22 मिनट पहले
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कांचघर में ब्लैक स्पॉट का निरीक्षण करते हुए एएसपी संजय अग्रवाल और अन्य विभागों के अधिकारी
- ट्रैफिक पुलिस ने तीन वर्षों में हुए हादसे के आधार पर चिन्हित किया है ब्लैक स्पॉट
जबलपुर। जिले में 10 ब्लैक स्पॉट लोगों की जिंदगी लील रहे हैं। कहीं लेफ्ट टर्न की खामी तो कहीं संकरे रोड और क्रासिंग की वजह से हादसे हो रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस ने पिछले तीन वर्षों में हुए रोड़ एक्सीडेंट के आधार पर 10 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं। जब कभी यहां से गुजरें तो सतर्क हो जाएं। यहां हादसे की सम्भावना सबसे अधिक रहती है। यहां की खामियों को दूर के लिए अधिकारियों ने निरीक्षण किया। प्लान भी बनाए, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया।
जिले में 2018 में सात ब्लैक स्पॉट चिन्हित हुए थे। इसमें पनेहरा पेट्रोल पंप की समस्या अब तक बनी हुई है। दरअसल पनेहरा पेट्रोल पंप से लेकर सतपुला ब्रिज का हिस्सा जीसीएफ में आता है। यहां रोड चौड़ीकरण, निर्माण सहित कोई भी फेरबदल का निर्णय जीसीएफ प्रबंधन को लेना है।
ट्रैफिक एएसपी संजय कुमार अग्रवाल के मुताबिक पिछले दिनों डीएसपी मयंक सिंह चौहान, मधुकर चौकीकर ने निगम के कार्यपालन यंत्री संजय पांडे और स्मार्ट सिटी के इंजीनियर अनिकेत गोरिया के साथ ब्लैक स्पॉट का संयुक्त निरीक्षण किया था। इस दौरान ब्लैक स्पॉट की खामियों को चिन्हित किया गया। इसका पूरा प्लान बनाया गया है।
एक जनवरी से 30 अक्टूबर के बीए हुए हादसे-
कुल रोड एक्सीडेंट-2210
घायलों की संख्या-2357
मृतकों की संख्या-288
रांझी में पनेहरा पेट्रोल पंप
तीन वर्ष में 18 हादसे हो चुके हैं। पनेहरा पेट्रोल पंप मुख्य रोड से 20 फीट की दुरी पर हैं। रोड क्रास कर वाहन पम्प तक जाते हैं। पंप की शिफ्टिंग सहित यहां मुख्य रोड पर मार्किंग करनी होगी। स्पीड लिमिट का बोर्ड और ब्लिंकर लगाना होगा। पेट्रोल पम्प के आगे संकीर्ण पुलिया को चौड़ा करना होगा। जीसीएफ से रोड डिवाइडर बनाने का पत्राचार किया है।
अधारताल में उर्दना नाला से सुहागी हनुमान मंदिर
तीन वर्ष में 12 की मौत हो चुकी है। उर्दना नाला से सुहागी हनुमान मंदिर होकर महाराजपुर चौराहे तक की रोड जर्जर हो चुकी है। रोड मार्किंग, चेतावनी बोर्ड, जेब्रा क्रासिंग, फुटपाथ, रोड डिवाईडर, स्ट्रीट लाईट, रेड लाईट और ब्लिंकर लगाना होगा। महाराजपुर चौराहे का ट्रैफिक इंजीनियिरंग के मानक पर निर्माण किया जाए।
घमापुर में चुंगी चौकी से डॉक्टर बुधराज के सामने तक
तीन वर्ष में यहां 17 हादसों में 11 की मौत हो चुकी है। घमापुर क्षेत्र में डॉ. बुधराज रोड पर एमपी हाउसिंग बोर्ड मार्केट के सामने, पीपल पेड़ के सामने कांचघर रोड पर स्पीड ब्रेकर बनाना होगा। इस मार्ग पर चेतावनी बोर्ड, फुटपाथ, रोड डिवाईर, रेड लाईट ब्लिंकर लगाना होगा। यहां की रोड और लाइटिंग का काम हो चुका है।
