2018 में मनोहर ऊंटवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में भी कांग्रेस की तरफ से विपिन वानखेड़े ही थे
साल 2018 में मनोज के पिता मनोहर ऊंटवाल (Manohar Untwal) के खिलाफ चुनाव मैदान में भी कांग्रेस (Congress) की तरफ से विपिन वानखेड़े (Vipin Wankhede) ही थे. ऐसे में आइए जानते हैं 2.17 लाख मतदाता क्षेत्र वाले आगर से मनोज ऊंटवाल की जीत के 3 प्रमुख कारण…
- News18Hindi
- Last Updated:
November 10, 2020, 6:33 PM IST
1. मनोज के हार की पहली वजह राजनैतिक अपरिपक्वता और अनुभव की कमी है. इसके अलावा मनोहर ऊंटवाल जब विधायक हुआ करते थे, तब भी लोग मनोज को नहीं जानते थे. मनोज पिता के समय लोगों से मिलते-जुलते भी नहीं थे.
2. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह का क्षेत्र में काफी पैठ है. कमलनाथ सरकार के दौरान जयवर्धन यहां के प्रभारी मंत्री भी थे. इस पूरे चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए कई दौरे किए. यह सब भी मनोज ऊंटवाल के खिलाफ गया और वे हार गए.
3. मनोज को जहां स्थानीय लोग जानते तक नहीं थे, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी बाहरी होने के बावजूद क्षेत्र में काफी सक्रिय थे. वे जमीनी स्तर पर लोगों से काफी जुड़े रहे, जिससे लोगों ने मनोज की जगह कांग्रेसी प्रत्याशी पर भरोसा किया.