यादा हम्माल, तुलावटी और मजदूर वर्ग सहित महिलाएं जुड़ी हुई हैं। मंडी चालू होने पर इनकी रोज 300 से 400 रुपए की कमाई होती थी। 3 दिन से मंडी बंद होने से 1 रुपए की आय नहीं हो रही है। हम्माल एवं तुलावटी के पूर्व प्रतिनिधि सुरेंद्रसिंह भाटी ने बताया हड़ताल से हम्माल, तुलावटी और मजदूर वर्ग पर मार पड़ रही है। इस महीने मंडी 10 दिन भी नहीं खुली। इससे घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।

जब तक मांगें पूरी नहीं होती हैं हड़ताल पर रहेंगे
मंडी व्यापारी मनोज जैन ने बताया 15 दिन पहले भी टैक्स कम करने को लेकर हड़ताल की थी। कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया था कि मांगों का निराकरण होगा। अब तक सरकार फैसला नहीं ले पाई। दोबारा हड़ताल शुरू की है। जब तक मांगें पूरी नहीं होती तब तक हम हड़ताल करेंगे।



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