गढ़ा के सूपाताल रामायण मंदिर तक
तीन वर्षों में यहां तीन मौत और आठ हादसे हो चुके हैं। शहर से मेडिकल को जोडऩे वाले इस प्रमुख मार्ग पर सूपाताल का हिस्सा सबसे अधिक खतरनाक है। मोड़ और संकरा होने की वजह से अक्सर तेज रफ्तार वाहन एक्सीडेंट के शिकार हो जाते हैं। यहां रम्बल स्ट्रिप, संकेतक बोर्ड और प्रकाश व्यवस्था करानी होगी। साथ ही ट्रैफिक की पेट्रोलिंग लगानी होगी।
बरेला का रिछाई तिराहा
तीन वर्षों में 21 की मौत हो चुकी है। एनएच-30 स्थित ये हिस्सा एमपीआरडीसी के अधीन आता है। यहां अंधा मोड़ है। ुपर से अंधेरा रहता है। इसकी वजह से यहां सबसे अधिक हादसे होते हैं। यहां संकेतक लगाना होगा। रोड पर रम्बल स्ट्रिप व संकेतक बोर्ड बने हैं। लाइट के लिए सम्बंधित विभाग से पत्राचार किया गया है।
मदनमहल थाने से होमसाइंस कॉलेज रोड
तीन वर्षों में यहां 27 लोग घायल हो चुके हैं। 300 मीटर के इस हिस्से में डिवाइडर नहीं है। इस रोड से कॉलोनियों के रोड जुड़े हैं। अचानक से कॉलोनियों से निकले वाले वाहन मुख्य मार्ग पर आते हैं। इससे हादसा होता है। यहां संकेतक बोर्ड, गति निर्धारण बोर्ड और सडक़ के दोनों ओर मार्किंग कराना होगा।
एनएच-7 स्थित पाटन बायपास से कटंगी बायपास
तीन वर्षों में यहां चार मौत 17 हादसे हो चुके हैं। एनएच-7 पर स्थित ये बायपास राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन आता है। पाटन व कटंगी रोड यहां जुड़े हैं। फ्लाईओवर के बावजूद सर्विस रोड पर वाहनों का दबाव अधिक है। इस कारण यहां एक्सीडेंट होते हैं। सीमित गति निर्धारण बोर्ड, दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र का संकेत लगा है। हाईवे पेट्रोलिंग भी होती है।
पाटन क्षेत्र में रोझा गांव से उडऩा के बीच
तीन वर्षों में यहां आठ की मौत हो चुकी है। पाटन से उडऩा की दूरी 5.4 किमी है। वाहनों की ओवर स्पीड हादसे की बड़ी वजह है। स्पीड लिमिट, दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र का संकेतक बोर्ड लगाना होगा। रोड के दोनों ओर मार्किंग कराया जाए। एमपीआरडीसी से ट्रैफिक पुलिस ने पत्राचार किया है। पाटन थाने से पट्रोलिंग करायी जाए।
बेलखेड़ा में मनकेड़ी से सुंदरादेही
तीन वर्षों में सात मौत और 39 हादसे हो चुके हैं। 12 किमी के इस निर्माणाधीन रोड पर अभी एक ही साइड की रोड चालू है। इसकी वजह से अक्सर यहां हादसे होते हैं। मार्ग निर्माण के बाद यहां संकेतक बोर्ड, स्पीड बम्प, रोड मार्किंग, प्रकाश व्यवस्था कराना होगा। बेलखेड़ा पुलिस की पेट्रोलिंग करायी जा रही है।
बरगी क्षेत्र का रमनपुर घाटी
एनएच-7 स्थित इस घाटी में चार महीने में तीन बड़े हादसों में 12 की मौतें हो चुकी हैं। यहां अक्सर एक्सीडेंट होता है। अंधे मोड़ का संकेतक बोर्ड और टर्न पर एक मीटर चौड़ाई बढ़ाने का भी फायदा नहीं मिला। स्पीड रोकने ढलान पर 50 मीटर की दूरी पर 75 एमएम का दो रम्बल स्ट्रिप बना है। अब टर्न की चौड़ाई और बढ़ानी होगी।