9 साल में 22 नवजात पहुंचे जरूरतमंद दंपती की गोद में

9 साल में 22 नवजात पहुंचे जरूरतमंद दंपती की गोद में


खंडवा31 मिनट पहले

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  • 2 बच्चों की मौत, 22 को आश्रम भेजा, दो एसएनसीयू में भर्ती

नवजात बच्चों को जन्म के बाद मरने के लिए सुनसान जगहों पर छोड़ना कोई नई बात नहीं है। 2012 से अब तक 26 नवजात बच्चों को सड़क से उठाकर एसएनसीयू में भर्ती किया। इनमें से 2 की मौत हुई, जबकि 22 बच्चों को बाल आश्रम भेज दिया। फिलहाल दो नवजात एसएनसीयू में भर्ती हैं। अब तक मात्र एक नवजात के परिजन को पुलिस ढूंढ पाई, जबकि एक बालिका को बाल कल्याण समिति ने मिलाया, जिसे ट्रेन से फेंका गया था। 2012 के पहले जब भी को कोई बालक सड़क से अस्पताल तक आता था तो उसे अपनाने के लिए सैकड़ों हाथ आगे बढ़ते थे, लेकिन अब बच्चा गोद लेने की प्रकिया काफी कठिन हो गई है। इसके लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट पर संपूर्ण दस्तावेज के साथ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है। मेरिट सूची के आधार पर जरूरतमंद दंपती को नवजात दिया जाता है। 10 साल पहले बच्चा गोद देने की प्रक्रिया बाल कल्याण समिति के सदस्य करते थे।
नवजात बच्चों की ऐसे होती है मॉनिटरिंग
बाल कल्याण समिति सदस्य शिल्पी राय ने बताया कि बच्चा मिलने के बाद उसे इलाज के लिए एसएनसीयू में भर्ती करते हैं। दो-ढाई महीने के बाद बाल कल्याण समिति द्वारा समाचार पत्रों में जाहिर सूचना जारी कर जिसका भी बच्चा हो वह दावा कर सकता है। अगर बच्चे का वारिस नहीं आता है तो उसे ओंकारेश्वर, इंदौर या होशंगाबाद स्थित आश्रम भेजा जाता है।

गोद लेने की प्रक्रिया में 6 से 8 माह का इंतजार
कारा से प्राप्त आवेदनों के आधार पर जरूरतमंद दंपती को बच्चा गोद दिए जाने से पहले बाल कल्याण समिति की सहमति ली जाती है। जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के 6 से 8 महीने के लंबे इंतजार के बाद बच्चा गोद मिलता है।
ऐसे करे रजिस्ट्रेशन
सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।

2012 से अब तक जिले में इतने नवजात मिले

15 नवंबर 2012 बालक 21 जून 2014 बालिका 11 अप्रैल 2014 बालक 28 मई 2014 बालक 11 नवंबर 2014 बालक 11 सितंबर 2014 बालक 23 जून 2014 बालिका 30 जून 2018 बालक 31 अक्टूबर 2018 बालक 25 सितंबर 2018 बालिका 21 नवंबर 2019 बालिका 21 सितंबर 2019 बालिका 25 फरवरी 2015 बालिका 19 अक्टूबर 2015 बालक 13 जनवरी 2017 बालिका 4 जुलाई 2017 बालिका 17 जून 2017 बालक 4 फरवरी 2016 बालिका 25 सितंबर 2016 बालिका 22 अप्रैल 2019 बालिका 11 सितंबर 2019 बालिका 23 मार्च 2020 बालिका 30 मई 2020 बालक 20 जुलाई 2020 बालिका 15 अक्टूबर 2020 बालिका 25 अक्टूबर 2020 बालक – आंकड़े एसएनसीयू के मुताबिक

ये दस्तावेज जरूरी
दंपती के पास पैन कार्ड, फोटोग्राफ, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर, आयकर रिटर्न या फिर आय प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र, अगर तलाक हो गया है तो तलाक का प्रमाण पत्र, पति या पत्‍‌नी में किसी मृत्यु हो गई है तो उसका प्रमाण पत्र। आवेदक को कोई बीमारी या गंभीर रोग तो नहीं इसका प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। कारा ने यह मान्यता इंदौर के बाल आश्रमों को दी है।
बाल आश्रम पहुंचने के बाद कानूनी प्रक्रिया के बाद सौंपा जाता है बच्चा
बाल कल्याण समिति सदस्य शिल्पी राय ने बताया बाल आश्रम में बच्चा पहुंचने के बाद संस्था द्वारा कारा की वेबसाइड पर जानकारी अपलोड की जाती है। जो भी दंपती पहले आवेदन करता है उससे संपर्क किया जाता है। संपूर्ण कानूनी प्रक्रिया के बाद बच्चे को दिया जाता है। कारा की टीम आवेदक व उसके परिवार की जानकारी एकत्र करती है। पुलिस की एनओसी के बाद बच्चे काे दंपती को दिया जाता है।
नौ साल में 26 नवजात मिले, इनमें से 11 लड़के 15 लड़कियां
एसएनसीयू में दर्ज रिकार्ड के अनुसार नवंबर 2012 से 25 अक्टूबर 20 तक 26 नवजात को भर्ती किया गया। इनमें से 11 लड़के, 15 लड़कियां हैं। 6 नवजात 2014 में मिले। 2020 में अब तक 5 नवजात मिले। इनमें 3 बालिकाएं व 2 बालक हैं। 2012 में मात्र एक नवजात बालक मिला।



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