Shivraj Singh Chouhan BJP to Supreme Court Against Madhya Pradesh Gwalior High Court Decision | हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी भाजपा; शिवराज ने कहा- एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है

Shivraj Singh Chouhan BJP to Supreme Court Against Madhya Pradesh Gwalior High Court Decision | हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी भाजपा; शिवराज ने कहा- एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है


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भोपाल25 मिनट पहले

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सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए आज होने वाली अपनी दो सभाएं निरस्त कर दी हैं। साथ ही हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।

  • बोले- मध्यप्रदेश के एक हिस्से में रैली व सभा हो सकती है, दूसरे हिस्से में नहीं, लेकिन बिहार में सभाएं हो रही हैं
  • शिवराज ने अशोक नगर के शाडोरा और भांडेर में बराच की सभाएं निरस्त कीं और वहां के लोगों से क्षमा मांगी

मध्य प्रदेश के उपचुनाव में ग्वालियर-चंबल में सभाओं को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश ने पार्टियों को असमंजस में डाल दिया है। कोर्ट ने पार्टियों से कहा था कि वह वर्चुअल रैली करें या चुनाव आयोग की अनुमति लेकर सभाएं कर सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। शिवराज ने कहा- ‘हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते हैं, उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इन फैसले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं क्योंकि एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है।’

शिवराज ने गुरुवार को कोर्ट के आदेश के परिपालन में अशोकनगर के शाडोरा और भांडेर में बराच की सभाएं निरस्त कर दी हैं और वहां के लोगों से क्षमा मांगी है। बोले- हमने दोनों जगह की सभाएं निरस्त की हैं, क्योंकि हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सभाएं न करने का फैसला दिया है। सभाएं न करने का, वर्चुअल रैली करने का या फिर चुनाव आयोग से अनुमति लेकर ही सभाएं कर सकते हैं।

शिवराज ने कहा कि ‘मध्यप्रदेश के एक हिस्से में रैली व सभा हो सकती है, दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती। बिहार में सभाएं हों रही हैं, रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकती। इस फैसले के संबंध में हम न्याय की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा। लेकिन आज दोनों स्थानों के भाई-बहनों से क्षमाप्रार्थी हूं, जल्दी आऊंगा और सभा को संबोधित करुंगा।’

EC कमलनाथ से जवाब मांग रहा, देश EC से जवाब मांग रहा
चुनाव आयोग कमलनाथ जी से जवाब मांग रहा है, देश चुनाव आयोग से जवाब मांग रहा है लेकिन मैंने कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी जी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह कमलनाथ जी से जवाब मांगें और अमर्यादित टिप्पणी जो उन्होंने कि है उसके संबंध में एक मां, बहन औऱ बेटी होने के नाते ऐसे अमर्यादित नेता के खिलाफ कार्रवाई करें। मैंने यह भी लिखा था कि यदि आप जवाब नहीं देती तो इसमें आपकी सहमति मानी जाएगी। अभी तक कोई जवाब नहीं आया, मैं सोनिया गांधी जी से फिर आग्रह करता हूं कि कमलनाथ जी के खिलाफ कार्रवाई करें या फिर यह कहें कि उन्होंने जो कहा था वह सही था।

केंद्रीय मंत्री ने कहा- ‘न्यायालय में भरोसा करने वाला दल है भाजपा

वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चुनाव आयोग के नियमों को लेकर कहा कि भाजपा चुनाव आयोग ओर न्यायालय में भरोसा करने वाला राजनीतिक दल है। चुनाव आयोग का कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए जो निर्णय है, निश्चित रूप से को सभी को उसके नियमों का करना चाहिए। मैं भी आप सब लोगों के माध्यम से सभी से यह आग्रह करना चाहता हूं कि कोरोना वायरस के संकट में कोविड के प्रोटोकोल का सभी लोग पालन करें।’

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश में क्या कहा था?

मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दतिया के भांडेर में कमलनाथ और ग्वालियर में नरेंद्र तोमर की रैली को अपने आदेश का आधार बनाया और उन पर एफआईआर करने के आदेश दिए। इन रैलियों में कोरोना-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल की थी। ग्वालियर और दतिया कलेक्टर से दो दिन में रिपोर्ट भी मांगी है।

  • जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश में कहा- राजनीतिक दलों की वर्चुअल मीटिंग अगर नहीं हो पा रही है तो ही सभा और रैलियां हो सकेंगी। इसके लिए चुनाव आयोग की इजाजत लेनी होगी।
  • “संविधान ने उम्मीदवार और मतदाता दोनों को अधिकार दिए हैं। उम्मीदवार को चुनाव प्रचार का अधिकार है तो लोगों को जीने के साथ-साथ स्वस्थ रहने का अधिकार है। उम्मीदवार के अधिकार से बड़ा लोगों के स्वस्थ रहने का अधिकार है।”
  • “मौजूदा हालात में राजनेताओं को लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए थी, लेकिन उनके व्यवहार से ऐसा नजर नहीं आ रहा। सभाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है।”
  • “पार्टियों को रैली और सभाओं के लिए इजाजत लेनी होगी। ये भी बताना होगा कि वर्चुअल सभा क्यों नहीं हो सकती है। कलेक्टर अगर जवाब से संतुष्ट होते हैं तो ऑर्डर पास करेंगे और मामला चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। आयोग की मंजूरी के बाद ही सभाएं हो सकेंगी।”
  • “आयोग सभा में जितने लोगों को शामिल होने की मंजूरी देगा, उतने लोगों के मास्क व सैनिटाइजर पर होने वाले खर्च की दोगुनी राशि कैंडिडेट को कलेक्ट्रेट में जमा कराना होगी। शपथ पत्र देना होगा, जिसमें हर व्यक्ति को मास्क और सैनेटाइजर उपलब्ध कराए जाने की बात लिखी हो और यह भी कि सभा की मंजूरी लेने वाला ही जवाबदेह होगा।”



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